नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी बड़े घोटाले में फंसी, शिकायतकर्ता पर नोएडा पुलिस बना रही समझौते का दबाव
एक विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री बचने के घटनाक्रम पर भड़ास पर काफी पहले एक खबर का प्रकाशन किया गया था. विश्वविद्यालय का नाम है- नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी. डिग्री बेचने से जुड़े फर्जीवाड़े पर एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने पुलिस में केस करने के लिए लिखित शिकायत दी है. पर नोएडा पुलिस हमेशा से कमजोरों को सताने और अपराधियों को बचाने के लिए कुख्यात रही है. सो इस केस में भी यही हुआ. आरटीआई एक्टिविस्ट दिवाकर प्रताप ने लिखित कंप्लेन डीसीपी आफिस जाकर दिया. डीसीपी आफिस से कंप्लेन एसीपी के पास गई. वहां से दनकौर थाने पहुंची. शिकायत थाने पहुंचने के बाद अब पुलिस इस मामले को दबाने में जुट गयी है.
शिकायतकर्ता द्वारा एक मोटे लिफाफे में भरकर काफी साक्ष्य पुलिस को दिए गए हैं, पर पुलिस सारे साक्ष्यों को दबाकर शिकायतकर्ता पर ही उलटा दबाव बनाने में लग गयी है. गौतम बुद्ध नगर के दनकौर थाने में नियुक्त उपनिरीक्षक धीरेन्द्र कुमार सिंह शिकायतकर्ता को फ़ोन करके यूनिवर्सिटी प्रशासन से मिलकर बात करने का दबाव बना रहे हैं. साथ ही कह रहे हैं कि शिकायत के साथ कोई साक्ष्य नहीं है. इस दरोगा के बातचीत के तरीके को सुनिए. यह खुद ही घबलेबाज विश्वविद्यालय का प्रवक्ता बना हुआ दिख रहा है.
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इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता ने जब थाने में जाकर बयान देने की कोशिश की तो उपनिरीक्षक धीरेन्द्र कुमार सिंह ने बुरा व्यवहार करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी, जो करना हो कर लो.
शिकायतकर्ता ने जब विजिटर रजिस्टर में एंट्री दर्ज करने के बाबत पूछा तो उपनिरीक्षक धीरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि ऐसा यहां कोई रजिस्टर नहीं होता है. कोई एंट्री नहीं की जायेगी.
ज्ञात हो कि हर थाने में विजिटर रजिस्टर होना अनिवार्य है.
पुलिस के इस तरह के व्यवहार से साफ़ है कि पुलिस द्वारा हर तरह से इस मामले को दबाने का प्रयास हो रहा है.
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