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लो जी, राष्ट्रवादी सरकार ने न्यूज चैनलों में विदेशी निवेश की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 फीसदी कर दिया

खुद को राष्ट्रवादी कहने वाली भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने कांग्रेस के नक्शेकदम पर चलते हुए मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने का फैसला कर लिया है. अब न्यूज चैनलों में 26 की जगह 49 फीसदी विदेशी निवेश हो सकेगा. यही भारतीय जनता पार्टी कहा करती थी कि न्यूज और मीडिया में विदेशी पैसा लगने से विदेशी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, राष्ट्रीय संस्कृति और भारतीय समझ को खतरा पैदा होगा लेकिन इसी पार्टी ने केंद्र की सत्ता में आते ही न्यूज चैनलों में निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है.

<p>खुद को राष्ट्रवादी कहने वाली भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने कांग्रेस के नक्शेकदम पर चलते हुए मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने का फैसला कर लिया है. अब न्यूज चैनलों में 26 की जगह 49 फीसदी विदेशी निवेश हो सकेगा. यही भारतीय जनता पार्टी कहा करती थी कि न्यूज और मीडिया में विदेशी पैसा लगने से विदेशी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, राष्ट्रीय संस्कृति और भारतीय समझ को खतरा पैदा होगा लेकिन इसी पार्टी ने केंद्र की सत्ता में आते ही न्यूज चैनलों में निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है.</p>

खुद को राष्ट्रवादी कहने वाली भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार ने कांग्रेस के नक्शेकदम पर चलते हुए मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश को बढ़ावा देने का फैसला कर लिया है. अब न्यूज चैनलों में 26 की जगह 49 फीसदी विदेशी निवेश हो सकेगा. यही भारतीय जनता पार्टी कहा करती थी कि न्यूज और मीडिया में विदेशी पैसा लगने से विदेशी संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा, राष्ट्रीय संस्कृति और भारतीय समझ को खतरा पैदा होगा लेकिन इसी पार्टी ने केंद्र की सत्ता में आते ही न्यूज चैनलों में निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत कर दिया है.

यही नहीं, नान न्यूज चैनलों में सौ फीसदी विदेशी निवेश को ओके कर दिया गया है. इसी तरह डीटीएच में सौ फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी भाजपा सरकार ने दे दी है. माना जा रहा है कि यह कदम भारतीय मीडिया मालिकों को खुश करने के लिए उठाया गया है. प्रिंट मीडिया के मालिक पहले से ही भाजपा से खुश हैं क्योंकि मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ये मालिक नहीं लागू कर रहे हैं और इस मसले पर केंद्र सरकार ने भरपूर चुप्पी साध रखी है.

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ज्ञात हो कि आज मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं जिसमें न्यूज चैनलों में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 26 से 49 प्रतिशत किया जाना भी है. कहा जा रहा है कि ये सब कुछ देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए मोदी सरकार ने किया है. मीडिया सहित करीब 15 क्षेत्रों में विदेशी निवेश के नियमों को बदला गया है. कुछ क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढ़ाई गई है. कुछ क्षेत्रों में विदेश निवेश के नियमों को आसान किया गया है, जिन अहम क्षेत्रों में एफडीआई के नियमों को आसान किया गया है उनमें कंट्रक्शन का काम भी शामिल है.

बिहार में हार के बाद विदेशी निवेश पर मोदी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. रक्षा समेत 15 क्षेत्रों में निवेश के नियम आसान कर दिए गए हैं. न्यूज चैनल में 26 की जगह 49 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिल गई है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विदेशी निवेश पर लिए गए फैसलों की जानकारी दी.रक्षा, ब्रॉडकास्टिंग, प्राइवेट बैंकिंग, एग्रीकल्चर, प्लांटेशन, माइनिंग, सिविल एविएशन, कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट, सिंगल ब्रांड रिटेल, कैश एंड कैरी होलसेल और मैन्युफैक्चरिंग समेत 15 सेक्टरों में विदेशी निवेश के नियम आसान किए गए हैं. ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के तहत गैर-खबरिया चैनल में 100 फीसदी विदेशी निवेश की छूट को आसान बनाया गया है.

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न्यूज चैनल में विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी कर दी गई है. डीटीएच और केबल नेटवर्क में 100 फीसदी विदेशी निवेश को मंजूरी दी गई है. विदेशी निवेश के लिए पहले से तय कई शर्तें हटाई गई हैं ताकि निवेश आसान हो सके. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ये फैसले एक दो दिन के नहीं हैं महीनों इन पर काम हुआ है. इन्हें बिहार चुनाव में हार से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. विदेशी निवेश पर मोदी सरकार के बड़े कदम ने आर्थिक सुधार पर उठ रहे सवालों पर विराम लगा दिया है. कंस्ट्रक्शन सेक्टर में विदेशी निवेश को बेहद आसान बना दिया गया है.

सरकार ने कंस्ट्रक्शन सेक्टर में विदेशी निवेश पर ज्यादा जोर दिया है. विदशी निवेश के लिए प्रोजेक्ट का आकार कम से कम 20 हजार वर्ग मीटर होने की शर्त हटा दी गयी है. विदेशी निवेशकों पर कम से कम 50 लाख डॉलर यानी करीब 32.5 करोड़ लाने की शर्त नहीं होगी. एक प्रोजेक्ट में निर्माण के हर चरण में अलग-अलग विदेशी निवेश हो सकता है. प्रोजेक्ट पूरा होने के पहले विदेशी निवेशक अपना पूरा पैसा निकाल कर ले जा सकता है, बशर्तें हर चरण में पैसा लगाए कम से कम तीन साल हुआ हो. निजी बैंक में कोई भी विदेशी निवेशक 74 फीसदी तक पैसा लगा सकता है. देसी या विदेशी निर्माता सरकार की मंजूरी के बगैर अपना सामान वेबसाइट के जरिए बेच सकेंगे. रीजनल एयरलाइंस में 49 फीसदी तक विदेशी निवेश की इजाजत दी गयी है.

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दिल्ली से भड़ास के विशेष संवाददाता राजीव शर्मा की रिपोर्ट.

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