Sheetal P Singh
कल्पेश याग्निक ने आत्महत्या की है। उनके शरीर में मल्टीपल फ़्रैक्चर हुए हैं। वे संभवत: छत से कूद कर मरे हैं। हार्ट अटैक से सीढ़ियों पर गिरकर मृत्यु को प्राप्त होने की खबर मैनेजमेंट ने फैलाई है जिसके प्रमुख सुधीर अग्रवाल ने बीस साल की अनवरत सेवा और आल एडीशन संपादक होने के बावजूद बीते करीब दस दिन से उन्हें मुलाक़ात का समय तक नहीं दिया!
आज दैनिक भाष्कर ग्रुप के सभी एडीशनों के संपादकों की इंदौर में बैठक थी जो स्थगित कर दी गई है। संभवत: इसमें ऐसा कुछ ऐलान होना था जो कल्पित जी के लिये आत्महंता साबित हुआ। हमारे समय में एक संपादक ने जान देकर आजकल संपादक की हैसियत पर यह हलफिया बयान दर्ज कराया है! ये सब जानकारी इंदौर भाष्कर के सूत्रों के जरिए मिली है। अब पोस्टमार्टम हो चुका है। पीएम रिपोर्ट वहाँ के लोकल पत्रकारों के हाथ या तो लग चुकी होगी या कुछ देर में लग जायेगी।
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह की एफबी वॉल से. उपरोक्त स्टेटस पर आए ढेरों कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं…
Deepu Naseer मालिक उनसे क्या चाहते थे? भास्कर की सम्पादकीय नीति अंततः बीजेपी-संघ समर्थक है और कल्पेश याज्ञनिक इसे खूबसूरती (जागरण फूहड़ता से करता है) से अंजाम दे रहे थे।
Satyendra PS कहीं कांग्रेस भाजपा में खबरिया जंग के शिकार तो नहीं हो गए? आजकल भास्कर ने रुख बदल दिया था।
Binay Thakur बेहद खतरनाक और शर्मनाक दौर मे प्रवेश कर रही है पत्रकारिता। उससे भी बड़ी बात यह है कि नेताओ को ये बात नही समझ आ रही कि अगला नंबर उन्ही के गर्दन का है ।लोकतंत्र की लुटिया डूब रही है और सब ताली बजाकर तमाशा देख रहे।
Nazia Naeem इतना भी बड़ा क्या हो सकता है कि आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा…. वह आत्महन्ता हो ‘सकता था’ यह तो हो ही गयी न…
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