महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने दिए ‘प्रात:काल’ के फर्जीवाड़े की जांच के आदेश

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महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने मुंबई सहित देश के पांच अन्य शहरों से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक प्रात:काल द्वारा अपने यहाँ कार्यरत पत्रकारों, गैर-पत्रकारों और अन्य विभागों के कर्मचारियों से सम्बंधित गलत एफिडेविट देने की शिकायत पर जाँच करने के आदेश दिए हैं। जांच का दायित्व कामगार उपायुक्त श्री बागल को सौंपा गया है। हिंदी दैनिक प्रात:काल द्वारा श्रम आयुक्त को दिए एफिडेविट में फर्जीवाड़े के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस जांच के आदेश के बाद ‘प्रात:काल’ प्रबंधन को फर्जी एफिडेविट देने के मामले में जेल भी हो सकती है।

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे ‘मजीठिया संघर्ष मंच’ के पदाधिकारियों ने 13 अप्रैल 2017 को आरटीआई एक्सपर्ट पत्रकार शशिकांत सिंह के नेतृत्व में महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त यशवंत केरूरे से उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात की और प्रात:काल हिन्दी दैनिक द्वारा दिए गए फर्जी एफिडेविट मामले को उनके संज्ञान में लाया। साथ ही इसी समाचार पत्र के मुख्य उपसंपादक द्वारा दिए गए शिकायती पत्र की प्रति सौंपी। इस शिकायती पत्र के साथ एफिडेविट फर्जी होने के पूरे पुख्ता सबूत दिए गए। जिसके बाद कामगार आयुक्त ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच करने का आदेश उपायुक्त श्री बागल को दिया। आपको बता दें कि प्रात:काल द्वारा दिए गए एफिडेविट में निम्नलिखित फजीर्वाड़े के पुख्ता सबूत मिले हैं-

1- प्रात:काल ने अपने एफिडेविट में बताया है कि उसके पास कुल आठ कर्मचारी हैं, जिसमें दो श्रमिक पत्रकार एक प्रधान संपादक सुरेश गोयल और एक स्थानीय संपादक महीप गोयल हैं। एक डीटीपी हेड और 5 प्रबंधन के सदस्य हैं। जबकि प्रात:काल समाचार पत्र के कार्यरत पत्रकार के रूप में शिरीष गजानन चिटनिस प्रतिनिधि (मुंबई/१४१६), महीप गोयल-स्थानीय संपादक (मुंबई/१४१७), विष्णु नारायण देशमुख छायाचित्रकार (मुंबई/१६७४), हरिसिंह राजपुरोहित चीफ कोरेस्पोंडेंट  (मुंबई/१८१९) को महाराष्ट्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अनुभवी पत्रकारों को दिया जाने वाला अधिस्वीकृति पत्र (एक्रिडेशन कार्ड) प्रदान किया गया है। यह पत्र संबंधित संस्थान द्वारा प्रदत्त दस्तावेजों (जैसे- नियुक्ति पत्र, अनुभव प्रमाण, सेलरी स्लीप, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, संकलित / लिखित समाचारों एवं फोटो आदि कटिंग, शैक्षणिक डाक्यूमेंट्स आदि) की पुष्टि तथा पुलिस वेरिफिकेशन के बाद ही जारी किए जाते हैं।

2- मुम्बई श्रम आयुक्त को दिए एफिडेविट में प्रात:काल अखबार ने शिरीष गजानन चिटनीस और हरिसिंह राजपुरोहित को अपना कर्मचारी ही नहीं बताया है जबकि इन्हें अपना प्रतिनिधि दिखाकर सरकार से इन दोनों को एक्रिडेशन दिलवाया है। 12 पृष्ठों के इस अखबार में न तो कोई रिपोर्टर, न कोई समाचार संपादक, मुख्य उप संपादक, उपसंपादक, प्रूफ रीडर और न ही कोई दूसरा डीटीपी आॅपरेटर बताया गया है। एफिडेविट के अनुसार ‘प्रात:काल’ में आउट सोर्सिंग और ठेके से काम भी नहीं कराया जाता है।

3- ‘प्रात:काल’ द्वारा श्रम आयुक्त कार्यालय में दिए गए एफिडेविट में विष्णु नारायण देशमुख को मैनेजर बताया गया है तथा उनकी नियुक्ति तिथि १२.११.२०१४ को बताई गई है। जबकि ‘प्रात:काल’ ने ही इनको अपने यहां छाया चित्रकार बताकर 2013 से पहले ही अधिस्वीकृत पत्र (एक्रिडेशन कार्ड नं.- मुंबई/१६७४) दिलवाया है।

4- प्रात:काल ने श्रम आयुक्त कार्यालय में एफिडेविट देकर बताया है कि उस समाचार पत्र के मालिक 72 वर्षीय सुरेश गोयल हैं। आश्चर्य की बात है कि इसी एफिडेविट में उन्हें इसी संस्थान में वेतनभोगी संपादक भी बताया गया है।

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
09322411335

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