Mukesh Kumar : अर्नब गोस्वामी की नीयत मुझे ठीक नहीं लगती। जिस तरह से चमचागीरी वाले अंदाज़ में उन्होंने पीएम को जन्मदिन पर बधाईयाँ दीं, उससे पता चलता है कि वे मोदी से सटने की कोशिश कर रहे हैं। इसके पहले मोदी का नवनीत लेपन मार्का इंटरव्यू और हर रोज़ सरकार का ढोल पीटना बताता है कि उनके इरादे पत्रकारिता से इतर कुछ और भी हैं। विनीत जैन के कहने से वे ऐसा कर रहे होंगे, ये मुझे नहीं लगता।
मेरी समझ यही कहती है कि वे राजनीति में जाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने अपना दाँव उस नेता और उस पार्टी पर लगा दिया है जिसके सितारे अभी बुलंद दिखलाई दे रहे हैं। हालाँकि राजनीति में अर्श से फर्श पर आने में देर भी नहीं लगती। लेकिन इतना जुआ तो खेलना पड़ता है। लगे रहो अर्नब भाई।
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की एफबी वॉल से.