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सियासत

कुछ कह रही है निर्भया, सुनो तो !

उसका शरीर तो जल गया पर आत्मा आज भी हर पल रोती होगी… तींखती होगी हर उस लड़की की पीड़ा के साथ, जो हैवानों की हवस की शिकार बनती है…कुछ कह रही है निर्भया! सालों बीत गए, आज तक उन चीखों को इंसाफ नहीं दे पाया ये कानून. .सड़को पर उतरे लोगों के गुस्से को इंसाफ नहीं दे पाया ये कानून… मां बाप के आंसू भी अब तो सूख गए इंसाफ की आस में.. कानून की उस मूर्ति की आंखों पर से वो काली पट्टी हटाने का मन करता है और मन करता है कि अदालत में खड़ी होकर कहूं कि देख, देख इन मां बाप के आंसुओं को… देख इस गुस्से को, सुन उन नारों को जो कितने दिनों तक गूंजते रहे अमर जवान ज्योति के सामने… दे सकती है तो दे इंसाफ उस देश की बेटी को जो सबको भारतीय होने पर शर्म महसूस करने पर मजबूर कर गई ..

<p><span style="line-height: 1.6;">उसका शरीर तो जल गया पर आत्मा आज भी हर पल रोती होगी... तींखती होगी हर उस लड़की की पीड़ा के साथ, जो हैवानों की हवस की शिकार बनती है...</span>कुछ कह रही है निर्भया!<span style="line-height: 1.6;"> सालों बीत गए, आज तक उन चीखों को इंसाफ नहीं दे पाया ये कानून. .सड़को पर उतरे लोगों के गुस्से को इंसाफ नहीं दे पाया ये कानून... मां बाप के आंसू भी अब तो सूख गए इंसाफ की आस में.. कानून की उस मूर्ति की आंखों पर से वो काली पट्टी हटाने का मन करता है और मन करता है कि अदालत में खड़ी होकर कहूं कि देख, देख इन मां बाप के आंसुओं को... देख इस गुस्से को, सुन उन नारों को जो कितने दिनों तक गूंजते रहे अमर जवान ज्योति के सामने... दे सकती है तो दे इंसाफ उस देश की बेटी को जो सबको भारतीय होने पर शर्म महसूस करने पर मजबूर कर गई ..</span></p>

उसका शरीर तो जल गया पर आत्मा आज भी हर पल रोती होगी… तींखती होगी हर उस लड़की की पीड़ा के साथ, जो हैवानों की हवस की शिकार बनती है…कुछ कह रही है निर्भया! सालों बीत गए, आज तक उन चीखों को इंसाफ नहीं दे पाया ये कानून. .सड़को पर उतरे लोगों के गुस्से को इंसाफ नहीं दे पाया ये कानून… मां बाप के आंसू भी अब तो सूख गए इंसाफ की आस में.. कानून की उस मूर्ति की आंखों पर से वो काली पट्टी हटाने का मन करता है और मन करता है कि अदालत में खड़ी होकर कहूं कि देख, देख इन मां बाप के आंसुओं को… देख इस गुस्से को, सुन उन नारों को जो कितने दिनों तक गूंजते रहे अमर जवान ज्योति के सामने… दे सकती है तो दे इंसाफ उस देश की बेटी को जो सबको भारतीय होने पर शर्म महसूस करने पर मजबूर कर गई ..

वो चीखी होगी… चिल्लाई होगी.. खुद को बचाने के लिए गुहार लगा रही होगी.. और आज तक तुझसे गुहार लगा रही है कि दे इंसाफ मुझे…कानून की मूर्ति!! ए.पी सिंह और एम.एल शर्मा जैसे तेरे रसूखदार तुझे पूजने वाले लड़कियों की छोटी ड्रैस को बलात्कार का कारण बताते हैं? छोटे कपड़े पहनने से लड़के, लड़कियों की तरफ़ आकर्षित होते हैं…? छोटे कपड़े नहीं… शायद इन्होंने कानून इतना पढ़ लिया है कि इनकी मानसिकता सिकुड़ कर छोटी होगई है..

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आज दीमापुर के लोग जब अपनी बेटी की तार तार हुई इज़्ज़त का गुस्सा लिए सड़कों पर उतर आए और उस हैवान को खुद उन लोगों ने फांसी पर लटका दिया तो क्यों.. ? क्यों ग़लत माना जाए इसे ?? क्या वो लोग भी इंतजार करते रहते उस इंसाफ का जो शायद कभी मिलता ही नहीं..  जो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन होने के बाद भी सालों लगा देता है उन चीखों के साथ न्याय कर पाने में… क्या कीमत लगाती है सत्ता में बैठी सरकार एक लड़की के साथ हुए बलात्कार की ? एक लाख.. दो लाख.. दस लाख??? काश सत्ता में बैठे रसूखदार रत्ती भर भी महसूस कर पाते उस पीड़ा को जिसका बखान मैं शब्दों में तो निश्चित ही नहीं कर सकती..  

ए.पी सिंह और एम.एल शर्मा जैसे समाज पर कलंक लोग अपने मुंह से वो ज़हर उगलने से पहले ये नहीं सोचते कि इस देश में जिसके कानून के वो पहरेदार हैं वहां पांच साल की बच्ची के साथ भी बलात्कार होता है..  वो निश्चित ही हैवानों को अपनी ओर आकर्षित करती होगी.. उसने ही उकसाया होगा कि…… शर्म आनी चाहिए समाज पर आज कलंक बन गए इन लोगों को… खैर शर्म इन्हें क्या आएगी, शर्म आज इस देश की हर लड़की को आती है.. लड़की होने पर , और लड़की होकर इस देश में जन्म लेने पर… किस बात महिला दिवस मनाया जाए इस देश में, जहां महिला दिवस की सुबह सुबह टीवी पर ये देखने को मिलता है कि सगे चाचा ने अपनी भतीजी से ही दुशकर्म किया… एक बलात्कारी इंटरव्यू में लड़की को मिठाई बता देता है.. शर्म तो आनी चाहिए सिस्टम को, जो ऐसे लोगों की मानसिकता को सुधार नहीं सकता… काश मैं कानून की उस मूर्ति की आंखों से पट्टी हटा पाती, काश…! 

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(लेखिका टीवी जर्नलिस्ट है, ई-मेल पता : [email protected])

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