Sanjaya Kumar Singh-
मुलायम सिंह यादव अकेली हस्ती हैं जिन्होंने नवंबर के महीने में मुझे दिल्ली में सुबह सात बजे मिलने के लिए घर बुलाया था और मैं गया। वैसे तो अनुवाद के मामले में मुझे लेखक, प्रकाशक या ग्राहक से मिलने की जरूरत कभी नहीं लगी लेकिन जिस हस्ती पर किताब हो उससे मिलने का मौका मिले तो कौन छोड़ता है। नेताओं या हस्तियों से मिलने, संबंध बनाने, फोटो खिंचाने का शौक मुझे नहीं रहा।
इस कारण मैं दिल्ली में पत्रकारिता करते हुए भी बहुत कम नेताओं से मिला हूं। मुलायम सिंह यादव उन खास लोगों में हैं जिनसे मिलने का मौका मिला तो मैं नहीं चूका। और यह उनकी हस्ती का ही असर है। अपने समय के राजनेताओं में वो खास तो हैं ही। पत्रकारों को नकद पैसे बांटना और इंडिया टुडे समूह से कहना कि मैंने ही जमीन दी है (और इंडिया टुडे द्वारा उसे प्रसारित करना) मुलायम सिंह की अनूठी शख्सियत के कुछ उदाहरण हैं। उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूर्णीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि।
मुलायम सिंह यादव ने कुछ पत्रकारों को भी उपकृत किया था। लिस्ट सार्वजनिक है। किसी एक का नाम लेना ठीक नहीं होगा। मेरी दिलचस्पी पैसे लेने से पहले और बाद की उनकी पत्रकारिता को समझने या बताने में हैं। उनके बाद मुख्यमंत्री बनी मायावती ने उस सूची को विधानसभा पटल पर रखा था। मामला सार्वजनिक है। अगर किसी के पास वह लिस्ट हो तो उन पत्रकारों के भूत भविष्य और वर्तमान की रिपोर्टिंग गोदी पत्रकार कर सकते हैं – हम भी जानना चाहेंगे। है कोई गोदी वाला? मोदी भक्त मुलायम सिंह से उपकृत इन लोगों की बाद की पत्रकारिता से समझ सकते हैं कि मोदी राज में विज्ञापन और मुलायम सिंह के नकद बांटने में क्या अंतर रहा। स्कोप बहुत व्यापक है – अखबारों के सैकड़ों पन्ने हैं और टीवी के कई घंटे। है कोई? कोई प्रायोजित करे तो यह काम मैं करना चाहता हूं।