अक्टूबर 2015, अगस्त 2016, जनवरी 2017 और अभी मई 2017… इतने लम्बे समय से दैनिक जागरण विज्ञापन जारी करके मीडिया कर्मी ही ढूंढ रहा है। अरे भई साफ लिखो न कि हमको पत्रकार नहीं, मजदूर चाहिए जो न तनख़्वाह मांगे और न ही मजीठिया वेज बोर्ड। नौकरी के लिए जारी विज्ञापनों में दैनिक जागरण ने बायोडाटा भेजने के लिए पहले तो मेल आईडी [email protected] देता रहा, अब [email protected] पर रिज्यूम मांग रहा। लेकिन [email protected] पर कोई भी मेल सेंड नहीं कर पा रहा।
जागरण में प्रकाशित वो विज्ञापन जिसमें बायोडाटा भेजने के लिए जिस मेल आईडी का उल्लेख किया गया है, वह काम नहीं कर रहा.
बहुत सारे लोगों ने जागरण के जाब वाले विज्ञापन में फर्जी मेल आईडी होने की शिकायत की है.
बहुत सारे लोगों ने शिकायत की है कि दैनिक जागरण ने मीडियाकर्मियों की भर्ती के लिए जिस मेल आईडी पर बायोडाटा मांगा है, वह काम नहीं कर रहा। इसे क्या समझा जाए। यह मीडियाकर्मियों से मजाक नहीं तो और क्या है। वैसे भी कहा जाता है कि जिस अखबार में डिजाईनर मजदूर भरे हों वहां टैलेंट की क्या जरूरत। इधर एक नई जानकारी भी सामने आई है कि खुद को अभिव्यक्ति की आजादी का पैरोकार बताने वाला दैनिक जागरण अपने ही आफिस में दूसरी वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा रखा है ताकि उसके इंप्लाई कहीं बागी न हो जाएं। दैनिक जागरण ऑफिसों में भड़ास4मीडिया डाट काम समेत कई वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाना दरअसल दैनिक जागरण के मालिकों और संपादकों की सामंती मानसिकता को दर्शाता है जो लेखन, विचार और समाचार के जिस पेशे में हैं, उसी पेशे पर कुठाराघात करने में जुटे हुए हैं।
फर्जी मेल आईडी देकर बेरोजगारों का माख़ौल उड़ाने वाला जागरण ग्रुप एक ओर तो छंटाई करने में जुटा है ताकि मजीठिया न देना पड़े, वहीं नए कर्मियों की भर्ती के लिए बेचैन दिख रहा है पर इसके लिए सही मेल आईडी तक नहीं दे पा रहा है। यह है देश के कथित सबसे बड़े अखबार का अलोकतांत्रिक और अराजक चेहरा।
आशीष चौकसे
पत्रकार एवं ब्लॉगर
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