भोपाल : हरदा के करीब चार अगस्त 2015 की रात एक ही जगह दो ट्रेन हादसे का शिकार हो गईं। इसमें 28 लोगों की मौत हो चुकी है। रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने इस हादसे को प्राकृतिक आपदा बताया है। रेलवे प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बताया कि हादसे से आठ मिनट पहले इसी रूट पर अन्य ट्रेनें निकलीं, लेकिन उनके ड्राइवरों को किसी खतरे का अंदेशा नहीं हुआ। सक्सेना के मुताबिक, किसी बांध के टूटने से फ्लैश फ्लड (अचानक बाढ़ आना) की स्थिति पैदा हुई होगी। बाढ़ के पानी की वजह से ट्रैक के नीचे की मिट्टी निकल गई होगी और पटरियां धंस गई होंगी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन एके मित्तल ने भी अचानक से बाढ़ आने का अंदेशा जताया है। हालांकि, हादसे की असल वजह पता लगाने की कोशिश की जा रही है। मामले की सीआरएस (कमिश्नर रेलवे सेफ्टी) जांच के आदेश दिए गए हैं।
कामायनी एक्सप्रेस रात करीब 11.10 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुई। ट्रेन भिरंगी स्टेशन से निकली थी। 11.25 पर इसे हरदा पहुंचना था। हादसे की सूचना रात करीब 12.30 बजे इटारसी स्टेशन को मिली। इसके दस मिनट बाद जनता एक्सप्रेस के भी हादसे का शिकार होने की खबर मिली। काली माचक नदी का पुल पार करते ही कामायनी एक्सप्रेस हादसे का शिकार हो गई। पहले खबर आई कि नदी के पुल पर ही हादसा हो गया। बाद में रेलवे प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने बताया कि हादसा पुल से कुछ दूर आगे पुलिया पर हुआ। अगर हादसा नदी के पुल पर होता तो बड़ा नुकसान हो सकता था।
रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा से पूछा गया कि एक ट्रेन के हादसे के बाद दूसरी ट्रेन को तुरंत रोका क्यों नहीं गया? सिन्हा ने बताया कि एक्सीडेंट अप और डाउन रूट पर करीब-करीब एक ही वक्त पर हुआ, इसलिए ऐसा करना मुमकिन नहीं था।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु के इस्तीफे की मांग की। दिग्विजय ने टि्वटर पर लिखा, ”ये क्या हो रहा है मिस्टर प्रभु, हम तो आपको एक अच्छे मंत्री के रूप में जान रहे थे। क्या मैं आपको याद दिला सकता हूं कि लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन एक्सीडेंट के बाद अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।”