: अखबारों में छपे सरकारी विज्ञापनों का भुगतान न जताने पर अपनाया गांधीवादी तरीका : देहरादून । नौकरशाहों की मनमौजी और लापरवाही के कारण आये दिन मंत्री और विधायक ही परेशान नहीं है, मीडिया भी इससे अछूता नहीं है। स्थिति अब यहां तक जा पहुंची है कि बकाया भुगतान के लिए उन्हें भूख हड़ताल करने के मजबूर होना पड़ रहा है। मंगलवार को राज्य की नौकरशाह से आजिज आकर अंग्रेजी दैनिक गढ़वाल पोस्ट के संपादक सतीश शर्मा ने मुख्य सचिव के कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू कर दी। शर्मा ने बताया कि छोटे अखबारों को सरकार वैसे ही विज्ञापन देती नहीं, है। जो विज्ञापन मिलते हैं, उनका भुगतान नहीं किया जाता।
शर्मा ने बताया कि मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों का भुगतान पिछले कई महीने से लम्बित पड़ा है। पहले इस भुगतान को लेकर पहले बजट समाप्त होने की बात कही जा रही थी। हाल में हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान अनुपूरक बजट तो पास हो गया, मगर राज्य के लोक एवं जन संपर्क विभाग के भुगतान की फाइल कहां गुम हो गयी, पता लगाना भी मुश्किल हो गया। अभी एक सप्ताह पूर्व जब सतीश शर्मा द्वारा इस फाइल का पता करने के लिए मुख्य सचिव व सचिव वित्त से बात की गयी तो निराशा ही हाथ लगी।
जब इस मामले में कई स्तरों पर बात की गई तो बताया गया कि फाइल मिल गयी है और बजट का पैसा सूचना विभाग को रिलीज भी कर दिया गया है। इसके बावजूद, विज्ञापनों का बकाया भुगतान अखबारों को नहीं किया जा रहा है। इसकी हकीकत की कुछ सही जानकारी न वित्त विभाग से मिल पा रही है और न सूचना विभाग से। बजट मिला भी है या फिर गुमराह करने के लिए बजट मिलने और शीघ्र भुगतान होने की बात कह दी गयी, समझ से परे है। शासन और सूचना में बैठे अधिकारी न तो सच बताने को तैयार हैं और न भुगतान करने को। अधिकारियों की इसी कार्य शैली के विरोध में पत्रकार सतीश शर्मा ने मुख्य सचिव के कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू की है।