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सुख-दुख

पंजाब पुलिस या सीएम चन्नी नहीं, वास्तविक जिम्मेदार तो सिर्फ और सिर्फ केंद्रीय एजेंसियां हैं!

सुनील सिंह बघेल-

यह जांच रिपोर्ट आने के बाद कि जनरल रावत का हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण क्रैश हुआ.. ऐसे में खराब मौसम के बावजूद एसपीजी, होम मिनिस्ट्री, सुरक्षा सलाहकार ने पीएम विजिट मे हेलीकॉप्टर उपयोग को हरी झंडी कैसे दी थी.?? मौसम कोई एकदम से तो खराब हुआ नहीं था..

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प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर बकायदा एक ब्लू बुक है जिसका अक्षरशः पालन किए जाने की अपेक्षा की जाती है.. यह बात अलग है कि उसे ताक पर रख प्रधानमंत्री बिना बताए पाकिस्तान चले गए थे। जहां तक जानकारी है इससे रुष्ट होकर तत्कालीन एसपीजी प्रमुख ने अपने आप को पद से अलग भी कर लिया था।

बताया जा रहा है कि खराब मौसम के कारण ऐन वक्त पर हेलीकॉप्टर के बजाय सड़क मार्ग से जाने का निर्णय हुआ .. हालिया सालों में यह शायद पहला मौका होगा जब केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और मंत्रालय ने किसी प्रधानमंत्री की 100 किलोमीटर से ज्यादा सड़क मार्ग से यात्रा को हरी झंडी दी होगी..

गोदी मीडिया, IT CELL भक्तों के जरिए भले ही पंजाब पुलिस और सीएम चन्नी गरियाते रहें, लेकिन वास्तविक जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ केंद्रीय एजेंसियां हैं..।

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जैसे ब्लूबुक कहती है कि किसी सड़क पर प्रधानमंत्री का काफिला गुजरने के पहले रोड क्लीयरेंस व्हीकल और केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में दो-दो एंटी डेमोंसट्रेशन टीम (AD-1 & AD-2) रोड क्लीयरेंस करती है.. उनकी रिपोर्ट के बाद ही काफिला आगे बढ़ता है.. वह भी एक तयशुदा स्पीड पर …
बड़ा सवाल यह है कि क्या इस नियम का पालन नहीं किया गया..??

यदि किया गया तो बिना क्लीयरेंस के, किस केंद्रीय अधिकारी/मंत्रालय के इशारे पर काफिले को गुजरने की इजाजत मिली…??

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यदि रोड क्लियर नहीं था तो सुरक्षा प्रोटोकॉल के हिसाब से मौजूदा स्थल से कम से कम 10-20 किलोमीटर पहले ही काफिला रुक जाना चाहिए था… तब ओवरब्रिज वाली वाली नौटंकी की जरूरत नहीं पड़ती..।

केंद्रीय एजेंसियों और मंत्रालय की चूक ने हास्यास्पद और शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी है..

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जिस PM की सुरक्षा में 5 से 10 हजार जवान लगे हो.. ऐसे में किसी प्रधानमंत्री का जान के खतरे को लेकर भयभीत हो जाना.. और उस डर का मीडिया के जरिए कथित सार्वजनिक इजहार करना, देश के लिए एक शर्मनाक स्थिति है..।



विजय शंकर सिंह-

PM का मिनट टू मिनट प्रोग्राम जो सोशल मीडिया पर घूम रहा है, उसके अनुसार तो उन्हें भटिंडा से फिरोजपुर हेलीकॉप्टर से जाना था।

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फिर अचानक सड़क मार्ग से जाने का निर्णय किसका था ?

यदि उस सड़क मार्ग पर प्रदर्शनकारी इकट्ठे हो रहे थे तो बिना सुरक्षा क्लियरेंस के SPG ने अनुमति कैसे दे दी?

भारत सरकार के गृह मंत्रालय को चाहिए कि वह इसकी डिटेल प्रशासनिक या न्यायिक कराए और जो सच हो उसे सामने लाये।

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दोषी अधिकारी चाहे वह पंजाब सरकार का हो या गृह मंत्रालय का, उसे दंडित किया जाय।

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