Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

नए आने वाले न्यूज चैनलों से पत्रकार रहें सावधान!

यशवंत सिंह-

सैटेलाइट न्यूज चैनलों की दुनिया अब ठहर-सी गई है. कहीं कोई प्रयोग नहीं. सबका कंटेंट एक-सा. सबको सत्ता की भाषा बोलना पसंद क्योंकि सबको सत्ता से विज्ञापन चाहिए. टाप टेन न्यूज चैनलों को देख लीजिए. लगता है जैसे मुद्दों का अकाल पड़ गया है. किसी चैनल को कुछ मिनट तक ठहर कर देख पाना मुश्किल होता जा रहा है.

ऐसे में नए सैटेलाइट न्यूज चैनल के लिए जगह कहां है. जब एक खास किस्म का ही कंटेंट देखना है तो लोग बड़े न्यूज चैनलों का कंटेंट देखेंगा या नए न्यूज चैनल का? रेवेन्यू का हाल भी यही है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

विज्ञापनदाता बड़े चैनलों को प्रीफ़र करते हैं। डिजिटल मीडिया विज्ञापनदाताओं की पहली पसंद बनता जा रहा है। ऐसे में नये न्यूज़ चैनल कॉर्पोरेट और सरकारी विज्ञापन के लिए सिर के बल खड़े हो जाते हैं पर मिलता है ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर।

एक सैटेलाइट न्यूज चैनल चलाने में जो खर्चा आता है उसे अब निकाल पाना काफी मुश्किल हो गया है. कुछ बरस पहले के खुले नए न्यूज चैनलों को देख लीजिए. छंटनी दर छंटनी का आलम है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसी सबके बीच फिर से एक नए न्यूज चैनल का हल्ला सुनाई पड़ रहा है. कई न्यूज चैनलों से जल्दी जल्दी इस्तीफा देने वाले शमशेर सिंह के बारे में चर्चा है कि वे नया न्यूज चैनल लेकर आ रहे हैं. खुद शमशेर ने ट्वीट करके भी ये जानकारी दी है.

यहां सवाल वही है. कितने दिन चलेगा ये चैनल. छह महीना या एक साल… इसी बीच छंटनी और इस्तीफों का दौर चलेगा. अगर चैनल मालिक खुद पत्रकार होता है तो उसे अंदाजा रहता है कि किस किस्म के स्टाफ से कितने खर्चे में चैनल चलाना है. पर अगर चैनल मालिक कोई बिजनेसमैन या नेता होता है तो वह शुरुआत में बहकावों में आकर उत्साह से पैसा डालता है लेकिन छह महीने बाद उसे लग जाता है कि उसने सफेद हाथी पाल लिया है. फिर वह जल्दी से जल्दी चैनल से अपना पैसा निकालने की कोशिश करने लगता है जिसका नतीजा होता है कि लोग इस्तीफा देकर भागने लगते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

नए चैनल के आने की बात सुनकर उत्साहित हुए मीडियाकर्मियों को जरूर सोचना चाहिए कि क्या वे सिर्फ कुछ महीनों के लिए नौकरी करने जा रहे हैं… उसके बाद फिर सड़क पर… नौकरी ज्वाइन करते ही लोग भड़ास को मेल करने लगते हैं कि सेलरी नहीं मिली, बना बताए छंटनी हो गई… आदि आदि.

तो नए आने वाले न्यूज चैनलों से सावधान रहिए… टीवी मीडिया में अब स्कोप बहुत कम रह गया है. यहां निराश हताश होने की बजाय कुछ नया करने की सोचिए. ददन विश्वकर्मा ने फिल्म सिटी में ठेला लगाकर ये दिखा दिया है कि काम कोई बड़ा छोटा नहीं होता, बस जो भी करिए लगन से करिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अभी हाल में ही इलाहाबाद गया था मैं. अपने भाई अजीत विक्रम सिंह की सलाह पर वहां एक बंदा घर से हांड़ी उर्फ मटका मटन बनाकर बेच रहा है. प्रतिदिन सात हजार रुपये वह कमा रहा है. एक नौजवान पंडिताई का कंप्लीट कोर्स करने के बाद गीता व रामायण के वाचन के जरिए प्रवचन दे रहा है और खूब पैसा कमा रहा है. तो नए या पुराने क्षेत्रों में प्रयोग करिए व पैसे कमाइए. मुख्यधारा की टीवी मीडिया में अब कुछ रखा नहीं है. खासकर नए आने वाले न्यूज चैनल तो बस मालिक को चूना लगाने और फिर कुछ महीनों के बाद बंद होने के लिए ही खुल रहे हैं.

नॉन न्यूज कैटगरी में हिंदी में यूट्यूब चैनल का स्कोप खूब है. कृषि, फैशन, वाहन, बागवानी, नेचुरोपैथी, आयुर्वेद, खानपान, होटल-रेस्ट्रां, ट्रेवल-घुमक्कड़ी, जिम-हेल्थ, चुटकुला-व्यंग्य-मिमिक्री, महिलाओं की दुनिया, डाक्टरों की सलाह आदि टापिक पर हिंदी में यूट्यूब चैनल खूब चल सकते हैं बशर्ते इसके लिए डेडीकेशन के साथ काम किया जाए और थोड़ा धैर्य रखा जाए. यूट्यूब चैनल शुरू करने से पहले कई जरूरी चीजों को जान लेना चाहिए ताकि मानेटाइजेशन में दिक्कत न हो.

Advertisement. Scroll to continue reading.

तो मीडियाकर्मियों को सलाह है कि वे नए आने वाले न्यूज चैनल के चक्कर में बिलकुल न पड़ें. खासकर जो लोग कहीं किसी चैनल में जमे जमाए हैं वो तो नए के चक्कर में बिलकुल न चैनल छोड़ें. जो लोग बेरोजगार है वो कुछ महीने बर्बाद करने की जगह कुछ नया व ठोस सोचें. बाकी इंतजार करें, नए चैनल को आने दीजिए. उसका अंजाम आपभी देखेंगे और हम भी.

Advertisement. Scroll to continue reading.
10 Comments

10 Comments

  1. Dr Ashok Kumar Sharma

    April 19, 2023 at 8:05 pm

    आपकी सलाह अगर किसी ने मानी तो निश्चित रूप से उसका भविष्य बदल जाएगा। उसकी तकदीर निखर जाएगी। उसकी हैसियत संवर जाएगी। यह बात मैं भावना से नहीं कह रहा इसके पीछे कुछ कारण भी है।

    कुछ दिन पहले मेरी मुंबई के प्रख्यात फाइनेंसर, बिल्डर और फिल्म निर्माता सुरेश बाबू मालगे से हुई थी। यह वही निर्माता हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान में ब्रूस ली का हूबहू हमशकल तलाश लिया था और उसे हॉलीवुड तक पहुंचाया। यह वही हैं जिन्होंने “1084 की मां ” नामक फिल्म में जया भादुरी बच्चन को तमाम विरोध के बावजूद लिया था। यह वही निर्माता है जो हानि लाभ की परवाह किए बिना दक्षिण भारत के निर्माता निर्देशकों को फाइनेंस करते हैं और जो खुद भी फिल्में बनाया करते हैं। पिछले दिनों उनकी बीएमडब्ल्यू गाड़ी का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया था जिसमें उनके बचने की उम्मीद नहीं थी परंतु वह बच गए और काफी दिन बिस्तर पर रहने के बाद अब वह फिर से सक्रिय हुए हैं इस बार इनका इरादा है खुद का एक सेटेलाइट चैनल लाने का एक ओटीटी प्लेटफॉर्म लाने का और इसके साथ ही 25 फिल्में एक साथ बनाकर रिकॉर्ड कायम करने का।

    मैं यह असली लिख रहा हूं कि आप भले ही पत्रकारिता के एक शलाका पुरुष हो चुके हैं परंतु फिल्म बनाने का आपका कोई तजुर्बा ना होने के बावजूद अपने फिल्म और टीवी के बारे में जो बात कही है वही बात आज स्थापित लोग सोच रहे हैं।

    भविष्य से डरना बहुत गैर जरूरी बात है। क्यों डरे से जबकि हो सकता है कि भविष्य आपकी तकदीर को बदल कर रख दे।

    पत्रकारिता टीवी फिल्म और मीडिया की पूरी दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। आने वाला समय कंजूमर इंटरेस्ट मीडिया का है। हॉबी मीडिया बहुत तेजी से पनपेगा। कैरियर मीडिया बहुत तेजी से बढ़ेगा। सेल्फ-हेल्प मीडिया बहुत तेजी से बढ़ेगा।

    इंस्टाग्राम को ही देख लीजिए उस पर कितने वीडियो और रील्स लोग डालते हैं। लोग बेशुमार पैसा कमा रहे हैं दूसरों के गाने गाकर अपना संगीत बनाकर अपने शौक को निखार कर उसका प्रदर्शन करने से और लोगों को नए नए क्षेत्रों के बारे में जानकारी देकर। कुछ लोग तो कंप्यूटर टीवी इंटरनेट गूगल मोबाइल और गेम्स की दुनिया के हैक्स के बारे में बता कर ही अमीर हो जा रहे हैं।

  2. Kaushal Kishore Shukla

    April 19, 2023 at 8:14 pm

    बहुत ही अच्छी सलाह।

  3. Himanshu

    April 19, 2023 at 9:19 pm

    Never were truer words spoken.

  4. Anand Kaushal.

    April 20, 2023 at 3:43 pm

    बहुत अच्छी सलाह, डिजिटल पत्रकारिता पर भी लोगों का विश्वास चैनलों की तुलना में बढ़ा है। साथ ही न्यूज से इतर कार्यक्रम से संबंधित यूट्यूब चैनलों की डिमांड बढ़ी है। ऐसे यूट्यूबर्स अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। आपकी सलाह पर नए पत्रकारों को गौर करना चाहिए।

  5. चंद्र

    April 21, 2023 at 7:10 am

    हमारे बिहार में नए क्या और पुराने क्या नेशनल हो या रीजनल कोई चैनल पैसे नहीं देता सभी के ब्यूरो चीफ यह मांगते हैं हमारे जिला संवाददाता चैनल का लोगो थाम कर लोगों से उगाई करते हैं अफसरों की दलाली करते हैं और ढेर सारा रुपया कमाते हैं लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक देने की आवश्यकता नहीं है

  6. Prakash

    April 21, 2023 at 7:11 am

    हमारे बिहार में नए क्या और पुराने क्या नेशनल हो या रीजनल कोई चैनल पैसे नहीं देता सभी के ब्यूरो चीफ यह मांगते हैं हमारे जिला संवाददाता चैनल का लोगो थाम कर लोगों से उगाई करते हैं अफसरों की दलाली करते हैं और ढेर सारा रुपया कमाते हैं लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक देने की आवश्यकता नहीं है

  7. Ramakant Goswami

    April 21, 2023 at 8:07 am

    बहुत सही सलाह

  8. Rahul Singh Chauhan

    April 21, 2023 at 1:37 pm

    बिल्कुल सही कहा आपने सर
    मैं सहमत हूँ।

  9. vijay kumar

    April 21, 2023 at 2:13 pm

    बहुत ही अच्छी सलाह।

  10. Amar Anand

    April 22, 2023 at 3:07 pm

    बिल्कुल सटीक सलाह। मैं पहले से ही इस पर काम कर रहा हूं। इवेंट जर्नलिज्म के नाम से सरकार, पुलिस, छात्र, महिलाए और बंदियों के बीच में हमने सात साल में 55 प्रोग्राम किए है। यूपी में मुख्य
    मंत्री के दो प्रोग्राम, शिक्षा विभाग के एक प्रोग्राम के अलावा दिल्ली पुलिस, यूपी पुलिस, सीआरपीएफ और आईटीबीपी को भी अपने प्रोग्राम से जोड़ा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement