(यूपी के शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र हत्याकांड के खिलाफ दिल्ली में जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन की एक तस्वीर. वरिष्ठ पत्रकार रुबी अरुण समेत कई महिला पत्रकारों ने इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया.)
Kumar Sauvir : यकीन मानिये कि मुझे कत्तई कोई भी जानकारी नहीं है कि आप दलाल-बेईमान हैं या फिर ईमानदार। लेकिन आज मैं दावे के साथ कहना चाहता हूं कि हमारी पूरी की पूरी न सही, लेकिन अधिकांश पत्रकार-बिरादरी सिर्फ दलाली ही करती है। बेईमानी तो इनके रग-रग में रच-बस चुकी है। गौर कीजिए ना कि शाहजहांपुर के जांबाज, लेखनी-सैनानी और जुझारू पत्रकार जागेन्द्र सिंह ने सत्य-उद्घाटन के लिए अपनी जान दे दी, मगर सत्य के सामने सिर नहीं झुकाया। नतीजा, मंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर उसके पालतू पुलिस कोतवाल, पत्रकार और अपराधियों ने उसे जिन्दा फूंक डाला।
इस रोंगटे खड़ा कर देने वाले इस नृशंस-जघन्य हत्याकाण्ड पर सहारनपुर से लेकर बलिया, आगरा से लेकर जौनपुर और बनारस से लेकर झांसी तक पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया। मगर लखनऊ में हमारी पत्रकार बिरादरी इस प्रकरण पर सिर्फ खामोश है। बल्कि अपनी इस खामोशी को जायज साबित करने के लिए जागेन्द्र आत्मदाह काण्ड के नुक्ते खोज-बीन रही है। वह अफसरों के तलवे चाट रहे हैं, पीडि़त परिवार के लिए पेशकशों का भण्डार खोलने की पेशकशों की झड़ी लगाये हुए हैं।
इनसे तो लाख बेहतर हैं दिल्ली के पत्रकार, जो जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर चुके हैं और 19 जून को फिर प्रेस क्लब आफ इंडिया में बैठक कर मुलायम के बंगले तक मार्च करने वाले हैं. मगर राजधानी लखनऊ में एक भी पत्ता नहीं खडकाया है इन स्वनामधन्य पत्रकारों ने। उनकी जुबान अभी तक खामोश है। लेकिन याद रखना दोस्त:- आज हम पर हमला हुआ हो और तुम खामोश हो। लेकिन जब तुम पर हमला होगा, तो फिर कौन होगा तुम्हारे साथ?
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से.