इंदौर : मजीठिया की लड़ाई में अब तक सबसे ठन्डे माने जा रहे मध्यप्रदेश में इसे लेकर गुपचुप तरीके से बड़ी लड़ाई की तैयारी चल रही है। यहाँ के कुछ पत्रकारों ने इस लड़ाई में पंजीकृत ट्रेड यूनियन का महत्व समझते हुए चुपचाप इसका गठन कर लिया है।
न्यूज़ पेपर मालिकों और उनके चमचों को इसकी भनक तक नहीं लगी। इतना ही नहीं इस यूनियन के पदाधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर भास्कर, नई दुनिया और पत्रिका के कई पत्रकारों और दूसरे कर्मचारियों को इसका सदस्य भी बना लिया। बताया जाता है कि यूनियन के पदाधिकारियों ने अन्य साथियों को समझाया कि लड़ाई में पंजीकृत ट्रेड यूनियन का बहुत महत्व है। यूनियन न केवल उनकी मजीठिया की लड़ाई उन्हें बिना सामने लाए लड़ सकती है बल्कि आए दिन होने वाली प्रताड़ना और ट्रान्सफर के मामलों में भी उनकी मदद कर सकती है।
सोमवार 15 जून को इंदौर में यूनियन की बैठक हुई। इसमें भाग लेकर लौटे एक पत्रकार ने मैनेजमेंट के जासूसों को इस बारे में बताया है। मध्यप्रदेश पत्रकार गैर पत्रकार संगठन नाम की ये यूनियन देश के सबसे बड़े मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ से जुड़ी हुई है। भारतीय मज़दूर संघ आरएसएस का संगठन है। इसके चलते यूनियन को केंद्रीय और प्रादेशिक श्रम विभाग से सहयोग भी मिल रहा है। प्रदेश सरकार पहले किसी अन्य अधिकारी को मजीठिया के मामले में रिपोर्ट देने के लिए नियुक्त करने वाली थी लेकिन इस यूनियन के नेताओं ने अपने संपर्कों से प्रभात दुबे की नियुक्ति कराई है।