बलिया में पेपर लीक प्रकरण में तीन पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर पत्रकार बिरादरी उद्वेलित है. प्रथम दृष्टया ये मामला नकल रोक पाने में प्रशासनिक तंत्र की विफलता और पत्रकारों को बलि का बकरा बनाए जाने का प्रतीत हो रहा है. अपने अखबार में लीक पेपर छाप देने वाले पत्रकारों दिग्विजय सिंह, अजीत ओझा और मनोज गुप्ता की पेपर लीक को लेकर अब तक संबंधित पुलिस-प्रशासन स्थिति स्पष्ट नहीं कर सका है.
यूपी के तमाम जिलों में पत्रकार आंदोलित हैं. बुधवार को राजधानी लखनऊ के कुछ पत्रकारों ने इस मुद्दे को सरकार व शासन के सम्मुख उठाया. पत्रकारों की गिरफ्तारी और उनकी कथित भूमिका के बावत स्वतंत्र-निष्पक्ष एवं उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई.
इस संबंध में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार, अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल एवं अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी से पत्रकारों के एक समूह ने मुलाकात की. जहां अपर मुख्य सचिव गृह ने दिग्वजिय सिंह के पत्रकार होने का सुबूत मांगते हुए मामले की जांच कराए जाने की बात कही. वहीं, अपर मुख्य सचिव सूचना ने निष्पक्ष जांच हरहाल में सुनिश्चित किए जाने का भरोसा दिया.
मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने इस पूरे प्रकरण को मुख्यमंत्री के सम्मुख प्रस्तुत करने और निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करने का भरोसा दिया.
प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ पत्रकार पीएन द्विवेदी, अजय कुमार, हेमेन्द्र तोमर, ज्ञानेन्द्र शुक्ला, आलोक पाण्डेय, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, अविनाश सिंह, अखंड प्रताप शाही, गौरव सिंह सेंगर, राजवीर सिंह, अंकित श्रीवास्तव, रजनीश पाण्डेय, दिवाकर त्रिपाठी, विवेक तिवारी, राघवेन्द्र पाण्डेय सहित तमाम पत्रकार शामिल थे.
Santosh Dubey
April 6, 2022 at 7:47 pm
यह गिरोह बलिया के पत्रकारों को न्याय दिलाने के लिए नहीं बल्कि मृत्युंजय कुमार को दोबारा सूचना सलाहकार बनाने को लेकर एक सधी हुई रणनीति को लेकर गए थे. इसमे ज्यादातर पत्रकार सत्तादल से जुड़े और मृत्युंजय कुमार की चरण वंदना करने वाले शामिल हैं.