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सुख-दुख

पीएम मोदी ने अपनी ही सेना के खिलाफ बयान दे दिया!

श्याम मीरा सिंह

सभी देशवासियों को बधाई, पूरे विश्वभर में आपके प्रधानमंत्री की ईमानदारी की प्रशंसा हो रही है. जहां तक कि चीनी मीडिया (CGTN के न्यूज प्रोड्यूसर) के पत्रकारों ने भी आपके प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन किया है. कि हां भारतीय सीमा पर किसी ने अतिक्रमण नहीं किया है. जो भी घटना बीते दिनों में हुई है वह चीनी धरती पर हुई है, न कि भारतीय धरती पर.

यदि भारतीय सैनिक, भारतीय धरती पर शहीद नहीं हुए हैं तो इसका मतलब है कि वे चीनी जमीन पर शहीद हुए हैं. और यदि ऐसा है तो इसका अर्थ ये है कि अतिक्रमणकारी चीनी सैनिक नहीं बल्कि भारतीय सैनिक थे. और यदि भारतीय सैनिक किसी स्वतंत्र और सम्प्रभु देश की सीमा में घुसेंगे तो प्रतिरोध स्वरूप उनपर किया गया हमला भी जायज है. कम से कम अंतराष्ट्रीय स्तर पर तो यही माना जाएगा कि भारतीय सैनिकों ने अतिक्रमण किया है तो सेल्फ डिफेंस में उनकी हत्या किया जाना जायज है और ऐसा करके चीन ने कुछ अधिक गलत नहीं किया है.”

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प्रधानमंत्री के बयान का बृहद अर्थ भी इस बात का समर्थन करता है कि हमला चीनियों ने नहीं, भारतीयों ने चीनी सीमा में जाकर किया है.

यही बात तो भारतीय प्रधानमंत्री की अदा में चतुर्युग वृद्धि करती है. भारतीय प्रधानमंत्री का राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय दबाव की परवाह किए बिना भारतीय सेना के अतिक्रमण की बात स्वीकार करना उन्हें अन्य राष्ट्र प्रमुखों से अलग बनाता है. भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने ही सैनिकों के विरुद्ध बयान दे दिया है. क्या आपने पहले कभी इतना ईमानदार प्रधानमंत्री देखा है? जिसकी बात का समर्थन दुश्मन देश की मीडिया भी कर रही है।

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राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय कानूनों के हिसाब से सेल्फ डिफेंस में हमलावर की जान ले लेना भी कोई अपराध नहीं है. पूरी दुनिया के सामने चीनी मीडिया अब इस तर्क को रख सकेगी कि चीन ने नहीं किया था. चीनी सरकार भी अंतराष्ट्रीय मंचों पर दुनिया को बता सकती है कि हम तो किसी की सीमा में घुसे ही नहीं, और कोई दूसरा हमारी सीमा में घुसेगा तो हम तो रिटेलिएट करेंगे ही. अपने इस तर्क को सही साबित करने के लिए चीनी सरकार, भारतीय प्रधानमंत्री के बयान को दिखा सकती है. और फिलहाल चीनी मीडिया, भारतीय प्रधानमंत्री के बयान को प्रमुखता से छाप भी रही है.

ये अपने आप में एक अभूतपूर्व दृश्य है, ऐसा पहली बार हो रहा है कि चीनी मीडिया, भारतीय प्रधानमंत्री की भाषा बोल रही है और भारतीय प्रधानमंत्री चीनी प्रधानमंत्री की भाषा बोल रहे हैं। युद्ध जैसे माहौल में भी ऐसी खबर का आना देश के प्रत्येक नागरिक के लिए गौरव का विषय होना चाहिए। मेरी सलाह है कि गौरवांवित करने वाले इस पल को सेलेब्रेट करने के लिए सभी भारतीय नागरिक आज रात 8 बजकर 8 मिनट पर 8 दीपक जलाएं. यदि आज रात से कल सुबह तक उपवास भी रह सकें तो और अधिक गर्व की बात होगी।

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भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने बयान से दोनों देशों को नजदीक ला दिया है, चीनी मीडिया और भारतीय मीडिया दोनों ही भारतीय प्रधानमंत्री की इस खबर पर फिदा हैं. चीनी मीडिया इसलिए कि वह दिखा रही है कि हमने तो हमला किया नहीं, हमने तो रिटेलिएट किया है सिर्फ. भारतीय मीडिया इसलिए फिदा है कि वह प्रधानमंत्री के बयान के आधार पर यह प्रचारित कर सकती है कि भारत ने चीन की सीमा में घुसकर मारा है. प्रधानमंत्री के बयान से दोनों देश के नागरिक तुष्ट हैं, दोनों मुल्कों की मीडिया खुश है. दोनों देशों की मीडिया ने मान लिया है कि भारतीय प्रधानमंत्री सच बोल रहे हैं. फिर शायद भारतीय सैनिक ही झूठ बोल रहे हैं कि उनपर हमला हुआ है.

मैं एथेंस (यूनान) की नोबेल समिति को भी सलाह देता हूँ कि यही सही वक्त है कि वह भारतीय प्रधानमंत्री को नोबेल शांति पुरुष्कार से नामांकित करे ताकि दुनिया के अन्य शासकों में भी ये संदेश जा सके कि कैसे एक मुल्क के प्रधानमंत्री ने अपने देश के हितों को त्यागकर पड़ौसी मुल्क के हित के बारे में सोचा. ऐसा युगपुरुष फिर कभी इस धरती पर पैदा होगा कि नहीं। मालूम नहीं है।

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भारतीय मीडिया और आईटी सेल को भी मेरी एक सलाह है कि ये एकदम सही मौका है, जब वह बहुप्रचारित करे कि उनका प्रधानमंत्री इतना मजबूत है, इतना मजबूत है… कि अपने ही देश की सेना के खिलाफ बयान देने में भी वह पीछे नहीं हटता. ये कोई पाकिस्तान का प्रधानमंत्री नहीं है जो अपनी आर्मी से दबकर रहे, जो वहां की आर्मी बोलती है, वही वहां के प्रधानमंत्री को बोलना पड़ता है. हमारा प्रधानमंत्री अनोखा है, हमारा प्रधानमंत्री यूनिक है, हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री के पास 1 हजार 56 इंच का सीना है. उसे अपने ही देश के सैनिकों को झूठा साबित करना पड़े तो वह कर सकता है. वह किसी से नहीं डरता, न विपक्ष से, न पत्रकारों से, न सेना से, न सैनिकों से और न ही आलोचनाओं से. मानवता के लिए जो भी दूरगामी कदम उठाना पड़े वह उठाता है. आज मानवता के लिए उसे अपने ही देश की सेना के विरुद्ध बयान देना पड़ा है. ये शिव की तरह जहर का घूंट पीने जैसा है.

मैंने तो इतना ईमानदार प्रधानमंत्री आजतक कहीं नहीं देखा है, न पढ़ा है. आपने देखा है क्या?

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