पत्रकार हिमांशी दहिया ने एक वीडियो क्लिप पोस्ट कर लिखा है कि, “मेरी मां को एक अज्ञात संस्था से दो बार फोन आया और उनसे पूछा गया कि वह अपने लोकसभा क्षेत्र (गुरुग्राम) में किस पार्टी को वोट देने की योजना बना रही हैं. ECISVEEP को देखना चाहिए कि यह डेटा कौन इकट्ठा कर रहा है.”
हिमांशी ने इसे ईसीआई कौ टैग कर सवाल किया है, लेकिन इसका जवाब नहीं आया. क्योंकि न्यू इंडिया में डायरेक्ट लोकतंत्र बनाने-बिगाड़ने वाली संस्थाएं जबाव देने की बाध्यता से शायद बाहर हैं.
हिमांशी के बाद पत्रकार मेघनाद ने भी इसी तरह का पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, “मेरी माँ को भाजपा महाराष्ट्र प्रदेश कार्यालय से फोन आया और पूछा गया कि क्या चुनाव आयोग के अधिकारी ईवीएम का ‘डेमो’ करने आए हैं. बीजेपी कार्यालय से यह पूछने के लिए फोन क्यों किया जा रहा है? क्या चुनाव आयोग अलग-अलग घरों में डेमो कर रहा है? क्या किसी और को ये कॉल या घर पर डेमो मिला?”
बताते चलें कि क्विंट की पत्रकार हिमांशी दहिया ने बीते दिनों गुजरात के एक दलित किसान से 11 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदवाकर बीजेपी और शिवसेना को दिए जाने की खोजी रिपोर्ट की थी. खबर ने बड़ा दायरा भी बनाकर तैयार किया था. इससे सरकार की खूब किरकिरी हुई. वहीं मेधनाद को बीते दिन ही यूट्यूब पर ईवीएम सम्बंधी कंटेंट न बनाने को लेकर चेतावनी मिली है. यूट्यूब ने कहा है कि अगर चैनल में इस तरह के कंटेंट अपलोड हुए तो उन्हें इन वीडियोज पर आए विज्ञापन का रेवेन्यू नहीं दिया जाएगा.
अब जब इतना सब हो रहा है तो इस तरह के फोन आना जिसमें पूछा जाए, “आप किसे वोट दोगे या फिर आपके घर में ईवीएम मशीन का डेमो करने वालों की टीम आई क्या?” संदेह तो पैदा करता ही है.
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