तीन दिन पहले गया मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर और अस्पताल के पास के दुकानदारो के बीच जमकर मारपीट हुई, डाक्टरों ने दुकानों में घुसकर तोड़फोड़ की और उसके बाद दुकानदारो ने भी हॉस्टल में तोड़फोड़ करके अस्पताल की संपति को क्षति पहुचाई फिर जुनियर डाक्टरों ने चिकित्सा सेवा ठप्प कर दी। घटना का कारण कुछ जूनियर डाक्टरों द्वारा शराब पीकर एक दुकानदार के साथ मारपीट है। पूर्व में भी ऐसी अनेको घटनाये हो चुकी हैं जब किसी मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने पर हुई नोकझोक के कारण जूनियर डाक्टरों ने हंगामा किया और चिकित्सा सेवा ठप्प कर दी। इस तरह की जब भी स्थिति पैदा हुई है डाक्टरों के संगठन IMA ने यथार्थ से हटकर जूनियर डाक्टरों की तरफदारी की है पुरी तरफ असंवेदनशील है यह संगठन अगर आमजन की भाषा में कहें तो यह अपराधियो का, माफियाओ के संगठन की तरह कार्य करता है।
इस संगठन को प्रसन्न रखने के लिए नीतीश कुमार के जदयू और भाजपा गठबंधन की सरकार ने एक कानून भी बना दिया जिसके तहत अस्पताल, नर्सिंग होम, डाक्टरों के साथ किसी तरह के दुर्व्यवहार को संज्ञेय अपराध माना गया है अब इसी कानून की आड़ में खुद तोड़फोड़ कर के डाक्टर झूठा मुकदमा कर देते है और उलटा बीमार के परिवार वाले ही परेशान होते है। गया में मेयर विभा देवी पर भी पीलग्रिम अस्पताल के डाक्टरों ने तीन तीन गलत मुक़दमे किये थे तथा धरना प्रदर्शन किया था और चिकित्सा सेवा ठप्प कर दी थी। उस घटना का कारण मात्र यह था कि विभा देवी ने एक गरीब महिला की इलाज के दौरान लापरवाही में हुई मौत का मुक़दमा दर्ज करने की मांग की थी। जदयू-भाजपा- राजद-कांग्रेस सभी डाक्टरों के साथ थे। पूर्व में भी ये जूनियर डाक्टर पुलिस थाने की जीप फूंकने, एस डी ओ के बॉडीगार्ड पर जानलेवा हमला करने, बेला विधायक सुरेन्द्र यादव पर जानलेवा हमला करने तथा गिरफतारी की मांग को लेकर चिकित्सा सेवा ठप्प करने जैसे अपराधिक कृत्य कर चुके हैं।
पुलिस एवं न्यायपालिका भी इन्हीं अपराधियों का पक्ष लेती रही है तथा IMA के दबाव में कार्य किया है हालाँकि इस बार एसएसपी मनु महाराज ने कड़ा रुख अपनाया है। डाक्टरों की हड़ताल का एकमात्र ईलाज है इनकी संपति की जांच। सरकारी/निजी सभी डाक्टरों के पास काला धन अकूत भरा पड़ा है। इनकी हड़ताल के कारण चिकित्सा के अभाव में होने वाली प्रत्येक मौत के लिए अस्पताल के डाक्टर सहित उनके संगठन IMA के सभी पदाधिकारी जिम्मेवार है। सरकार का दायित्व है कि IMA के बिहार चैप्टर को बैन करे तथा पूर्व से आजतक इनके द्वारा किये गए हड़ताल एंव चिकित्सा सेवा ठप्प करने के औचित्य की जांच करा कर मुकदमा करे। IMA का नियंत्रण उच्च जाती के डाक्टरों के हाथ में है जिसके कारण इन्हें न्यायपालिका में बैठे लोगों का समर्थन आसानी से मिल जाता है।
बिहार के गया जिले के वरिष्ठ वकील और पत्रकार मदन तिवारी के फेसबुक वॉल से. संपर्क: 09431267027
Rahi MK
September 21, 2015 at 1:38 pm
1. yashvant ji se Agrah hai ki “Wigyapan” jab ataa hai tab Heading ka adha bhag capture ker leta hai. Itna hi nahi, ukt vigyapan jyon ka tyon khada rahta hai, jisse apka Heading hi puri tarah se nahi dikhta. vigyapan delete kerne ke baad ukt jagah wah capture kiye rahta hai… isse rectify karein…
2. Yashvant ji se ek aur agrah hai ki “Medical” per bhi kuchh likhein aur inka pardafash karein. Taki Modi ji tak ye baat pahunche.
A. : Sabhi Private Hospital aur Doctors jo Dawai (Medicine) Prescribe kerte hain, unka “Print yadi 1965/- Rs. hai, lekin yadi wahi same company, same Medicine Wholesale Mandi me khareedte hain, to uska Print Rs. 1965/- se kafi neechey yani Rs. 590/- me milta hai. Yani ki Ye IMA, Doctors aur Manufacturers ki Milibhagat se Bholi-bhali, Nireeh Janta ko Loota ja raha hai… Isme Faida Doctors aur Retailers ko ho raha hai aur Bechari Gareeb Janta Barbaad ho rahi hai…
Regards