डॉक्टर ‘पथिक’-
इस नए पाठ्यक्रम में दिनेश ठाकुर को न शामिल करना मुझे अपनी व्यक्तिगत क्षति प्रतीत हो रही है। सुरेंद्र मोहन पाठक वेद प्रकाश शर्मा केशव पंडित जैसे मनुवादी जातियों के उपन्यासकार मुझे कभी पसंद नही आये। इन मनुवादी उपन्यासकारों के ढाई सौ पेज के उपन्यासों में महज आधा एक पेज के यौन दृश्य होते थे। ऐसी हरकतों को मैं पाठकों के साथ ठगी मानता था और मानता हूँ।
मेरे फेवरेट हिंदी के लुग्दी उपन्यासकार दिनेश ठाकुर हैं। दिनेश ठाकुर को मैं महानतम लुग्दी लेखक मानता हूँ। दिनेश ठाकुर का एक कालजयी किरदार था “रीमा भारती”। मैंने दिनेश ठाकुर कृत रीमा भारती श्रृंखला के अधिकांश उपन्यास पढ़ रखे हैं। रीमा भारती श्रृंखला के उपन्यास यौनिक विवरणों से समृद्ध होते थे।
रीमा भारती एक जासूस थी और घनघोर राष्ट्रवादी महिला थी। रीमा भारती अपना इंट्रोडक्शन कुछ इस प्रकार देती थी- “मैं हूँ माँ भारती की लाडली,मेरा नाम है रीमा भारती।”
रीमा भारती यौनिक रूप से काफी उदार महिला थी। आज के जमाने मे कोई महिला यौनिक रूप से इतनी उदार हो जाये तो सरकार उसे यौन क्षेत्र में भारत रत्न पुरस्कार दे दे। रीमा भारती उपन्यास के लगभग हर किरदार से यौन संबंध बनाती थी। मित्र शत्रु का भी भेद नहीं करती थी। दोस्त दुश्मन सबसे यौन संबंध बनाती थी। राष्ट्रहित में रीमा भारती ने गोरिल्ला,भालू और हिम मानव से भी यौन संबंध बनाए। जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया।
खलनायक का वध करने से पहले रीमा भारती उसके साथ यौन संबंध अवश्य बनाती थी। फिर खलनायक की आत्मा को इतनी शांति मिल जाती थी कि खलनायक के वंशजों को तीजा तेरई और श्राद्ध करवाने की भी आवश्यकता नही होती थी।
दिनेश ठाकुर का यौन विवरण भी बेहद आला दर्जे का था। उन्नत वक्ष,प्यासा त्रिकोण,जलती मीनार और सुरंग जैसे उत्तम शब्दों का प्रयोग करते थे बहुजन नायक दिनेश ठाकुर। बिना दिनेश ठाकुर को पढ़े कोई व्यक्ति अच्छा मनुष्य नही बन सकता। दिनेश ठाकुर को शामिल न करने के लिए मैं गोरखपुर यूनिवर्सिटी की घोर भर्त्सना करता हूँ।