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हिन्दुस्तान प्रबन्धन को डीएलसी की कड़ी चेतावनी, कहा- हठधर्मी का रास्ता छोड़ें

बरेली से खबर आ रही है कि मजिठिया को लेकर उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान उपश्रमायुक्त बरेली ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हिन्दुस्तान का प्रबन्धन हठधर्मी का रास्ता छोड़े। यदि कोई ये समझता है कि वह सर्वोपरि है तो ऐसे लोग जान लें, सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर कोई नहीं है। ना मैं और ना अखबार मालिक। लिहाजा आपसी समझौते से शिकायतकर्ता कर्मचारियों से मसला निपटा लें, नहीं तो अगली तिथि पर मजबूरन उनको विधि सम्मत कड़ा निर्णय लेना पड़ेगा।

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बरेली से खबर आ रही है कि मजिठिया को लेकर उत्पीड़न के मामले की सुनवाई के दौरान उपश्रमायुक्त बरेली ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि हिन्दुस्तान का प्रबन्धन हठधर्मी का रास्ता छोड़े। यदि कोई ये समझता है कि वह सर्वोपरि है तो ऐसे लोग जान लें, सुप्रीम कोर्ट से बढ़कर कोई नहीं है। ना मैं और ना अखबार मालिक। लिहाजा आपसी समझौते से शिकायतकर्ता कर्मचारियों से मसला निपटा लें, नहीं तो अगली तिथि पर मजबूरन उनको विधि सम्मत कड़ा निर्णय लेना पड़ेगा।

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उपश्रमायुक्त ने मामले में प्रतिवादी संपादक मनीष मिश्रा, यूनिट हेड योगेंद्र सिंह की ओर से आये हिन्दुस्तान बरेली यूनिट के एच आर हेड सत्येंद्र अवस्थी को साफ-साफ कहा कि उनका संदेश वे उच्च प्रबन्धन तक पहुँचा दें। शिकायतकर्ताओं को मजिठिया के मुताबिक उनके सभी ड्यूज तत्काल अदा कर दें। इससे बचने के लिए शिकायतकर्ताओं को नोटिस देना, धमकाना, कथित जांच बैठाना, कार्रवाई करना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है।ये सब कुछ वह नहीं होने देंगे।

अंतिम नोटिस के बावजूद हिन्दुस्तान के एचआर डायरेक्टर राकेश सिंह गौतम अपना पक्ष रखने को ना तो स्वयं आये और ना ही उनका कोई प्रतिनिधि। शिकायतकर्ता मनोज शर्मा, राजेश्वर विश्वकर्मा, निर्मल कांत शुक्ला ने उप श्रमायुक्त को अवगत कराया कि एचआर डायरेक्टर राकेश सिंह गौतम बेहद शातिर है। संपादक और जीएम भी उनके समक्ष आने से मुंह छिपा रहे हैं, क्योंकि इनके पास किसी भी बात का कोई जवाब है ही नहीं। सत्येन्द्र अवस्थी पर कोई अधिकार नहीं हैं। सत्येन्द्र सिर्फ मैसेंजर की भूमिका में हैं। उप श्रमायुक्त ने अंतिम मौका देते हुए सुनवाई की अगली तिथि 30 नवम्बर मुकर्रर की है।

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