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‘कैनविज टाइम्स’ लखनऊ में रातोरात 10 पत्रकारों के पेट पर लात मारने की साजिश !

लखनऊ : ‘कैनविज टाइम्स’ की लखनऊ यूनिट में इन दिनों भयंकर अराजकता का महौल है। शीर्ष प्रबंधन का पैगाम लेकर गुरुवार को लखनऊ पहुंचे एचआर हेड कपिल शर्मा ने अचानक पूजा झा, प्रभात तिवारी, अमिता शुक्ला, जगत, साक्षी सिंह परिहार समेत लगभग दस लोगों को कल से (शुक्रवार से) ऑफिस आने के लिए मना कर दिया। 

लखनऊ : ‘कैनविज टाइम्स’ की लखनऊ यूनिट में इन दिनों भयंकर अराजकता का महौल है। शीर्ष प्रबंधन का पैगाम लेकर गुरुवार को लखनऊ पहुंचे एचआर हेड कपिल शर्मा ने अचानक पूजा झा, प्रभात तिवारी, अमिता शुक्ला, जगत, साक्षी सिंह परिहार समेत लगभग दस लोगों को कल से (शुक्रवार से) ऑफिस आने के लिए मना कर दिया। 

पत्रकारिता जगत में ऐसी विडम्बनाएं आम हैं कि कर्मचारी को वजह बताए बगैर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इसलिए इस पर ज्यादा चर्चा करना मतलब टाइम खोटा करना है। अब आते हैं असल मुद्दे पर…। संस्थान में सम्पादक शंभू दयाल बाजपेयी ने काफी स्टाफ भर लिया था, जो एक न एक दिन संस्थान के ऊपर बोझ बनना ही था। तो ऐसे में सबसे कमजोर पेड़ काटने का कुचक्र नितिन अग्रवाल, शंभू दयाल बाजपेयी और कपिल शर्मा द्वारा रचा गया। जब सभी इस घिनौने खेल को अंजाम देने के बाद अनभिज्ञता जाहिर कर रहे थे, ऐसे में कैनविज टाइम्स के ‘नामर्द’ पत्रकार एकजुट होने के बाजए लिस्ट में अपना नाम तो नहीं है, यह जानने के लिए ज्यादा लालायित थे। इस बीच एक सज्जन का नाम छंटनी लिस्ट में न होने और उनकी प्रोन्नति को लेकर भी संस्थान के मीडिया कर्मियों में चर्चाएं हैं। 

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कम्पनी के चेयरमैन कन्हैया गुलाटी से अनुरोध किया गया है कि निष्पक्ष जांच कराकर पत्रकारों को न्याय दिलाया जाए। शंभू दयाल बाजपेयी, नितिन अग्रवाल और कपिल शर्मा के कार्यों की समीक्षा की जाए। किसी के पेट पर लात मारने से पहले इस बात की तस्दीक कर ली जाए। उसने संस्थान के साथ, अपने कर्म के साथ गद्दारी की या वफादारी। चलते-चलते बस गुलाटी जी तक इतनी बात जरूर पहुंचानी है, जिनके घर शीशे के होते हैं, वो पत्थरों से दुश्मनी नहीं करते। ये पत्रकार जरूर हैं पर थोड़े बागी किस्म के !!

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0 Comments

  1. kamlesh pandey

    April 10, 2015 at 7:20 pm

    जो बगावती तेवर का नहीं होगा वह एक उम्दा पत्रकार नहीं हो सकता। हाँ, वह संपादक नहीं बन सकता है।

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