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योगी सरकार के इस पाइलट का लाइसेंस 6 महीने के लिए रद्द

नागर विमानन महानिदेशालय डीजीसीए द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के पाइलट कैप्टन प्रज्ञेश मिश्रा को 6 महीने के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। डीजीसीए ने कैप्टन मिश्रा की एक गम्भीर गलती की जाँच करके इसे व इसके लाइसेंस को 10 जून 2020 को 6 महीनों के लिए निलम्बित भी कर दिया है।

मिश्रा पर आरोप था कि एक हवाई यात्रा के दौरान इन्होंने बीच आसमान में को-पाइलट के साथ सीट बदल कर विमान के कंट्रोल को अपने हाथ में ले लिया, जोकि न सिर्फ गैरकानूनी है, खतरनाक है, बल्कि एक आपराधिक कदम है।

ग़ौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार का यह विमान 10,000 फुट के नीचे उड़ रहा था एवं ‘ऑटो पाइलट’ मोड में नहीं था।

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ऐसा ही प्रकरण 2018 की जेट एयरवेज की लंदन-मुंबई फ्लाइट में भी हुआ था, जिसमें दोनों पाइलट, बीच यात्रा के, कॉकपिट से बाहर निकल आए थे, लेकिन यह प्रकरण जेट एयरवेज़ के प्रकरण से कहीं अधिक गम्भीर है। उस फ्लाइट की जाँच के पश्चात पाइलट व को पाइलट को 5 वर्ष के लिए निलम्बित किया गया था। लेकिन कैप्टन मिश्रा को केवल 6 महीनों के लिए ही सस्पेंड किया गया है।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग में बिना वरिष्ठतम पाइलट हुए ही कैप्टन मिश्रा ने स्वयं को इस विभाग का न सिर्फ ऑपरेशन मैनेजर बनाए रखा बल्कि सभी नियमों को दर-किनार कर दो तरह के विमानों को उड़ाने का काम कई वर्षों तक कियाः हेलीकाप्टर व वायुयान। जबकि नागर विमानन महानिदेशालय के नियमानुसार एक व्यक्ति द्वारा ऐसे दो तरह के विमान उड़ाना वर्जित है। इससे ऐरोड्यमिक्स की गफलत में बड़ा हादसा हो सकता है।

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कैप्टन मिश्रा पर यह भी आरोप है कि इन्होंने अपने आपराधिक इतिहास की सही जानकारी छुपा कर अपने लिए ‘एयरपोर्ट एंट्री पास’ भी हासिल किया था। इसकी शिकायत दिल्ली के कालचक्र समाचार के प्रबंधकीय सम्पादक रजनीश कपूर ने नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक से की और जाँच के बाद सभी आरोपों को सही पाए जाने पर इनका ‘एयरपोर्ट एंट्री पास’ भी हाल ही में रद्द किया गया।

सूत्रों के अनुसार कैप्टन मिश्रा पर वित्तीय अनियमिताओं के भी आरोप भी है और हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव को इनके विषय में लिखित सूचना भी प्रदान की है। मिश्रा परिवार के तार 200 से भी अधिक कम्पनियों से जुड़े बताए जाते हैं।

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