Mukund Singh-
पटना : बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के पूर्व अध्यक्ष की तानाशाही ने एक मीडियाकर्मी का खून बहा दिया. पत्रकार यूनियन आफिस जाने पर मीडियाकर्मी को ही रोक दिया गया. विरोध करने पर पूर्व अध्यक्ष के गुंडे ने जमकर तांडव मचाया. इसमें यूनियन के कोषाध्यक्ष और हिंदुस्तान अखबार के फोटोग्राफर अनिल कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए.
घायल अवस्था में नजदीकी थाना कोतवाली पहुंचे जहां उन्होंने हमला करने वाले कैंटीन संचालक के खिलाफ लिखित शिकायत की. इसके बाद उन्हें इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भर्ती करवाया गया. फिलहाल पुलिस के द्वारा हमला करने वाले कैंटीन संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है.
बताते चलें कि बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन का विवाद दिन पर दिन बढ़ते जा रहा है. एक तरफ जहां दैनिक जागरण के पत्रकार मृत्युंजय मानी कार्यालय पर अपना कब्जा जमाए बैठे हैं और उसे अपनी निजी संपत्ति समझते हुए तालाबंदी किए हुए हैं तो दूसरी तरफ अन्य पत्रकार इस बात का लगातार विरोध कर रहे हैं. यूनियन पत्रकारों की संपत्ति है और उसे पत्रकारों के हवाले ही किया जाए क्योंकि यह किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं है जो जब चाहे तब उसे खोले और बंद करे. लेकिन अपने बैनर और जिला प्रशासन के साथ-साथ अधिकारियों की धौंस दिखाते हुए पत्रकार मृत्युंजय मानी उस पूरी यूनियन कैंपस पर अपना कब्जा करना चाहते हैं और वह अपने मकसद में काफी हद तक कामयाब हो चुके हैं। इसमें कई पत्रकार माफिया लोग जुड़े हुए हैं. इसके लिए वह अपने गुंडे भी पाल रखे हैं.
अन्य पत्रकार यूनियन कार्यालय पहुंचे तो कैंटीन संचालक के द्वारा उन लोगों को यूनियन कार्यालय में जाने से रोका गया. जब इस बात का विरोध किया गया तो शशि उत्तम कुमार के द्वारा पहले तो गाली गलौज किया गया फिर मारपीट किया गया और देखते ही देखते यूनियन परिसर रण क्षेत्र में बदल गया. इसके बाद आसपास के लोग वहां इकट्ठा हुए और किसी तरह लड़ाई शांत हुई. इसमें हिंदुस्तान अखबार के फोटोग्राफर सह बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के कोषाध्यक्ष अनिल कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए. फिर मामले की जानकारी पुलिस को दी गई और अनिल कुमार को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भर्ती कराया गया.
मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची कोतवाली थाने की पुलिस ने कैंटीन संचालक को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है.
गौरतलब हो कि बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन पिछले कई वर्षों से मुद्दा विहीन हो चुका है. या फिर यूं कहें कि इस पर कुछ भूमाफिया पत्रकारों की नजर पड़ चुकी है जो इसे अपने कब्जे में लेना चाहते हैं क्योंकि जब से नई कमेटी का गठन हुआ तब से पत्रकार हित या पत्रकार कल्याण की एक भी वैसा काम नहीं किया गया जिससे संगठन के सदस्यों को लगे कि यह संगठन उनके हित में कार्यरत है.
पिछले साल गठित हुई नई कमेटी के अध्यक्ष के कामकाज से नाखुश सदस्यों ने जब उनका विरोध शुरू किया तो वह तानाशाह हो गए और अपनी मनमानी करने लगे. संगठन को अपनी पैतृक संपत्ति समझते हुए अपनी जेब में चलाने लगे. इसका खुलकर विरोध हुआ तो हालात खून खराबे की आ पहुंची. अब सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिरकार पत्रकार यूनियन में पत्रकार क्यों नहीं जा सकते हैं. इसका जवाब तो दैनिक जागरण का वह पत्रकार ही बता सकता है जो इसे पिछले कई महीनों से कब्जा कर अपनी जेब में चाबी लेकर घूम रहा है.
मुकुंद सिंह
पटना