बहुत से लोग इस समय दैनिक जागरण में नौकरी कर रहे होंगे, तो कुछ नौकरी छोड़ चुके होंगे या कुछ को नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया गया होगा। यहां तक कि कुछ को तो क्रूरतापूर्वक निकाल दिया गया होगा। कुछ ऐसे भी होंगे जो नौकरी के लिए प्रयास कर रहे होंगे। नौकरी आपका पूरा भविष्य तय करती है। इसलिए नौकरी में आने से पहले कंपनी की प्रोफाइल जानना बहुत जरूरी होता है। आपको बताना चाहता हूं कि दैनिक जागरण की ब्रांडिंग पर भरोसा करके अपना भविष्य तय करने से पहले एक बार जरूर सोचें।
दैनिक जागरण में दिक्कतों की शुरुआत तभी हुई, जब बड़ी बड़ी कुर्सियों पर छोटे छोटे लोगों को बैठा दिया गया। शायद यही वजह है कि दैनिक जागरण का कद छोटा होने लगा है। प्रसार संख्या गिर रही है। बड़े बड़े मैनेजरों पर छोटे छोटे मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। छोटे छोटे पत्रकार बड़ी बड़ी गलतियां कर रहे हैं। कंपनी के हुक्मरान बहादुरशाह जफर साबित हो रहे है। अलविदा दैनिक जागरण। तुम समाप्त हो जाओगे तो लिखूंगा तुम्हारा इतिहास।
दैनिक जागरण प्रबंधन के छल, दंभ, द्वेष, पाखंड, झूठ और अन्याय को उजागर करने के लिए हमने कुछ पोस्ट के जरिये अपने अनुभव साझा किए। उस पर जो प्रतिक्रियाएं, धमकियां और सुझाव आए हैं, उनका हमने तहे दिल से स्वागत किया है। अब ऐसा लगने लगा है कि बात सिर्फ फेसबुबिया अंदाज में पूरी होने वाली नहीं है। इस पर तो पूरी किताब लिखनी होगी। तभी तो भावी पीढ़ी दैनिक जागरण जैसे माफिया समूह के अत्याचारों से बच सकेगी।
एक बात और : काले धन पर कड़े कानून का कितना असर होगा, यह देखने वाली बात होगी। ऐसे लोगों पर शिकंजा कैसे कसा जाएगा, जो मीडिया के नाम पर कानून, प्रशासन और पुलिस को अपनी जेब में रखते हैं। जाहिर है अब ऐसे लोग काले धन और काला धन जमा करने वालों को संरक्षण देने के लिए आगे आएंगे और उनके लिए कवच बनने का प्रयास करेंगे।
मीडिया को कानून से ऐसा कोई विशेषाधिकार नहीं मिला है, जिसका इस्तेमाल कर वे कानून को धता बताते फिरें। विडंबना यह है कि मीडिया के नाम पर आज यही सब हो रहा है। यहां तक कि कई बड़े मीडिया घराने मनमानी पर उतारू हैं, लेकिन उन पर रोक लगाने के लिए न तो केंद्र सरकार कोई पहल कर रही है और न प्रदेश सरकारों को इसकी कोई परवाह है।
(श्रीकांत सिंह के फेसबुक वॉल से)
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ट्रांसफर के भय से गणमान्य लोगों से लिखाए पत्र
दैनिक जागरण बांदा कार्यालय के प्रभारी मनोज सिंह शुमाली को इन दिनों ट्रांसफर का भय सताने लगा है। मार्च माह में स्थानांतरण की सूचना मिलने पर उसने नया हथकंडा अपनाया है। इस बार उन्होंने शहर के गणमान्य नागरिक जैसे कि चिकित्सक, व्यापारी समेत अन्य लोगों से अच्छा कार्य करने का प्रशस्ति पत्र ले लिया है। साथ ही 21 मार्च को कानपुर कार्यालय में हुई बैठक में जागरण के अधिकारियों के सामने प्रशस्ति पत्र रखने के लिए ले गए हैं। बता दें कि जिला प्रभारी की आदतों से कार्यालय कर्मचारी ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय एजेंसी जैसे कि तिंदवारी, जसपुरा, नरैनी, गिरवां आदि भी परेशान है। बीते दिनों पाकिस्तान से मछुआरों के छूटने की खबर तिंदवारी से देरी से आने पर जिला प्रभारी ने उनकी खबर तक लगाना बंद कर दिया है और साफ कह दिया है कि जिससे शिकायत करनी हो कर दो वह किसी से नहीं डरते हैं।
Rajesh 7398523729