नई दिल्ली। भारतीय जनसंचार संसथान (IIMC) में एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति में अनियमितता की शिकायत गुरूवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा से की गई है। साथ ही इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
शिकायतकर्ता डॉ. शैलेंद्र सिंह ने आरोप लगाया है कि एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति में स्थापित प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए अभ्यार्थी डॉ. पवन कौंडल को रेगुलर पे- स्केल की पात्रता न होने पर भी साक्षात्कार के लिए आमंत्रित कर नियुक्ति दे दी गई है । जबकि डॉ. शैलेंद्र सिंह को इसी स्क्रूटनी कमिटी ने रेगुलर पे- स्केल न होने का हवाला देकर इंटरव्यू के लिए आमंत्रित नहीं किया।
डॉ शैलेंद्र सिंह का आरोप है कि साक्षात्कार के लिए नियमानुसार मेरिट लिस्ट वेबसाइट पर अपलोड की जानी थी लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से लिस्ट वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई। नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता के आभाव रहा है। साक्षात्कार कब हुए इसकी सूचना भी वेबसाइट पर नहीं डाली गई। गोपनीय ढंग से हुई नियुक्ति प्रक्रिया संदेह के घेरे में है। जो कि यूजीसी अधिनियम 2018 के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।
Comments on “आईआईएमसी में नियुक्तियों में अनियमितता की सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में शिकायत”
आईआईएमसी के महानिदेशक संजय द्विवेदी की खुद की नियुक्ति ही फर्जी है। इसी फर्जीवाड़े की परंपरा को वो आगे बढ़ा रहे है।
संजय द्विवेदी हमारे पुराने मित्र है, बिलासपुर में नवभारत में हमने साथ काम किया। बहुत कम लोगों को यह बात मालूम है कि संजय 14 साल से गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे है। शायद इस साल इनकी पीएचडी पूरी हो जाये। चाटुकारिता और चरणवंदना में माहिर संजय इतने कम समय में प्रोफ़ेसर और फिर महानिदेशक तक का सफर तय कर लेंगे इसका अंदाजा न था। मान गए गुरु।
भोपाल EOW ने अप्रैल 2019 में sanjay dwivedi के विरुद्ध धारा 409, 420, 120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा सात के तहत मामला दर्ज किया था, यह मामला आज भी जिला एवं सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। बावजूद इनके ये आईआईएमसी के महानिदेशक कैसे बने इसकी भी जाँच होनी चाहिए।