बिहार के एक पत्रकार को दैनिक जागरण देगा साठ लाख बयालीस हजार रुपये, आरसी जारी

बिहार के गया जिले के पत्रकार पंकज कुमारका सपना सच हो गया. वे सुप्रीम कोर्ट से लेकर बिहार हाईकोर्ट और गया जिले की अदालतों के चक्कर काटने के बाद अंतत: दैनिक जागरण को मात देने में कामयाब हो गए. इस सफलता में उनके साथ कदम से कदम मिला कर खड़े रहे जाने माने वकील मदन …

संयुक्त आयुक्त श्रम ने जागरण के मालिक मोहन गुप्त को नोटिस भेजा, शेल कम्पनी ‘कंचन प्रकाशन’ का मुद्दा भी उठा

दैनिक जागरण के एचआर एजीएम विनोद शुक्ला की हुई फजीहत…  पटना : दैनिक जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्त को श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त डा. वीरेंद्र कुमार ने नोटिस जारी कर जागरण कर्मियों द्वारा दायर किए गए जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसा को लेकर वाद में पक्ष रखने के लिए तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होनी है। वहीं दैनिक जागरण पटना के एजीएम एचआर विनोद शुक्ला के जागरण प्रबंधन के पक्ष में उपस्थिति पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए अधिवक्ता मदन तिवारी ने संबंधित बोर्ड के प्रस्ताव की अधिकृत कागजात की मांग कर एजीएम शुक्ला की बोलती बंद कर दी। दैनिक जागरण के हजारों कर्मियों को अपना कर्मचारी न मानने के दावे एजीएम शुक्ला के दावे की भी श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डा.  वीरेंद्र कुमार के सामने हवा निकल गई।

राजद नेता की गुंडागर्दी का वीडियो देखें

Gundagardi of RJD leader whose wife is block pramukh in Vaishali District… Bihar Do not Need Smart face, We need criminal free Bihar… lalu yadav ji, smart chehra nahi, apraadhmukt bihar chahiye… aapke dal ki gundagardi chalu hai… Sudhaar kar len anytha fir 22 seat par simat jayenge… 

जांच करने पहुंचे श्रम अधीक्षक को दैनिक जागरण के मैनेजर ने गेट के अंदर ही नहीं घुसने दिया

कानून और नियम को ठेंगे पर रखता है दैनिक जागरण प्रबन्धक… गया के श्रम अधीक्षक के साथ दैनिक जागरण प्रबंधक ने की गुंडागर्दी… नहीं करने दिया प्रेस की जांच… पंकज कुमार दैनिक जागरण गया के वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं. इन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड मांगा तो प्रबंधन ने इन्हें परेशान करना शुरू कर दिया… पंकज ने बिहार के श्रम आयुक्त गोपाल मीणा के यहां एक आवेदन दिनांक 26.07.2017 को दिया था.. इसमें पंकज कुमार ने आरोप लगाया था कि गया सहित दैनिक जागरण बिहार के सभी चार प्रकाशन केंद्र में श्रम कानून के तहत मीडियाकर्मियों और गैर मीडियाकर्मियों को लाभ नहीं दिया जा रहा है. 90 प्रतिशत से अधिक पत्रकारों एवं गैर-पत्रकारों का प्राविडेंट फंड, स्वास्थ्य बीमा, सर्विस बुक समेत कई सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. साथ ही माननीय सर्वोच्च्य न्यायालय द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड के तहत ग्रेड की घोषणा भी नहीं की गई है.

बिहार में दैनिक जागरण कर रहा अपने कर्मियों का शोषण, श्रम आयुक्त ने जांच के आदेश दिए

दैनिक जागरण, गया (बिहार) के पत्रकार पंकज कुमार ने श्रम आयुक्त बिहार गोपाल मीणा के यहाँ एक आवेदन दिनांक लगाया था. पिछले महीने 26 जुलाई को दिए गए इस आवेदन में पंकज ने आरोप लगाया था कि गया जिले सहित जागरण के बिहार के सभी चार प्रकाशन केंद्र में श्रम कानून के तहत मीडियाकर्मियों और गैर-मीडियाकर्मियों को कई किस्म का लाभ नहीं दिया जा रहा है. यहां 90 प्रतिशत से अधिक पत्रकार एवं गैर पत्रकारों का प्राविडेंट फंड, स्वास्थ्य बीमा, सर्विस बुक सहित कई सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. साथ ही माननीय सर्वोच्च्य न्यायालय द्वारा मजीठिया वेज बोर्ड के तहत सेलरी, पद और ग्रेड की जो घोषणा की जानी थी, उसे भी नहीं नहीं किया गया है.

देशभक्त यह दूसरा वाला रेलमंत्री है!

Madan Tiwary : एक रेल मंत्री थे। उन्होंने देखा स्लीपर में वेटिंग लिस्ट लंबी है और एसी की सीट खाली जा रही है। रेलमंत्री ने बिना कोई एक्स्ट्रा चार्ज लिए अपग्रेड सिस्टम लागू कर दिया। इससे हुआ ये कि अगर आपका टिकट वेटिंग है और एसी कोच में सीट खाली है तब आपका वेटिंग टिकट एसी में अपने आप अपग्रेड हो जाएगा।

आतंकी संगठनों से भी खतरनाक है इंडियन मेडिकल एसोशियेशन!

तीन दिन पहले गया मेडिकल कालेज के जूनियर डाक्टर और अस्पताल के पास के दुकानदारो के बीच जमकर मारपीट हुई, डाक्टरों ने दुकानों में घुसकर तोड़फोड़ की और उसके बाद दुकानदारो ने भी हॉस्टल में तोड़फोड़ करके अस्पताल की संपति को क्षति पहुचाई फिर जुनियर डाक्टरों ने चिकित्सा सेवा ठप्प कर दी। घटना का कारण कुछ जूनियर डाक्टरों द्वारा शराब पीकर एक दुकानदार के साथ मारपीट है। पूर्व में भी ऐसी अनेको घटनाये हो चुकी हैं जब किसी मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने पर हुई नोकझोक के कारण जूनियर डाक्टरों ने हंगामा किया और चिकित्सा सेवा ठप्प कर दी। इस तरह की जब भी स्थिति पैदा हुई है डाक्टरों के संगठन IMA ने यथार्थ से हटकर जूनियर डाक्टरों की तरफदारी की है पुरी तरफ असंवेदनशील है यह संगठन अगर आमजन की भाषा में कहें तो यह अपराधियो का, माफियाओ के संगठन की तरह कार्य करता है।

सतीश उपाध्याय, उमेश उपाध्याय और बिजली कंपनियों का खेल

Madan Tiwary : सतीश उपाध्याय पर अरविन्द केजरीवाल ने आरोप लगाये है बिजली के मीटर को लेकर सतीश उपाध्याय बीजेपी के दिल्ली अध्यक्ष हैं। उन्होंने मानहानि का मुकदमा करने की धमकी दी है और आरोपों से इंकार किया है। सतीश जी, शायद केजरीवाल के हाथ बहुत छोटी सी जानकारी लगी है। आप जेल चले जायेंगे सतीश जी। आपके ऊपर करीब चार सौ करोड़ बिजली कंपनी से लेने का मुद्दा बहुत पहले से गरमाया हुआ है और आपके भाई उमेश उपाध्याय की सहभागिता का भी आरोप है। यह दीगर बात है कि पत्रकार बिरादरी भी यह सबकुछ जानते हुए खुलकर नहीं बोल रही है। दिल्ली की जनता को दुह कर दिल्ली की सत्ता को दूध पिलाने का काम करती आ रही हैं बिजली कंपनियां। खैर मुद्दा चाहे जो हो लेकिन एक साल के अंदर बिजली की दर 2:80 प्रति यूनिट से 4:00 प्रति यूनिट करने की दोषी तो भाजपा है ही। देश है, सब मिलकर बेच खाइये। जनता है, किसी न किसी को वोट देगी ही। काश! देश की जनता सही लोगों को चुन पाती या चुनाव बहिष्कार कर पाती। अपने नेताओं से सवाल कर पाती। काश।

कश्मीर में बाढ़ की रिपोर्टिंग का सच : ‘हिन्दुस्तानी कुतिया’ ‘रंडी’ की वो गाली सिर्फ मेरे लिए नहीं थी, सारे मीडिया समाज के लिए था

मैं चारों तरफ से बाढ़ से घिरी हुई थी। रिपोर्टिंग करनी थी। अपने आठ साल की पत्रकारिता में अच्छे बुरे सभी तरह के लोगों से पाला पड़ा लेकिन कभी भी ऐसा अवसर नहीं आया जब महिला पत्रकार होने के नाते खुद पर शर्मिंदगी महसूस हुई हो। छह सितंबर को आई बाढ़ से हजारों लोग प्रभावित थे और मैं अकेली महिला पत्रकार थी जो वहां से रिपोर्टिंग कर रही थी। मेरा घर श्रीनगर के पहाड़ी क्षेत्र निशात में स्थित था जो बाढ़ से प्रत्यक्ष प्रभावित नहीं था। एक तरफ पत्रकारिता का जुनून, दूसरी तरफ परिवार की चिंता। मुझे खीज महसूस हो रही थी। 7 सितंबर को मैंने अंतिम रिपोर्ट अपने मुख्यालय तेहरान भेजा था। अगले पांच दिनों तक मैं यह सोचती रही कि क्या करूं।

मदन ने कविता कृष्णन से चैट को एफबी पर डाला तो भड़क उठी पाखंडी नारीवादी, किया ब्लॉक

मदन तिवारी

Madan Tiwary : “”इश्किया कैंडिल लाईट”” आन्दोलनों का सच। तहलका हिंदी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर “इश्किया कैंडिल लाईट” टाइप आन्दोलनो की असलियत को उजागर किया है। यह लेख अतुल चौरसिया का है। इसमें खुर्शीद अनवर मामले में कविता कृष्णन की भूमिका का भी उल्लेख है। लेकिन इसके पहले कविता कृष्णन के साथ हुई बातचीत को मेरे द्वारा जो फेसबुक पर प्रकाशित किया गया तो उस पर उसकी (कविता कृष्णन की) प्रतिक्रिया को नीचे दे रहा हूं। इस प्रतिक्रिया के बाद ही कविता ने मुझे ब्लाक कर दिया।

यशवंत पर लड़की छेड़ने का एफआईआर कराया इसीलिए वह मेरा विरोधी बन गया है : कविता कृष्णन

विवादित नारीवादी कविता कृष्णन से बिहार के गया जिले के चर्चित वकील मदन तिवारी ने फोन पर लंबी बात की.  कविता कृष्णन पर उठ रहे ढेर सारे सवालों, लग रहे ढेर सारे आरोपों को लेकर मदन तिवारी ने उनसे एक-एक कर विस्तार से बात की. पर अपने पाखंडी स्वभाव के अनुरूप कविता बात करते-करते मदन पर ही भड़क गई और उन्हें नानसेंस तक कह डाला. मतलब ये कि बातचीत करने तक का धैर्य नहीं दिखा सकी. यही हड़बड़ी वह राजनीति और नारीवाद में भी करती है जिसके कारण कई जेनुइन लोग बुरी तरह फंस गए, आत्महत्या करने को मजबूर हुए या उनकी इज्जत तार-तार कर दी गई. कविता की ओछी मानसिकता और टीआरपी खोर महिलावादी सक्रियता को लेकर एक बड़ा खेमा विरोध में खड़ा हो चुका है. इसी सबको लेकर मदन ने कविता से बातचीत की और उनका पक्ष जानना चाहा.

Kavita Krishnan