कहते हैं व्यक्ति का कार्य बोलता है, आपका एक अच्छा कर्म जहां अनेक जीवन संवारता है, वहीं उस एक कार्य से अनेक हुए प्रभावित आगे अच्छाई की श्रृंखला तैयार करते हैं। मध्य प्रदेश में पत्रकारिता शोध एवं अध्ययन के साथ ही इस दिशा में भावी पीढ़ी को तैयार कर रहा माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति पद से दीपक तिवारी ने जैसे ही इस्तीफा दिया, सभी को फिर एकबार वरिष्ठ पत्रकार जिन्होंने युगधर्म, जनसत्ता, इंडिया टुडे, हिन्दुस्थान समाचार सहित कई प्रमुख समाचार पत्रों एवं समाचार एजेंसियों में अपनी सेवाएं दी और फिर कुलपति रहते हुए इस विश्वविद्यालय में श्रेष्ठ कार्य की एक सीधी, कम समय में ही लम्बी रेखा खींची थी, ऐसे जगदीश उपासने याद आ गए।
विद्या और पत्रकारिता शोध से जुड़े विद्वानों को ही नहीं अन्य तमाम लोग हैं, जिन्हें आज फिर लगता है कि उपासने जी को एकबार इस विश्वविद्यालय के लिए अपना समय बतौर कुलपति दोबारा देना चाहिए इसलिए कि जिन अच्छे कार्यों एवं योजनाओं पर उनके रहते यहां कार्य आरंभ हुआ था, उनके जाने के बाद वह फाइलों में गुम कर दिए गए। पत्रकारिता क्यों और किसलिए करें, विश्वविद्यालय की यूएसपी यानी कि यूनिक सेलेक्शन प्वॉइंट या यूनिक सेल्स प्रपोजिशन क्या है, हम किसलिए पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आए और जीवन में पत्रकार ही क्यों बनना चाहते हैं, हमारी अपनी यूएसपी क्या है, जब आगे बढ़ने के तमाम अवसर हमारे सामने विद्यमान हैं? वस्तुत: ऐसे कई सवाल हैं, जिनके उत्तर कुलपति, शिक्षक और एक वरिष्ठ अध्येता व पत्रकार के रूप में जगदीश जी ने जब भी दिए, हर कोई सुननेवाला छात्र, शिक्षक या अन्य कोई ही क्यों न हो, वह इस पेशे की पवित्रता को नमन करने से अपने को रोक नहीं सका है।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से उपासने जी ने तीन जनवरी 2019 को त्यागपत्र दिया था, जिसके बाद 24 फरवरी को इस विश्वविद्यालय को नए कुलपति मिले किंतु उसके बाद जिस तरह से यहां राजनीति शुरू हुई। कभी विश्वविद्यालय के कैंपस बंद करके, तो कभी फैकल्टी की जातिवादी टिप्पणियों के सामने आने से लेकर छात्रों के अपने हक में किए गए आन्दोलनों तक। इतना ही नहीं तो शिक्षा मनीषियों को विचारधारा के नाम पर टारगेट करने का जो सिलसिला यहां चालू हुआ, वह अबतक लगातार चलता दिखाई दिया है।
जब उपासने जी ने यहां अपने पद से इस्तीफा दिया था, उस समय राज्यपाल के नाम इस विश्वविद्यालय का ज्ञापन सामने आया था, वस्तुत: आज फिर एकबार उस ज्ञापन का स्मरण हो आया है, इसमें छात्र कहते दिखे कि किस तरह से उन्होंने अल्प समय में इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय को देशभर में ऊंचा मुकाम हासिल करवाया है। छात्र यहां कहते हैं कि जब से यह सूचना समस्त छात्रों को मिली है कि श्री उपासने जी ने इस्तीफा दिया है, तभी से सभी विद्यार्थी अपने कुलपति के लिए व्यथित हैं। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को श्री जगदीश उपासनेजी जैसा कुलपति न आज तक मिला है और न भविष्य में मिल सकता है। श्री जगदीश उपासने पत्रकार के साथ ही अच्छे संगठक, मार्गदर्शक हैं। उन्होंने बहुत ही कम समय में विश्वविद्यालय और छात्रों के लिए जो अनुकरणीय कार्य किए हैं तथा उनसे बेहतर छात्रों की पीढ़ा कोई नहीं जान सका है। आज इस विश्वविद्यालय के हर विभाग के पास सौ प्रतिशत कैंपस है, रोजगार है, इसके पीछे निश्चित ही कुलपति उपासने जी का पूर्ण योगदान है। इसलिए आप उनका दिया गया इस्तीफा नामंजूर कर दें और समस्त पत्रकारिता छात्रों के हित में उन्हें विश्वविद्यालय का कुलपति बनाए रखें।
वस्तुत: पत्र के इस कथन से समझा जा सकता है कि जब उपासने जी यहां से अपना पद छोड़कर जा रहे थे, तब किस तरह से इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उनका सानिध्य लगातार पाना चाह रहे थे। कहना नहीं होगा कि नई परिस्थितियों में इन सभी स्थितियों में परिवर्तन आएगा। जो योग्य है, उसे उचित स्थान और सम्मान मिले लेकिन अयोग्यता को पूजित करना कहीं से भी उचित नहीं माना जा सकता। यहां ध्यान रहे कि अयोग्यता सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रहती, यदि डिग्री होने के बाद भी कोई विद्यार्थियों के सामने सही योग्यता का परिचय नहीं दे रहा है तो उसे कैसे श्रेष्ठ माना जा सकता है। निश्चित ही अब इन स्थितियों में परिवर्तन आएगा, ऐसी आशा की जा सकती है।
इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय को फिर जगदीश उपासने की सेवाएं आज मिलना चाहिए, अवसर भी अनुकूल है और जिन परिस्थितियों में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था, वे परिस्थितियां भी आज नहीं रही हैं, ऐसे में यह सुझाव है कि सरकार फिर एकबार पत्रकारिता क्षेत्र एवं इस पेशे की पवित्रता को देखते हुए उनकी सेवाएं पुन: प्राप्त कर सकती है। वे आज हिन्दी पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर हैं, जिन माखनलाल चतुर्वेदी जी को हिन्दी भाषा बोध, ज्ञान एवं सौन्दर्यता के लिए याद किया जाता है, उसके नाम से बने इस विश्वविद्यालय में यदि फिर से जगदीश जी आते हैं तो निश्चित ही हिंदी पत्रकारिता में बढ़ती भाषाई अराजकता और हिंग्लिश की ओर जा रही युवा पीढ़ी को सही दिशा मिलेगी। इतना ही नहीं, बहुत कुछ ऐसा अवश्य है जिसे वे पूर्व में अपने अनुभव से इस विश्वविद्यालय और मध्य प्रदेश को देना चाहते थे, किंतु परिस्थितिवश न दे सके थे, उन सभी योजनाओं एवं संकल्पों को पूर्ण प्राप्त करने का यह उचित समय है।
लेखक मयंक चतुर्वेदी फिल्म प्रमाणन बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य एवं पत्रकार हैं। संपर्क- mayankhs04@gmail.com