लखन सालवी इस दौर का एक ईमानदार युवा पत्रकार है जिसे अब रंगदार बना दिया गया है। मेरे सामने एक एफआईआर है, जो साथी पत्रकार लखन सालवी के खिलाफ राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुन्दा थाने में कला आश्रम के डायरेक्टर ने दर्ज करवाई है। एफआईआर में रंगदारी (ब्लैकमेलिंग), छेड़छाड़, साईबर क्राइम आदि इत्यादि के सनसनीखेज आरोप लगाये गए हैं। इसको पढ़कर पत्रकार सालवी की छवि पत्रकारिता करने वाले पत्रकार की कम, लोगों को धमका कर रुपये पैसे ऐंठने वाले रंगदार की ज्यादा निर्मित होती है।
तो क्या वाकई में रंगदार है लखन सालवी? विगत 12 बरसों से मैं बेहद नजदीकी से इस ज़ुनूनी पत्रकार को देख रहा हूँ, जो अपनी बेबाकी, ईमानदारी और बेख़ौफ़ लेखन के लिये प्रसिद्ध है। जिसने कभी भी किसी से समझौता नहीं किया, न बिका, न झुका और न ही रुका। खरे सोने सा यह पत्रकार आज फर्जीवाड़ों के सरगनाओं के चक्रव्यूह में फंसा हुआ है। चिकित्सा माफिया ने एक निर्भीक कलमकार को झूठे आरोप लगा कर फंसाने की भयंकर साज़िश को अंजाम दे डाला है।
दरअसल लखन सालवी जैसे सैद्धांतिक पत्रकार के पीछे एक कॉलेज का संचालक हाथ धोकर पीछे पड़ गया है। पहले तो प्रलोभन दिया। बाद में धमकियां दी। अब घृणित आरोप लगाकर चरित्र हनन करने और जेल में डालने की कोशिश उपरोक्त संचालक द्वारा की जा रही है।
वैसे भी मीडिया में दलित, आदिवासी एवं घुमन्तु जैसे वंचित वर्गों से गिने चुने पत्रकार ही आते हैं। लेकिन जब वे अपनी ईमानदारी व बेबाकी से मीडिया में अपना अलग स्थान बनाने लगते है तो सम्पन्न व सक्षम वर्ग के लोग वंचित वर्ग के पत्रकारों का दमन करने के लिए एकजुट हो जाते हैं। इस दमन नीति में मीडिया संस्थान व स्वयंभू बुद्धिजीवी भी पीछे नहीं रहते। इसकी बानगी युवा पत्रकार लखन सालवी के खिलाफ की जा रही साजिश को साफ साफ देखी जा सकती है।
राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की सहाड़ा तहसील के कोशीथल गांव के मूल निवासी युवा पत्रकार लखन सालवी (लक्ष्मी लाल) दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वे बहुत ही विषम परिस्थितियों से गुजरते हुए कलम के सिपाही बने हैं। आजकल गोगुन्दा में रहकर पत्रकारिता करते हैं। उनके खिलाफ उदयपुर जिले के गोगुन्दा कस्बे के समीप बांसड़ा गांव क्षेत्र में संचालित ‘कला आश्रम’ आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल के डायरेक्टर दिनेश खत्री ने अदालत के मार्फत एक एफआईआर दर्ज करवाई है।
दर्ज एफआईआर में खत्री ने सालवी पर ब्लैकमेल करने, छेड़छाड़ करने, निजता के अधिकार का हनन करने व आईटी एक्ट का उल्लंघन करने सहित धोखाधड़ी करने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
इससे पूर्व 18 जुलाई 2018 को दिनेश खत्री ने गोगुन्दा पुलिस थाने में इसी आशय की एक रिपोर्ट दी थी, जिस पर जांच करते हुए पुलिस थानाधिकारी भरत योगी ने भादस की धारा 107 व 116 के अंतर्गत कार्यवाही कर रिपोर्ट उपखण्ड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया।
वहीं उपखण्ड मजिस्ट्रेट द्वारा जारी सम्मन के संदर्भ में सालवी ने अपना पक्ष 4 पृष्ठ की एक रिपोर्ट के माध्यम से उपखण्ड मजिस्ट्रेट को दे दिया।
उसके बाद दिनेश खत्री ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष भादस की धारा 156 (3) के तहत परिवाद प्रस्तुत किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर 24 सितम्बर 2018 को लखन सालवी के खिलाफ भादस की धारा 384, 437, 341, 323, 501, 502, 420 व आईटी एक्ट की धारा 65, 66 व 71 के तहत एफआईआर दर्ज कर ली गई। अब एफआईआर के आधार पर गोगुन्दा पुलिस इस मामले की जांच करेगी।
सवाल यह है कि आखिर एक ईमानदार व बेबाक पत्रकार के खिलाफ क्यों दर्ज करवाई गई है एफआईआर ?
पत्रकार लखन सालवी का कहना है कि गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय से पूर्व दिशा में करीब 2 किलोमीटर दूर एनएच-76 पर बांसड़ा गांव के पास कथित कला आश्रम आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पीटल स्थित है। इस कॉलेज के संचालकों द्वारा सेंट्रल काउंसलिंग ऑफ इंडियन मेडिसन (सीसीआईएम) की गाइडलाइन की पालना नहीं की जा रही है।
गाइडलाइन में कई बिन्दु है, परन्तु मुख्य बिन्दु यह है कि सीसीआईएम की गाइडलाइन के अनुसार कॉलेज के साथ आयुर्वेद मेडिकल हॉस्पीटल का संचालन होना अतिआवश्यक है। जिसमें प्रतिदिन कम से कम 120 मरीजों का आउटडोर हो और कम से कम 24 मरीजों का भर्ती वार्ड हो।
पत्रकार सालवी के अनुसार वहां हॉस्पीटल का संचालन नहीं किया जा रहा है। ओपीडी व आईपीडी रजिस्टर में रोजाना फर्जी मरीजों के नाम लिखकर कर हॉस्पीटल व कॉलेज संचालित किया जा रहा है।
लखन सालवी बताते है कि -” मुझे कॉलेज संचालकों द्वारा की जा रही धांधलियों के बारे में जानकारियां मिली थी, साथ ही यह भी जानकारी मिली कि कॉलेज का संचालक इस फर्जीवाड़े की शिकायत करनेवाले लोगों को कोई भी आरोप लगाकर पुलिस थाने में फंसा देता है। उसने पहले भी कई छात्र-छात्राओं व उनके परिजनों के खिलाफ भी पुलिस थाने में रिपोर्ट दी थी। ऐसे में मैंने कॉलेज में जाकर धांधली के संबंध में तथ्य जुटाने का प्रयास नहीं किया। मुझे जानकारी मिली कि यह कॉलेज जोधपुर के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद राजस्थान विश्वविद्यालय से एफिलेटेड है। ”
रंगदारी के आरोपी बना दिये गए पत्रकार लखन सालवी के अनुसार -” प्रतिवर्ष सीसीआईएम की टीम व विश्वविद्यालय की टीम एक बार इस कॉलेज का निरीक्षण करती है। तब मैंने इन टीमों के कॉलेज का निरीक्षण करने आने का इंतजार आरंभ कर दिया। 13 जुलाई 2018 को पता चला कि जोधपुर विश्वविद्यालय से एक जांच टीम कला आश्रम कॉलेज पहुंच रही है तो मैं भास्कर संवाददाता होने के नाते जांच टीम को धांधली के आरोप बताने व जांच के बाद जांच टीम का इंटरव्यू करने की मंशा से कला आश्रम कॉलेज के बाहर पहुंचा। इस दौरान राजस्थान के एक प्रसिद्ध न्यूज चैनल का रिपोर्टर भी मेरे साथ था। ”
सालवी के अनुसार उन्होंने तथा उनके साथी पत्रकार ने कला आश्रम कॉलेज के मुख्य द्वार पर खड़े सुरक्षा गार्डों से जांच टीम के बारे में जानकारी ली, सुरक्षा गार्डों ने बताया कि जांच टीम अभी नहीं आई है, तो वे अपने साथी रिपोर्टर के साथ कला आश्रम कॉलेज के बाहर एक तरफ बैठ गये। तभी एक कार आई, सुरक्षा गार्ड ने कॉलेज का मुख्यद्वार खोला और वो कार अंदर चली गई। तब दोनों पत्रकारों ने अंदर जाने की कोशिश की ,लेकिन उनको अंदर जाने से मना कर दिया गया। कॉलेज का मुख्यद्वार लोहे की एंगल और लोहे की जाली का बना हुआ है, जिससे बाहर से कॉलेज के अंदर का परिसर दिखाई देता है।
सालवी ने बताते है कि कार में से एक महिला व दो पुरूष बाहर निकले। मैंने उन्हें जांच टीम के सदस्य समझ कर आवाज दी, तो वो महिला मुख्यद्वार के पास आई। दरवाजा बंद था, हम बाहर खड़े थे, वो अंदर थी, हमने उससे पूछा कि क्या वो जांच करने आई है, तो उसने जवाब दिया कि वो जांच करने नहीं आई है बल्कि उनकी कोई निजी मीटिंग है और उसने ये भी बताया कि मीटिंग की रिपोर्ट वो राजस्थान सरकार को देंगी और जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगी। ”
उस महिला ने इससे अधिक जानकारी देने से इंकार कर दिया, उसने अपना नाम व पदनाम भी नहीं बताया। उसने लखन सालवी से प्रेस का आई कार्ड मांगा, तब उनके साथी रिपोर्टर गोपाल लोढ़ा ने अपना आईडी कार्ड उसे दिखाया, उस महिला ने आई कार्ड को अपने हाथ में लेकर उसका फोटो खिंच लिया और अंदर चली गई।
दोनो पत्रकार वापस कॉलेज के बाहर हाईवे के समीप चले गए। तभी उन्हें वहां खड़े एक व्यक्ति ने बताया कि वो महिला जांच टीम की सदस्य नहीं है बल्कि कॉलेज संचालक दिनेश खत्री की साथी डॉ. सरोज है। इससे साफ हो गया कि जांच टीम अभी तक कॉलेज नहीं पहुंची थी , तो फिर डॉ. सरोज ने झूठ क्यों बोला ? डॉ. सरोज शर्मा के उक्त व्यवहार से कॉलेज में धांधली होने का आभास और गहरा गया ।
कुछ देर बाद जांच टीम आई और कॉलेज में चली गई। लखन सालवी ने जांच टीम के सदस्यों का पता किया, टीम में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय (जोधपुर) से काय चिकित्सा के विभागाध्यक्ष प्रमोद कुमार मिश्रा, रचना शरीर के विभागाध्यक्ष महेन्द्र कुमार शर्मा और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (जयपुर) के स्वस्थवृत्त के विभागाध्यक्ष कमलेश कुमार शर्मा (विद्यार्थी) शामिल थे।
सालवी ने जांच टीम के सदस्यों के मोबाइल नम्बर जुटा कर उनसे फोन पर बात की लेकिन वहां नेटवर्क की समस्या होने के कारण उनकी ठीक से बात नहीं हो पाई। मीडियाकर्मियों नें कॉलेज के आस-पास के गांवों के लोगों से बातचीत की। जिसमें सामने आया कि आज 13 जुलाई 2018 को कॉलेज के लोग एक काले रंग की बोलेरो जीप लेकर चोरबावड़ी गांव में गए थे तथा वहां से बुजुर्ग लोगों को अपने साथ कॉलेज परिसर में ले गए।
ग्रामीणों से ही ज्ञात हुआ कि जब कभी भी कॉलेज की जांच के लिए कोई टीम आती है तब कॉलेज के लोग गांवों में जाकर बुजुर्ग लोगों को रूपयों का लालच देकर कथित आयुर्वेद चिकित्सालय की आईपीडी में ले जाकर लिटा देते है ताकि जांच टीम को संतुष्ट किया जा सके।
एक-दो वर्ष पूर्व इसी प्रकार गांवों के लोगों को ले जाया गया था, जिनसे इन पत्रकारों ने 13 जुलाई 2018 को ही व्यक्तिगत तौर पर बात कर सत्यता की पुष्टि की। चूंकि 13 जुलाई 2018 को भी चोरबावड़ी गांव के लोगों को आयुर्वेद चिकित्सालय में भर्ती किया गया था इसलिए चोरबावड़ी ग्राम पंचायत के सरपंच नाहर सिंह देवड़ा, उपसरपंच भारत सिंह व उपप्रधान पप्पू राणा भील अपने क्षेत्र के मरीजों से मुलाकात करने पहुंचे। लेकिन कॉलेज के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें कॉलेज के अंदर नहीं जाने दिया।
सरपंच, उपप्रधान व उपसरपंच करीब एक घंटे तक वहां खड़े रहे और जब उन्हें चिकित्सालय में नहीं जाने दिया गया तो उन्हें बिना मरीजों से मिले ही लौट जाना पड़ा। जबकि उस समय चिकित्सालय का ओपीडी समय था। आस-पास के गांवों के कई लोग वहां एकत्र हो चुके थे। कईयों ने आयुर्वेदिक उपचार करवाने हॉस्पीटल में जाना चाहा लेकिन उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया, जिनकी पत्रकारों ने कॉलेज के बाहर से ही विडियो रिकॉर्डिंग की और उनकी बाइट भी रिकॉर्ड की। शाम हो दुबारा लखन सालवी ने जांच टीम के सदस्यों को कॉल कर जांच कार्यवाही के बारे में जानकारी लेनी चाही , लेकिन जांच टीम के सदस्य ने कुछ जानकारी देने से इंकार कर दिया।
तो ये थी 13 जुलाई 2018 की कहानी। लखन सालवी ने उपरोक्त घटना की खबर बनाकर भास्कर के उदयपुर कार्यालय में भेजी लेकिन वो खबर नहीं छपी। दूसरे दिन तक खबर छपने का इंतजार किया गया,लेकिन खबर फिर भी नहीं छपी।
13 जुलाई 2018 के दिन भर के घटनाक्रम के विडियो लखन सालवी के पास मौजूद थे। ऐसे में उन्होंने इस खबर का एक विडियो बनाकर अपने यू-ट्यूब चैनल ‘‘डेली राजस्थान’’ पर अपलोड कर दिया। वो विडियो खूब वायरल हुआ। एक तरह से ये विडियो कला आश्रम कॉलेज में की जा रही अनियमितताओं को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। जिनके जवाब आज तक कॉलेज के संचालकों ने नहीं दिए है।
यू-ट्यूब पर अपलोड विडियो को हटवाने के लिए कला आश्रम के डायरेक्टर ने साम-दाम-दण्ड-भेद की नीतियां अपना ली, लेकिन साहसी व ईमानदार पत्रकार लखन सालवी ने वो विडियो नहीं हटाया। तब उसने सालवी के खिलाफ पुलिस थाने में एक परिवाद दिया।
वहीं लखन सालवी ने भी कॉलेज के डायरेक्टर दिनेश खत्री, डॉ. सरोज शर्मा व कॉल मी कैंडी नाम की गुगल आईडी के खिलाफ पुलिस थाने में परिवाद दिया। जिसमें बताया कि यू-ट्यूब पर अपलोड विडियो को लेकर उनके द्वारा अपशब्दों का उपयोग करते हुए गंदी गालियां दी थी।
यहां यह भी रेखांकित किया जाना जरूरी है कि जब यह घटनाक्रम हुआ तब लखन सालवी भास्कर के संवाददाता के तौर पर गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय पर कार्य कर रहे थे, उसके द्वारा यू-ट्यूब पर अपलोड किए गए विडियो को हटवाने के लिए कॉलेज के संचालक ने पूरा दम लगा दिया। लखन सालवी ने विडियो नहीं हटाया तो कॉलेज संचालक की शिकायत पर उनको संवाददाता पद से हटा दिया गया।
भास्कर से हटा दिए जाने के बाद लखन सालवी एक माह में राजस्थान के तीन प्रमुख टीवी न्यूज चैनल से जुड़े, लेकिन बारी-बारी से उन चैनलों के जयपुर कार्यालय से कॉल कर उन्हें अकारण बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हटाने का सभी ने यही कारण बताया कि कला आश्रम कॉलेज को लेकर उनके खिलाफ रंगदारी की शिकायत की गई है।
अब हालात यह है कि युवा पत्रकार लखन सालवी जिस अखबार या टीवी चैनल को ज्वॉइन करते है, कला आश्रम का संचालक उसकी वहां से छुट्टी करवा देता है। उदयपुर जिला अंचल में यह चर्चा आजकल सुर्खियों में है, वहीं मीडिया जगत में भी यह चर्चा आम है। जिले के पत्रकार हैरान है कि आखिर कला आश्रम आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज के संचालक के ऐसे किन लोगों से कनेक्शन है! जिनके मार्फत वो एक पत्रकार को कहीं टिकने नहीं दे रहा है।
पत्रकारों की हैरानी लाजमी भी है, क्योंकि वो किसी मीडिया हाउस का क्लाइंट भी नहीं है। ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि लखन सालवी का दमन करने में उसके गांव के पास के कस्बे वाले धन्ना सेठ का हाथ है। क्योंकि उस धन्ना सेठ के आगे मीडिया संस्थान नतमस्तक है। उदयपुर शहर के समीप इस धन्ना सेठ का बड़ा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पीटल है।
जानिये कौन है लखन सालवी?
युवा समाजसेवी व साहसी पत्रकार है लखन सालवी। जन मुद्दों के पक्षधर पत्रकार । वो विगत 14 सालों से राजस्थान के विभिन्न अंचलों में कार्य करते हुए जन मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहै है तथा वर्ष 2014 से राजस्थान के उदयपुर जिले के गोगुन्दा उपखण्ड मुख्यालय पर रहते हुए इस क्षेत्र के दलित, आदिवासी एवं घुमन्तु वर्ग के लोगों सहित वंचित वर्ग के मुद्दों को मुखरता के साथ उठाते रहते है ।
बदलाव की उम्मीद में वंचित वर्ग के मुद्दों पर कार्य कर रहे इस युवा को समय-समय पर लोगों ने दबाने की कुचेष्टाएं की है।
इस युवा ने मीडिया में व्याप्त भ्रष्टाचार पर बेबाकी से लेखन कार्य किया है। ‘‘पुलिस पब्लिक प्रेस’’ नाम की न्यूज मैगजीन के मालिक पवन कुमार भूत द्वारा देश के युवाओं को बहला कर पत्रकार बनाने के नाम पर की जा रही ठगी को भी लखन सालवी ने भड़ास फॉर मीडिया डॉटकॉल के माध्यम से पूरी बेबाकी के साथ उजागर किया था।
अपने पर लगे फ़र्ज़ी आरोपों से आहत पत्रकार लखन सालवी पूछते है कि क्या इस देश में कोई है ? जो इस कॉलेज व हॉस्पीटल में जाकर इसकी जांच करें ?
सालवी का सवाल है कि -” अगर कॉलेज का संचालक सही है तो पहले उसे अपने कॉलेज पर लगे आरोपों के जवाब देने चाहिए थे, जो उसने अभी तक नहीं दिए। ”
लखन सालवी जोर देकर कहते है कि -“मेरे द्वारा बनाया विडियो अभी तक यू-ट्यूब चैनल पर मौजूद है। उसे आप देखिए, मैंनें कोई गुनाह नहीं किया है। मैंनें प्रधानमंत्री, आयुष मंत्री श्रीपद येसो नाईक, मुख्यमंत्री सहित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर को इस कॉलेज के संचालकों द्वारा की जा रही धांधली के बारे में पत्र लिखकर इस कॉलेज की मान्यता रद्द करने को लिखा है। इससे कॉलेज संचालक झल्लाया हुआ है तथा मेरे खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवाकर फंसाना चाहता है।”
हैरान करने वाली बात तो यह है कि जब हॉस्पीटल नहीं चल रहा है, 8 विभागों के डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं कर रखी है तो फिर इस कॉलेज में नामांकित नर्सिंग व बीएएमएस के स्टूडेंट को क्या सिखाया जा रहा है ?
यह सवाल बेहद महत्वपूर्ण है जो लखन सालवी ने पूछा है कि-‘इस देश में कोई है ,जो इस कॉलेज व हॉस्पीटल में जाकर इसकी जांच कर सकें ‘
मैं ईमानदार,साहसी और बेबाक पत्रकार लखन सालवी के खिलाफ दर्ज की गई इस दमनकारी रिपोर्ट की कड़ी निंदा करता हूँ और जांच कर रही राजस्थान पुलिस से पुरजोर मांग करता हूँ कि सच्चे पत्रकार लखन सालवी को फंसाने के इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करते हुए झूठे आरोप लगाकर झूठे मामले में एक पत्रकार को आरोपित करने वाले कॉलेज संचालक के खिलाफ कार्यवाही की जाये, साथ ही कला आश्रम की तमाम कलाकारी की उच्च स्तरीय जांच हो ।
यह असत्य और एकदम फर्जी लोगों का दौर है,अब चोरी और सीना जोरी आम बात है ,जो लोग फर्जीवाड़ों से अपना काम चला रहे है,वे तत्व सच्चाई को छिपाने के लिए कलमकारों को जेल भेज देना चाहते है,ताकि वे लोगों को यह मैसेज दे सकें कि उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है ।
पर शायद ये कलाकार यह नहीं जानते कि कलमकार जब ठान लेते हैं तो सच्चाई परत दर परत सामने आने लगती है ,अब कला आश्रम का सच भी पूरे देश के सामने आयेगा।
अंततः सच जीतेगा।
भंवर मेघवंशी
सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतन्त्र पत्रकार