नरेंद्र मोदी ने आज देश को मुजरे की याद दिला दी. उनका एक वीडियो वायरल है. इस वीडियो में पीएम ने कहा… “इंडी गठबंधन को मुजरा करना है तो करे.” मोदी के मुजरे वाले बयान पर विपक्ष ने बवाल काट दिया है.
छठे चरण के मतदान के बीच प्रधानमंत्री मोदी की बिहार के काराकाट में रैली थी. मोदी ने इस दौरान विपक्ष को घेरने के चक्कर में ‘मुजरा’ शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने आरजेडी को घेरते हुए उसे, “लालटेन लेकर मुजरा करने वाली जमात” बता डाला.
नीचे देखें किसने क्या कहा…
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने वीडियो ट्वीट कर लिखा कि, हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी भाषण में ‘मुजरा’ शब्द का प्रयोग कर रहे हैं. PM मोदी सारी मर्यादाएं लांघ चुके हैं. उनका राजनीतिक पतन हो चुका है.
ये नरेंद्र मोदी की महिला विरोधी मानसिकता को दर्शाता है. उन्हें देश की आधी आबादी से कान पकड़कर माफी मांगनी चाहिए.”
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “आज मैंने प्रधानमंत्री के मुंह से ‘मुजरा’ शब्द सुना. मोदीजी, ये कैसी मनःस्थिति है? आप कुछ लेते क्यों नहीं? अमित शाह और जेपी नड्डा जी को तुरंत उनका इलाज कराना चाहिए. शायद सूरज के नीचे भाषण देने से उनके दिमाग पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है.”
मनोज झा का कहना है, “वह (पीएम मोदी) जो कह रहे हैं उससे चिंता होती है. मैं अब उसके बारे में चिंतित हूं. कल तक हम उनसे असहमत थे, अब हमें उनकी चिंता हो रही है. मैंने हाल ही में कहा था कि वह भव्यता के भ्रम का शिकार हो रहे हैं. ‘मछली’, मटन, मंगलसूत्र और ‘मुजरा’… क्या यह एक पीएम की भाषा है?” नीचे कुछ अन्य कमेंट…
सदफ जफ़र-
मुजरा करने वाली महिला वो काम करती हैं क्योंकि बहुत से शरीफ मर्द मुजरा देखने जाते हैं. मोदी जी जैसे नेता चाहते हैं कि मुजरा करने वाली महिला को कोई और रोजगार न मिले जैसे आशा बहू या आंगनवाड़ी (जिनको कॉन्ट्रैक्ट पर रखा हुआ है) में काम, उसके बच्चे सरकारी स्कूल (जो अब तेज़ी से बंद हो रहे हैं) में न पढ़ें उसको सरकारी अस्पतालों (जो खुद आईसीयू में हैं) में सही इलाज न मिले ताकि चुनाव में इस तरह की उपमा वो आसानी से दे सकें.
पुष्पेंद्र सिंह-
किसी सड़क छाप नेता का नहीं एक प्रधानमंत्री का बयान है “…इंडी गठबंधन को मुजरा करना है तो करे….”भाई कैसे आदमी को 10 साल तक देश की जिम्मेदारी देकर रखी. अगर चुनाव के कुछ चरण और होते तो ये क्या-क्या और कहते पता नहीं. इन्हें हटाओ भाई. अब तो मार्गदर्शक मंडल के लायक भी नहीं रहे.
अमरेंद्र खलबली-
मुजरा? प्रधानमंत्री है या गली में दारू पिए खड़ा बेवड़ा? हार का डर, जांच के बाद जेल का तनाव चेहरे से सीधा जुबान पर भी आ गया है. अगर जल्दी चुनाव खत्म नहीं हुई तो अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ सकता है.
सोर्स : ट्विटर (X)
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