सोनभद्र के अनपरा, ओबरा, रेनूसागर, शक्तिनगर, बीजपुर जैसे विद्युत उत्पादन गृहों, हिण्डालकों, हाईटेक कार्बन, सीमेन्ट कारखाने, बिरला कैमीकल्स जैसे उद्योगों में कार्यरत संविदा श्रमिकों की ग्रेच्युटी की लूट हो रही है। इन उद्योगों में नियमों और कानूनों का उल्लंधन करके स्थायी प्रकृति के कामों में संविदा श्रमिकों से काम कराया जाता है। यह संविदा श्रमिक अपनी पूरी जिन्दगी एक ही स्थान पर काम करते है। इन्हें सेवानिवृत्ति, मृत्यु या छटंनी पर ग्रेच्युटी का एक पैसा नहीं मिलता है। गौरतलब है कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 की धारा 4 के अनुसार पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरा होने पर ही श्रमिक ग्रेच्युटी भुगतान का लाभ प्राप्त कर सकता है।
इसी अधिनियम के अनुसार हर श्रमिक को उसकी सेवानिवृत्ति, मृत्यु अथवा छंटनी के समय जितने वर्ष उसने उद्योग में कार्य किया है प्रति वर्ष के 15 दिन के वेतन के हिसाब से ग्रेच्युटी का भुगतान प्रबंधन को करना होता है। इस कानूनी अधिकार का लाभ सोनभद्र औद्योगिक क्षेत्र में किसी भी उद्योग में कार्यरत संविदा श्रमिकों को नहीं दिया जाता। यहां उद्योगों में कई-कई फर्मो के नामों से संविदाकार काम कराते है। यह संविदाकार पांच वर्ष पूर्ण होने के पूर्व ही फर्म का नाम बदल देते है। संविदा श्रमिक वहीं रहते है संविदाकार भी वहीं रहते है पर फर्म बदल जाती है इस खेल के जरिए करोड़ों रू0 ग्रेच्युटी का संविदा श्रमिक का लूट लिया जाता है। इसके लूट के खिलाफ लगातार यूपी वर्कर्स फ्रंट और उससे सम्बद्ध ठेका मजदूर यूनियन आवाज उठाते रहे। इस सम्बंध में उपश्रमायुक्त को पत्रक भी दिए गए थे पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
कल हिण्डालकों के रेनूसागर पावर डिवीजन के कोल हैण्डलिंग विभाग में संविदाकार कुमार कन्सटैªक्शन में कार्यरत चालीस मजदूरों को संविदाकार विष्णु कन्सटैªक्शन में और विष्णु कन्सटैªक्शन के श्रमिकों को कुमार कन्सटैªक्शन में प्रबंधन द्वारा किया गया था। यह सभी श्रमिक करीब बीस सालों से कोल हैण्डलिंग प्लांट में एक ही जगह काम कर रहे है। प्रबंधन की यह कार्यवाही महज इन संविदा श्रमिकों की ग्रेच्युटी की लूट के लिए थी। इसके खिलाफ मजदूरों में आक्रोश फैल गया और प्रबंधन द्वारा सुनवाई न करने पर कल सुबह 6 बजे पहली शिफ्ट के साथ ही संविदा श्रमिक अपने जायज कानूनी अधिकार के लिए घरने पर बैठ गए।
इन संविदा श्रमिकों के समर्थन में पूरे पावर प्लांट के संविदा श्रमिक घरने पर आ गए और उन लोगों ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी। आंदोलनरत संविदा श्रमिकों को प्रबंधन और पुलिस प्रशासन ने बार-बार धमकी दी, फर्जी मुकदमें में फंसाने के लिए झूठी तहरीर थाने में डलवाई गयी, शांतिपूर्ण जारी घरने पर उकसावामूलक कार्यवाही की। पर श्रमिक धैर्य से सत्य के पक्ष में अपने आंदोलन में डटे रहे। प्रबंधन से दिनभर ठेका मजदूर यूनियन के नेताओं द्वारा वार्ता करने का प्रयास किया गया परन्तु इस लूट में रंगे हाथ पकड़ा गया प्रबंधन वार्ता से भाग रहा था।
रात में वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने जिलाधिकारी से दूरभाष पर बात की। इसके बाद रात 12 बजे उपश्रमायुक्त सोनभद्र वार्ता के लिए रेनूसागर पहुंचे। जहां रातभर चली वार्ता के बाद सुबह पांच बजे लिखित समझौता हुआ जिसमें प्रबंधन को संविदाकार बदलने के अपने फैसले को वापस लेना पड़ा, ग्रेच्युटी भुगतान की जिम्मेदारी प्रबंधन की तय की गयी, आंदोलनरत श्रमिकों का किसी भी प्रकार का उत्पीड़न न करने और संविदा श्रमिकों की अन्य मांगों पर 8 जून को उपश्रमायुक्त कार्यालय में वार्ता की तिथि को तय किया गया। वार्ता में प्रबंधन, संविदाकार व प्रशासन के प्रतिनिधि के बतौर थानाध्यक्ष अनपरा और संविदा श्रमिकों के प्रतिनिधि के बतौर ठेका मजदूर यूनियन के जिला उपाध्यक्ष राम नरेश यादव, कुलदीप पाल, मुन्ना चंद्रवंशी, नागेन्द्र चौहान, शिव यादव, हीरालाल, चांदगी यादव शामिल रहे। इस आंदोलन में मदद के लिए ठेका मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र पाल के नेतृत्व में एक टीम अनपरा तापीय परियोजना से भी लगातार रही। इस टीम में तेजधारी गुप्ता, मुश्ताक अहमद, केदार सिंह, गणेश सिंह शामिल रहे।
राम नरेश यादव
जिला उपाध्यक्ष
ठेका मजदूर यूनियन, सोनभद्र।