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सुख-दुख

प्रांशु मिश्र ने हसीब सिद्दीकी को लेटर लिखकर किन किन सवालों का जवाब पूछा… पढ़ें पूरा पत्र

प्रिय मित्र,

उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष श्री हसीब सिद्दीकी को मैने एक पत्र लिखा है। दरअसल लंबे समय से मन में कई सवाल थे। शायद ये सवाल आप में से बहुतों के मन में भी हों। चूंकि हसीब भाई प्रदेश में संगठन के शीर्ष पद पर हैं, मुझे लगता है कि तमाम सवालों-आशंकाओं का जवाब वही दे सकते हैं।

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मैं पत्र को आप तमाम साथियों को इसलिए प्रेषित कर रहा हूं क्योंकि जो सवाल मेरे मन में हैं, वो शायद आपके मन में भी हों। अगर वो आपके मन में भी हों तो संबंधित लोगों से सवाल करने में संकोच न करें। मुझे पूरी उम्मीद है कि हमें जवाब मिलेगा। पत्र नीचे संलग्न है।

आपका
प्रांशु मिश्र
अध्यक्ष
उ.प्र.मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति

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ये रहा पत्र…

दिनांक 10-12-15

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सेवा में

कामरेड हसीब सिद्दीकी

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अध्यक्ष

उ.प्र श्रमजीवी पत्रकार यूनियन

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प्रिय हसीब जी
संगठन की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के दौरान आप से मथुरा में मुलाकात हुई थी। सर्वप्रथम एक सफल आयोजन कराने के लिए आपको और आपकी पूरी टीम को बहुत बधाई। कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों के आचरण विषय पर परिचर्चा में आपने मुझे अपनी बात रखने का मौका दिया। राष्ट्रीय कार्यसमिति की अति महत्वपूर्ण बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल होने का अवसर भी मुझे मिला। परिचर्चा और कार्यसमिति की बैठक, और देश के विभिन्न राज्यों से आए संगठन के तमाम वरिष्ठ साथियों से संवाद का जो अवसर मिला,उसने मुझे संगठन के कामकाज, उसके समक्ष चुनौतियों, विस्तार की योजनाओं आदि को समझने का एक मौका दिया। कार्यसमिति की बैठक में तमाम अहम मुद्दों पर खुली स्वस्थ लोकतांत्रिक बहस अच्छी लगी।

पर लोकतंत्र की यह झलक शायद प्रदेश में संगठन के कामकाज में नहीं दिखती। आप को शायद याद हो कि इसी वर्ष सितंबर में मैं आपसे और यूपी प्रेस क्लब के सचिव श्री जोखू प्रसाद तिवारी जी से प्रेस क्लब में ही मिला था। उस वक्त भी मैने यह सवाल उठाया था कि क्लब की मेंबरशिप आम पत्रकारों के लिए क्यों नहीं खोली जाती। अगर इसके पीछे वजह प्रेस क्लब का आईएफडब्लूजे के आधीन होना है तो भी संगठन के प्रदेश में तकरीबन 3000 सदस्यों में से महज 150 लोगों को ही प्रेस क्लब की सदस्यता क्यों दी गई है। चर्चा है कि अकेले लखनऊ में संगठन के तकरीबन 400 सदस्य हैं। इसमें से कितनों को प्रेस क्लब की सदस्यता दी गई। वैसे प्रदेश में संगठन के तीन हजार सदस्य और लखनऊ में चार सौ सदस्य होने वाली बात भी मुझे चर्चाओं में ही पता चली है। हो सकता है यह संख्या गलत हो…क्योंकि कम से कम मैने सदस्यों की कोई सूची जिले या प्रदेश स्तर पर आज तक नहीं देखी है। जिन तमाम साथियों से मैने यह सूचना पुख्ता करने की कोशिश की वो भी आज तलक अंधेरे में हैं।

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मुझे याद है कि प्रेस क्लब में हुई मुलाकात में आपने कहा था कि संगठन इतने कार्यक्रम कराता है, लोग उसमें नहीं आते..जुड़ना नहीं चाहते तो आप क्या करें। दरअसल लोगों को संगठन से जोड़ने का यह नजरिया ही शायद त्रुटिपूर्ण है। श्रोता के रूप में भी लोग आएंगे, लेकिन पहले कहीं न कहीं बुनियादी स्तर पर ही सही उन्हें संगठन की लोकतांत्रिक निर्णय लेने वाली प्रक्रिया का हिस्सा बनाना पड़ेगा। किसी भी संगठन के कामकाज में लोकतांत्रिक तौर तरीके और उनमें एक आम सदस्य की भागीदारी के जरिए होते हैं…जिला व राज्य सम्मेलन, जनरल बाडी मीटिंग आदि। संगठन की लखनऊ जिला इकाई का सम्मेलन आखिरी बार कब हुआ याद नहीं।

यही हाल यूपी प्रेस क्लब का है। सदस्यता पर अघोषित रोक तो है ही, न कोई जनरल बाडी मीटिंग बीते कई वर्षों में हुई है। एक सजग पत्रकार के तौर पर जो थोड़ा बहुत पता चला उससे तो यही लगता है कि जनरल बाडी मीटिंग तो दूर की बात है..अरसा हो गया प्रेस क्लब की गर्वनिंग काउंसिल की बैठक हुए। प्रेस क्लब के चुनाव को भी पांच साल हो गए हैं।

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मथुरा बैठक के दौरान मुझे याद है कि संगठन के मुख्य चुनाव अधिकारी देवाशीष बोस जी ने खुले मंच से कहा था कि सभी राज्यों को 31 दिसंबर 2015 तक नेशनल काउंसिलर्स का चुनाव कर नाम केंद्रीय चुनाव अधिकारी को भेज देने हैं। प्रदेश से नेशनल काउंसिलर्स के चुनाव के लिए श्री टीबी सिंह को मुख्य चुनाव अधिकारी व श्री विनय कृष्ण रस्तोगी जी को सहायक चुनाव अधिकारी नियुक्त करने का निर्णय आपकी अध्यक्षता में हुई बैठक में ही लिया गया था।

जहां तक मेरी जानकारी है अभी तक चुनाव अधिकारियों की तरफ से नेशनल काउंसिलर्स के चुनाव के लिए कोई कार्यक्रम ही जारी नहीं किया गया। नामंकन पत्र कब मिलेंगे, नामंकन कब तक भरा जा सकता है…मतदान कब होगा। इस मार्फत कोई भी सूचना सार्वजनिक नहीं की गई है। ऐसे में निश्चय ही संगठन के कुछ पदाधिकारियों  की कार्यशैली पर सवाल उठता है। मथुरा बैठक के विजन और प्रदेश में संगठन के एक्शन प्लान में दूर दूर तक कोई साम्य नहीं दिखता।

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मैने आपको यह पत्र इसलिए लिखा..क्योंकि प्रदेश में संगठन के सर्वेसर्वा आप हैं। ट्रेड यूनियन का दशकों पुराना अनुभव आपके पास है। मेरा मानना है कि तमाम अनुभवी,युवा पत्रकार-छायाकार संगठन के प्रति आदर का भाव रखते हैं। उन्हें मौका दिए जाने की जरूरत है। प्रेस क्लब से लेकर संगठन के स्तर पर थोड़ा सा दरवाजा खोलने की जरूरत है। लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करने की शुरुआत लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन और प्रेस क्लब से होनी चाहिए। और अगर इस शुरुआत में मेरी कहीं भी जरूरत पड़े..मैं एक आम सदस्य के तौर पर पूरी मजबूती से तैयार मिलूंगा।

सादर
प्रांशु मिश्र
अध्यक्ष
उ.प्र.मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति
9415141305

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प्रतिलिपि —  
श्री रवींद्र सिंह
अध्यक्ष (यूपी प्रेस क्लब)
श्री जोखू प्रसाद तिवारी
सचिव (यूपी प्रेस क्लब)

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