Girish Malviya : अब रॉफेल में हुए भ्रष्टाचार का केस बिल्कुल क्रिस्टल क्लियर हो गया है. आज सुबह हुए ताजा खुलासे में यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया कि अनिल अंबानी ओर फ्रेंच सरकार के बीच किस तरह का लेनदेन हुआ. अब हमें यह मानना ही होगा कि ‘चौकीदार बहुत बड़का वाला चोर है’.
सुबह फ्रांस की मैगजीन Le Monde ने रॉफेल मामले में अनिल अंबानी ओर तत्कालीन फ्रेंच सरकार की कलई खोल दी. हम जानते हैं कि अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस कम्पनी अप्रैल 2015 में पीएम मोदी द्वारा घोषित फ्रांस के साथ भारत के राफेल जेट सौदे में एक ऑफसेट साझेदार है.
लेकिन आज से पहले हम यह नहीं जानते थे कि अनिल अंबानी की फ्रांस में पहले से एक रजिस्टर्ड कंपनी है, जिसे ‘रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस’ कहा जाता है. इस कंपनी की फ्रेंच टैक्स अधिकारियों द्वारा जांच की गई और 2007 से 2010 की अवधि के लिए करों में 60 मिलियन यूरो का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी पाया गया.
लेकिन अम्बानी तो अम्बानी ठहरे. उन्होंने फ्रांस सरकार से मात्र 7.6 मिलियन यूरो में मामला निपटाने की पेशकश की.
अब फ़्रांस के राष्ट्रपति तो मोदी जी थे नहीं. तो, फ्रांसीसी कर अधिकारियों ने इस ऑफर को रिफ्यूज कर दिया. उन्होंने एक और जांच की, 2010 से 2012 तक की अवधि के लिए. इसके बाद पिछले करों के अतिरिक्त 91 मिलियन यूरो की मांग करने लगे.
यह मामला थोड़ा लंबा खिंच गया और इधर भारत में मोदी सत्ता में आ गए. मोदी ने UPA के समय फ्रांस की डसाल्ट कम्पनी के साथ हुई रॉफेल डील को निरस्त कर दिया जिसमें 126 विमान को 590 करोड़ प्रति विमान की कीमत से खरीदा जाना था.
मोदी ने डसाल्ट के बजाए फ़्रांस सरकार से रॉफेल को खरीदने की पेशकश की. अब सिर्फ 36 विमान खरीदने की बात की गयी लेकिन लगभग तिगुनी कीमत यानी 1690 करोड़ देने की पेशकश की गई. इस डील के सामने आने से पहले अनिल अंबानी मार्च 2015 के अंत में पेरिस में फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां-यवेस लेस ड्रियन के कार्यालय में देखे गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ बातचीत के बाद 36 राफेल विमानों की खरीद का ऐलान किया.
फ़्रांस के लिहाज से यह सौदा हर हाल में अच्छा था. जाहिर था कि तिगुनी कीमत के दिये जाने के पीछे बहुत बड़े निगोशिएशन किए गए थे,. पिछले दिनों यह भी सामने आया था कि राफेल डील पर मुहर लगने से पहले अंबानी की रिलायंस एंटरटेनमेंट ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के की सहयोगी जुली गायेट के साथ एक फिल्म निर्माण के लिए समझौता किया था.
लेकिन आज हमें पता चला है कि अम्बानी की कम्पनी ‘रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस’ को प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के बाद बहुत बड़ी टैक्स छूट मिली. इस नयी राफेल डील के 6 महीने बाद फ्रांस की अथॉरिटीज ने अनिल अंबानी का 143.7 मिलियन यूरो यानी 1,124 करोड़ रुपए से ज्यादा का टैक्स माफ कर दिया.
आपको याद होगा राफेल डील को लेकर फ्रांस के तब के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने बड़ा ख़ुलासा किया था. उन्होंने कहा था कि अनिल अंबानी के रिलायंस का नाम उन्हें भारत सरकार ने सुझाया था. उनके पास और कोई विकल्प नहीं था. एक फ़्रेंच अखबार मीडिया पार्ट को दिए इंटरव्यू में ओलांद ने कहा था कि भारत सरकार के नाम सुझाने के बाद ही दसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस से बात शुरू की थी.
तब भी बहुत हंगामा मचा था लेकिन भारतीय मीडिया में इस खबर को भी दबा दिया गया लेकिन फ्रांस में कोई मोदी तो है नहीं. न ही उसके यहाँ हमारे यहाँ पाए जाने वाले जॉम्बी जैसे अन्धभक्त हैं.
वहाँ भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ शेरपा ने पिछले साल ही अक्टूबर में राफेल सौदे में हुए संदिग्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू करने का अनुरोध करते हुए फ्रांस के राष्ट्रीय वित्तीय कार्यालय से शिकायत दर्ज कराई थी जिसकी रिपोर्ट आज मीडिया में सामने आई है. इसी रिपोर्ट में अम्बानी को टैक्स छूट में दिए जाने वाले लाभ की बात सामने आई है.
समसामयिक मामलों पर सोशल मीडिया के चर्चित लेखक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.
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