पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस राकेश कुमार के एक न्यायिक आदेश से बेंच और बार में चल रहे विवादास्पद मुद्दों को सतह पर ला दिया है। वैसे भी बिहार की राजनीती बेटी और वोट की रही है यानि जातिवाद की रही है। मंडल के बाद बिहार की ओबीसी जातियां सत्ता के केंद्र में आ गयी हैं और स्वर्ण जातियां विशेषकर ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, ठाकुर और बनिया न्यायपालिका में वर्चस्व बनाये हुए हैं। रवि शंकर प्रसाद के पटना से होने और केंद्रीय कानून मंत्री बनने के बाद कायस्थ बनाम भूमिहार का टकराव न्यायपालिका में बढ़ा है और पटना के विवाद को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इस पूरे प्रकरण पर वकील भी दो फाड़ हो गए हैं । वकीलों का एक ग्रुप जस्टिस राकेश कुमार के पक्ष में न्याय कक्ष के बाहर नारेबाजी करते दिखा तो दूसरा पक्ष उनके खिलाफ बोलते दिखा।
इस बीच मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाही ने कहा है कि जस्टिस राकेश कुमार ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एक निष्पादित मामले में आदेश पारित कर अनैतिक कार्य किया है। कानून ने जो अधिकार नहीं दिया है उसको खुद अधिकार मानकर स्वतः केस को अपने यहां सूचीबद्ध कर सुनवाई करना और आदेश पारित करना सही नहीं है।
पटना हाईकोर्ट की 11 सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को इसी हाईकोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार के गुरुवार के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही उनके अदालती कामकाज पर भी रोक लगा दी गई। जस्टिस राकेश कुमार ने बुधवार को पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैया की अग्रिम जमानत पर सुनवाई करते हुए भ्रष्टाचार को लेकर तल्ख टिप्पणियां की थीं। उन्होंने न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे। साथ ही यहां तक कहा था कि लगता है हाईकोर्ट प्रशासन भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को संरक्षण देता है।
हाईकोर्ट के 11 सदस्यीय जजों की लार्जर बेंच ने जस्टिस राकेश कुमार आदेश को सस्पेंड रखने का आदेश दिया। साथ ही आदेश की प्रति किसी को भी नहीं भेजने के लिए कहा।
इसके अलावा इस पूरे प्रकरण को प्रशासनिक प्रक्रिया के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एपी शाही, जस्टिस विकास जैन, जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह, जस्टिस प्रभात कुमार झा, जस्टिस अंजना मिश्रा, जस्टिस आशुतोष कुमार, जस्टिस बीरेंद्र कुमार, जस्टिस विनोद कुमार सिन्हा, जस्टिस डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय, जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद तथा जस्टिस एस कुमार की लार्जर बेंच ने मामले पर सुनवाई की।
जस्टिस राकेश ने जजों के बंगलों की साज-सज्जा के नाम पर बेवजह करोड़ों रुपये खर्च किए जाने का भी मुद्दा उठाया था। स्टिंग ऑपरेशन में घूस लेते दिखाए गए कर्मियों के खिलाफ सीबीआई जांच तथा अंतरिम जमानत दिये जाने की जांच जिला जज से करने का आदेश दिया था। आदेश की प्रति देश के प्रधान न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, पीएमओ, केंद्रीय कानून मंत्रालय तथा सीबीआई निदेशक को भेजने का आदेश दिया था।
इस आदेश को लेकर हाईकोर्ट ने 11 जजों की वृहत पीठ का गठन किया गया। वृहत पीठ को बताया गया कि जस्टिस राकेश कुमार का आदेश हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। इसकी जानकारी मिलते ही वृहत पीठ कोर्ट से यह कहते हुए उठ गई कि आदेश देखकर कोर्ट अपना निर्णय देगा। करीब आधा घंटा बाद वृहत पीठ फिर बैठी और खुली अदालत में अपना आदेश लिखवाया ।