सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया को लेकर मीडियाकर्मियों की लड़ाई को लेबर कोर्टों के हवाले किया

सुप्रीम कोर्ट ने दिया साफ संदेश- ”मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लेबर कोर्ट में लड़िए”. मजीठिया वेज बोर्ड लागू नहीं करने पर दायर अवमानना याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला सुनाया है उसका स्पष्ट मतलब यही है कि आगे से इस मामले में कोई भी सुप्रीम कोर्ट न आए और जिसे अपना हक चाहिए वह लेबर कोर्ट जाए. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रंजन गोगोई व जस्टिस नवीन सिन्हा की खंडपीठ से मीडियाकर्मियों ने जो उम्मीद लगाई थी, वह दोपहर तीन बजे के बाद मुंह के बल धड़ाम से गिरी. दोनों जजों ने फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि वेजबोर्ड से जुड़े मामले संबंधित लेबर कोर्टों में सुने जाएंगे. वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर समेत वेतन भत्ते संबंधित मामले लेबर कोर्ट या अन्य कोर्ट में ही तय किए जाएं. संबंधित कोर्ट इन पर जल्दी से जल्दी फैसला लें.

एनडीटीवी ने मजीठिया मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भ्रामक खबर चलाई

एनडीटीवी ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर केवल मीठी मीठी खबर ही अपने यहां चलाई ताकि मीडियाकर्मियों को फर्जी खुशी दी जा सके. भड़ास में जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सारांश प्रकाशित कर इसे एक तरह से मीडियाकर्मियों की हार और मीडिया मालिकों की जीत बताया गया तो देश भर के मीडियाकर्मी कनफ्यूज हो गए. वे चर्चा करने लगे कि किस खबर को सच मानें? एनडीटीवी की या भड़ास की? एनडीटीवी ने जोर शोर से टीवी पर दिखाया कि सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया लागू करने के निर्देश दिए हैं. कोई उनसे पूछे कि भइया मजीठिया लागू करने का निर्देश कोई नया थोड़े है और न ही यह नया है कि ठेके वालों को भी मजीठिया का लाभ दिया जाए.

(आज हुए फैसले पर एक वेबसाइट पर छपी मीठी-मीठी खबर)

मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई मीडियाकर्मी हारे, मीडिया मालिकों के पक्ष में खड़ा हो गया सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के प्रिंट मीडिया के कर्मियों को निराश किया है। मजीठिया वेज बोर्ड मामले में आज दिए फैसले में सारे चोर मीडिया मालिक साफ साफ बच गए। सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी मीडिया मालिक को अवमानना का दोषी नहीं माना। वेजबोर्ड के लिए लड़ने वाले पत्रकारों को लेबर कोर्ट जाने और   रिकवरी इशू कराने की सलाह दे डाली।

मजीठिया वेज बोर्ड : काशी में कटी पहली 50 लाख की आरसी

बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी से एक बड़ी खबर आ रही है। यहाँ नार्दन इंडिया पत्रिका यानि एनआईपी के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 50 लाख की रिकवरी सार्टफिकेट जारी की गयी है। यहाँ मजीठिया की लड़ाई की अगुवाई करने वाले समाचार पत्र कर्मचारी यूनियन को पहली बड़ी सफलता मिली है।

मजीठिया पर आज आएगा कोर्ट का फैसला, जागरणकर्मियों ने बैठक कर एकजुटता दिखाई

आज माननीय सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेतन आयोग को लेकर फैसला आना है। इस वेतन आयोग के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी 2014 को अपना फैसला सुनाया था और अख़बार मालिकानों से स्पष्ट कहा था कि वर्कर की राशि एक साल में 4 किश्तों में दें, लेकिन मालिकान 20 जे का बहाना बनाते …

हिन्दुस्तान का सालाना सकल राजस्व 1294 करोड़, फिर भी छठी कैटेगिरी

हिन्दुस्तान समाचार पत्र लगातार झूठ पर झूठ बोलने पर आमादा है। हिन्दुस्तान ने मजीठिया का लाभ देने से बचने के लिए अपने को गलत व मनमाने तरीके से 6वीं कैटेगिरी में दर्शाया है जबकि ये अखबार नंबर वन कैटेगिरी में आता है। मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के संबंध में भारत सरकार से जारी गजट के पृष्ठ संख्या 11 पर खंड 2 के उपखंड (क) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान की विभिन्न इकाइयों/शाखाओं/कंपनियों को समाचार पत्र की एकल इकाई ही माना जाएगा, चाहे उनके नाम अलग-अलग ही क्यों न हों।

भास्कर पर भारी पड़े पत्रकार धर्मेंद्र : कामगार आयुक्त ने भास्कर प्रबंधन को बकाया एरियर देने का निर्देश दिया

मजीठिया के अनुसार बकाया नहीं देने पर हो सकती है कुर्की…

(दैनिक भास्कर मुंबई के जुझारू पत्रकार धर्मेंद्र प्रताप सिंह)

मुंबई के दैनिक भास्कर अखबार से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां पत्रकार धर्मेंद्र प्रताप सिंह सहित दो महिला कर्मचारियों के मामले में पहली बार कामगार आयुक्त महाराष्ट्र के कार्यालय ने लंबी सुनवाई के बाद डीबी कॉर्प को साफ़ निर्देश देते हुए नोटिस भेजा है कि पत्रकार धर्मेंद्र प्रताप सिंह, कर्मचारी लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया शेख का जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाये का दावा सही है और आपको निर्देश दिया जाता है कि आप इन तीनों कर्मचारियों का बकाया राशि का जल्द भुगतान करें अन्यथा आपके खिलाफ वसूली आदेश जिलाधिकारी को निर्गत कर दिया जाएगा।

मजीठिया प्रगति रिपोर्ट पर श्रम शक्ति भवन दिल्ली में आयोजित शीर्ष बैठक से पहले जुझारू मीडियाकर्मियों ने सौंपा ज्ञापन

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से ठीक पहले आयोजित इस बैठक के निकाले जा रहे हैं कई मायने

नई दिल्‍ली, (शुक्रवार, 17 जून, 2017)। श्रम शक्ति भवन नई दिल्‍ली में कल मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों को लेकर आहूत बैठक के मद्देनजर कर्मियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में दैनिक जागरण, भास्‍कर, राजस्‍थान पत्रिका व अन्‍य अखबारों के प्रतिधिनियों को भी वार्ता में शामिल होने करने का अनुरोध किया गया। जिससे उत्‍पीड़न के शिकार हजारों अखबार कर्मियों का पक्ष रखा जा सके। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से ठीक पहले आयोजित इस बैठक के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

देश के 745 अखबारों ने नहीं लागू किया मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश

सबसे ज्यादा पंजाब और झारखण्ड में ठुकराया गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश, महाराष्ट्र चौथे, उड़ीसा पांचवे स्थान पर फिसड्डी, मध्य प्रदेश के एक भी अख़बार ने नहीं लागू किया वेज बोर्ड

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश को देश भर के 745 अखबार मालिकों ने खुलेआम हवा में उड़ा दिया और दम्भ के साथ सुप्रीमकोर्ट की ओर मुंह करके अट्टाहास कर रहे हैं। ये जता रहे हैं, देख लो सुप्रीमकोर्ट, तुम नहीं, हम सबसे बड़े हैं। माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना करने के मामले में नंबर वन पर है पंजाब।

केन्द्र सरकार ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर 16 जून को बैठक बुलाई

देश भर के कामगार आयुक्तों को हाजिर होने का निर्देश… आखिरकार केंद्र सरकार नींद से जग गई लेकिन बहुत देर बाद… देश भर में हजारों प्रिंट मीडियाकर्मी इन दिनों केंद्र सरकार की थू थू करने में लगे हैं, सोशल मीडिया पर… मीडिया मालिकों को कानून और न्याय की धज्जियां उड़ाने की खुली छूट देने वाली …

अख़बार मालिकानों और मैनेजमेंट का नया खेल शुरू हो गया है…. संदर्भ : मजीठिया वेज बोर्ड

Ratan Bhushan : साथियों, अख़बार मालिकानों और मैनेजमेंट का नया खेल शुरू हो गया है। उन्होंने अब फैसले का समय नजदीक आते देख मजीठिया के केस से जुड़े कुछ अहम् लोगों से संपर्क करना शुरू कर दिया है।उनकी मंशा अब साफ है कि आंदोलनकारियों का हिसाब अगर कर दिया जाय, तो क्या वे टी ओ आई के लोगों की तरह अपना केस वापस ले लेंगे? अब हम बात यह है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? यह बात मैनेजमेंट के लोगों द्वारा की गई बातचीत से स्पष्ट होती है कि जैसे जैसे माननीय सुप्रीम कोर्ट से आर्डर के आने की तारीख नजदीक आ रही है, जिसकी जुलाई में किसी भी तारीख को आने की संभावना है, वैसे वैसे मालिकानों के हाथ पांव फूल रहे हैं।

मोदी सरकार इतनी डरपोक है कि पत्रकारों के न्याय के लिए आगे नहीं आई

जैसे हैं कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद, वैसे ही निकले नरेंद्र मोदी…. पत्रकार का दर्द कौन सुने…. उसे तो अंदर बाहर हर ओर से गाली और शोषण का शिकार होना है… पत्रकार बिकाऊ है या कपिल सिब्बल व सलमान ख़ुर्शीद… यह सोचने की बात है… भारत सरकार तो ऐसी है जो ना अपना भला बुरा जानती है, ना समाज का और ना ही देश का। मैं बात करना चाहूंगा पत्रकारिता की। पत्रकार वही है जो कम वेतन में काम करने को तैयार हो। बाकि ना उसकी शैक्षणिक योग्यता देखी जाती है ना अक्षर ज्ञान। नतीजन कोई भी पत्रकार बन सकता है।

मजीठिया वेज बोर्ड : हे पत्रकार साथियों! बर्खास्तगी, तबादले की धमकी से ना डरें और ना ही दें जबरन इस्तीफा

साथियों, हम सभी जहां बेसब्री से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं और वहीं समाचार पत्र प्रबंधन लगातार कर्मचारियों के उत्‍पीड़न पर लगा हुआ हैं और दूसरों के हक की आवाज उठाने वाली हमारी कौम आज अपने हक के‍ लिए ढंग से आवाज तक भी नहीं उठा पा रही है। इसके पीछे …

भास्कर ब्यूरो चीफ अनिल राही बाहर हुए, सुनील कुकरेती और उमेश कुमार उपाध्याय का ट्रांसफर

देश के सबसे चर्चित समाचार पत्रों में से एक माने जाने वाले दैनिक भास्कर अखबार में कर्मचारियों का खूब शोषण होता है। अगर साफ़-साफ़ कहें तो दैनिक भास्कर में किसी की भी नौकरी सुरक्षित नहीं है, भले ही वह कितना भी बड़ा तुर्रम खां क्यों ना हो, तो गलत न होगा! दैनिक भास्कर के मुम्बई के एंटरटेनमेंट ब्यूरो से खबर आ रही है कि यहाँ करीब 22 साल तक इस अखबार में नौकरी करने वाले ब्यूरो चीफ अनिल राही को कंपनी ने एक ही झटके में बिना ठोस नोटिस दिए बाहर का रास्ता दिखा दिया।

दैनिक जागरण प्रबंधन के खिलाफ एक्शन लेने / मुकदमा लिखने में यूपी के आईएएस-आईपीएस अफसरों के हाथ-पैर कांपते हैं!

कार्रवाई तो दूर, एसएसपी ऑफिस में गायब हो जाता है डीएम का पत्र!

नोएडा : डीएम ऑफिस से एसएसपी कैंप कार्यालय की दूरी कुल 10 कदम होगी। लेकिन इस दूरी तक डीएम की चिट्ठी पहुंचना तो दूर, दो बार गायब हो चुकी है। यह तो एक उदाहरण मात्र है। इसी प्रकार गौतमबुद्धनगर के न जाने कितने फरियादी आए दिन पुलिस से निराश हो रहे होंगे। इस उदाहरण से यह भी पता चलता है कि किस प्रकार पुलिस अधिकारी मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को फेल करने में लगे हैं।

मजीठिया वेज अवॉर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अचंभित करने वाला होगा

एक बार फिर सन्‍नाटे का आलम है। हर कंठ ने चुप्‍पी-खामोशी का उपकरण धारण कर रखा है। यह म्‍यूट यंत्र उन आवाजों पर भी हावी है जो कभी सर्वोच्‍च अदालत, वकीलों, केस करने के अगुआ लोगों और उनके समर्थकों-संग चलने वालों के हर रुख, हर कदम, हर पहल, हर चर्चा की केवल और केवल आलोचना करते रहते थे। उन्‍हें केवल खराबी-बुराई ही नजर आती थी-आती रही है। मीन-मेख निकालना जिनका परम कर्त्‍तव्‍य रहा है। लेकिन अंदरखाते इन केसों की सकारात्‍मक उपलब्धियों पर दावा जताने, अपना हक जताने, उसे पाने की चाहत रखने की मरमर भी उनके कंठों से अविरल-अनवरत फूटती रही है।

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में ‘हिंदुस्तान’ अखबार को क्लीनचिट देने वाली शालिनी प्रसाद की झूठी रिपोर्ट देखें

यूपी में अखिलेश यादव सरकार के दौरान श्रम विभाग ने झूठी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एचटी मीडिया और एचएमवीएल कंपनी यूपी में अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ की सभी यूनिटों में मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करके सभी कर्मचारियों को इसका लाभ देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह अनुपालन कर रही है. श्रम विभाग की यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की तत्कालीन श्रमायुक्त शालिनी प्रसाद ने 06 जून 2016 को सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड के मामले में अखबार मालिकों के विरुद्ध विचाराधीन अवमानना याचिका संख्या- 411/2014 में सुनवाई के दौरान शपथपत्र के साथ दाखिल की है.

सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का झूठा हलफनामा, कहा- हिंदुस्तान की दसों यूनिटों में मजीठिया लागू है

देश के अन्य राज्यों में भले ही प्रिंट मीडिया के कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतनमान और एरियर न मिल रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में एचटी मीडिया कंपनी का अखबार ‘हिन्दुस्तान’ अपनी सभी यूनिटों में मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करके सभी कर्मचारियों को इसका लाभ देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का …

जागरण के पत्रकार पंकज के ट्रांसफर मामले को सुप्रीमकोर्ट ने अवमानना मामले से अटैच किया

दैनिक जागरण के गया जिले (बिहार) के मीडियाकर्मी पंकज कुमार के ट्रांसफर के मामले पर आज सोमवार को माननीय सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मुकदमे की सुनवाई कोर्ट नम्बर 4 में आयटम नम्बर 9, सिविल रिट 330/2017 के तहत की गई। न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुनवाई करते हुए इस मामले को भी मजीठिया वेज बोर्ड के अवमानना मामला संख्या 411/2014 के साथ अटैच कर दिया है। माननीय न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे ही अन्य मामलों पर निर्णय आने वाला है, लिहाजा याचिका का निपटारा भी इसी में हो जाएगा।

मजीठिया वीरों को समर्पित बरेली के मजीठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा एडवोकेट की कविता

अब जीत न्याय की होगी…

-मनोज शर्मा एडवोकेट-

आ गया समय निकट अब जीत न्याय की होगी

इतिहास में दर्ज कहानी मजीठिया वीरों की होगी

मुश्किलें सहीं पर अन्याय, अनीति के आगे झुके नहीं

भामाशाहों की घुड़की के आगे कदम कभी रुके नहीं

उनके धैर्य और साहस की गाथा अमर रहेगी

मजीठिया वेतनमान : 6 माह के लिए सभी प्रेसों में हो सरकारी नियंत्रण

3 मई को मजीठिया वेतनमान की सुनवाई पूरी हो गई। अब सभी की निगाहें फैसलें पर है। लेकिन बात वही आती है कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला देगा तो क्या प्रेस मालिक आज्ञाकारी शिष्य की तरह मान लेंगे? नहीं। जब वे मजीठिया वेतनमान देने के आदेश को नहीं माने तो सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश उनकी समझ में तब तक नहीं आएगा जब तक उनके हाथ से वित्तीय अधिकार नहीं छिनेंगे। जेल भी होगी तो अधिनस्तों की होगी और संपादक, मुद्रक प्रकाशक को इसीलिए ऊंचा वेतन दिया जाता है कि कंपनी के पाप झेलने की क्षमता हो। इसलिए 6 माह की सजा भोगने में क्या ऐतराह जब हजारों करोड़ वारे न्यारे हो रहे हो।

मजीठिया मामले में जेल जाने के खौफ से जागरण प्रबंधन ने की योगी से मुलाकात!

महाराष्ट्र में भी सीएम और उनकी बीबी से मिलने का अखबार मालिक लगा रहे हैं जुगाड़… जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में माननीय सुप्रीमकोर्ट की अवमानना को लेकर देश भर के अखबार मालिकों में खौफ का माहौल है। सूत्रों का दावा है कि सुप्रीमकोर्ट के सख्त तेवर के बाद सभी अखबार मालिक अब अपने अपने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पटाने में लगे हैं। दैनिक जागरण से सूत्रों ने खबर दी है कि सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को अपनाए गए कड़े तेवर के बाद लखनऊ में दैनिक जागरण प्रबंधन की एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गयी। उसके बाद जागरण के आला अधिकारियों ने गोपनीय रूप से राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की।

मजीठिया पर सुनवाई के बाद मीडिया मालिकों का एक दिग्गज वकील बुदबुदाया- ‘आज तो सब गुड़-गोबर हो गया!’

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट में कल सुनवाई के बाद जब अदालत ने पूरे मामले पर सुनवाई खत्म होने के ऐलान करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया तो मानों मीडिया मालिकों के वकीलों को सांप सूंघ गया. अखबार प्रबंधन के वकील सिर्फ एक रणनीति पर लंबे समय से काम कर रहे थे. किसी भी तरह अदालत का वक्त जाया करो और पूरे प्रकरण को गलत दिशा में घुमाओ ताकि कनफ्यूजन बना रहे और डेट पर डेट मिलती रहे.

मजीठिया वेज बोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित, कई मालिक नपेंगे

बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से आ रही है. प्रिंट मीडिया के कर्मियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ न देने पर चल रही अवमानना मामले की सुनवाई आज पूरी हो गई. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. इसके पहले जस्टिस रंजन गोगोई की अदालत के सामने मीडिया मालिकों …

पत्रकारों का हक नहीं दिला पाएगी मोदी सरकार, वजह बता रहे पीटीआई के पत्रकार प्रियभांशु रंजन

Priyabhanshu Ranjan : पत्रकारों का हक दिला पाएगी मोदी सरकार? कल मैंने लिखा था कि श्रम मंत्रालय का एकमात्र काम EPF की ब्याज दरें घटाना-बढ़ाना रह गया है। लगता है मेरी बात श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को चुभ गई। बंडारू साहब ने आज बयान दिया है कि मोदी सरकार न्यूज़ चैनलों और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी Working Journalists Act के दायरे में लाने के कदम उठा रही है और जरूरत पड़ी तो कानून में संशोधन किया जाएगा। अभी Working Journalists Act के दायरे में सिर्फ प्रिंट मीडिया के पत्रकार आते हैं।

इस पत्रकार ने योगी को शशि शेखर से किया सचेत

गोरखपुर। हिंदुस्तान अखबार में काम कर चुके, “हिंदवी” (सीएम योगी का अखबार, जो अब बंद हो चुका है) के पूर्व विशेष संवाददाता और इन दिनों स्वतंत्र पत्रकार के रूप में सक्रिय वेद प्रकाश पाठक ने एक ट्वीट के माध्यम से सीएम योगी को सतर्क किया है।

महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने दिए ‘प्रात:काल’ के फर्जीवाड़े की जांच के आदेश

महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने मुंबई सहित देश के पांच अन्य शहरों से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक प्रात:काल द्वारा अपने यहाँ कार्यरत पत्रकारों, गैर-पत्रकारों और अन्य विभागों के कर्मचारियों से सम्बंधित गलत एफिडेविट देने की शिकायत पर जाँच करने के आदेश दिए हैं। जांच का दायित्व कामगार उपायुक्त श्री बागल को सौंपा गया है। हिंदी दैनिक प्रात:काल द्वारा श्रम आयुक्त को दिए एफिडेविट में फर्जीवाड़े के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस जांच के आदेश के बाद ‘प्रात:काल’ प्रबंधन को फर्जी एफिडेविट देने के मामले में जेल भी हो सकती है।

Supreme Court Declines Early Hearing of Majithia Case

The bench consisting of Chief Justice J.S. Khehar, Justice D.Y. Chandrachud and Justice Sanjay Kishan Kaul today declined the request for early hearing of the Majithia Wage Boards case. The Chief Justice said that more pressing cases were pending therefore the request for advancing the hearing of the Majithia case could not be conceded.

अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड न देने वाले रमेशचंद्र अग्रवाल अपने साथ कुछ न ले जा सके!

देश के प्रसिद्ध समाचार पत्र दैनिक भास्कर को संचालित करने वाली कंपनी डीबी कार्प के चेयरमैन रमेशचंद अग्रवाल कल अहमदाबाद में ईश्वर को प्यारे हुए और खाली हाथ ही दुनिया से चले गए. अपने इतने बड़े साम्राज्य में से कुछ भी अपने साथ न ले जा सके. रमेश चंद्र अग्रवाल ने जीते जी अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर और वेतन न देने की जिद कर रखी थी और दिया भी नहीं. मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मजीठिया वेज बोर्ड न दिए जाने की सबसे ज्यादा शिकायत दैनिक भास्कर समूह से ही आई है.

महाराष्ट्र के श्रम आयुक्त ने सुप्रीम कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड लागू किए जाने की फर्जी रिपोर्ट भेजी

महाराष्ट्र राज्य के श्रम आयुक्त की मीडिया मालिकों से मिलीभगत है, ऐसी आशंका तो बहुत पहले से जताई जा रही थी। परन्तु इस बात की पुष्टि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों से  आरटीआई के जरिए प्राप्त हुए कागजातों ने कर दी है। जैसा कि विदित है माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार सभी मीडिया संस्थानों में वेतन देने का निर्देश दिया है और इसके लागू कराने की जिम्मेदारी श्रम आयुक्तों को सौंप दी है।

‘हिन्दुस्तान’ अखबार को मजीठिया क्रांतिकारियों ने हराया, जीएम व संपादक की आरसी कटी

बरेली से बड़ी खबर आ रही है कि उपश्रमायुक्त ने हिन्दुस्तान के महाप्रबंधक और स्थानीय संपादक के खिलाफ मजीठिया बेज बोर्ड के अनुसार तीन कर्मचारियों के वेतन व एरियर की बकाया वसूली के लिए आरसी जारी कर जिलाधिकारी को भेज दी है। हिन्दुस्तान प्रबंधन को सोमवार को श्रम न्यायालय में करारी हार का सामना करना पड़ा। इस खबर से हिन्दुस्तान के उच्च प्रबंधन में हड़कंप मच गया है। हालांकि हिन्दुस्तान प्रबंधन सोमवार को आरसी का आदेश रिसीव होने तक उसे रुकवाने के लिए आला अफसरों के जरिये दबाव बनाने में लगा रहा।

सीएम से शिकायत की धमकी देते ही डीएलसी ने हिन्दुस्तान के संपादक को भेजा नोटिस

बरेली से बड़ी खबर आ रही है कि हिन्दुस्तान बरेली में कार्यरत सीनियर कॉपी एडिटर राजेश्वर विश्वकर्मा के मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतनमान व एरियर के दाखिल क्लेम पर आखिरकार उपश्रमायुक्त बरेली ने संपादक को नोटिस जारी कर ही दिया। संपादक मनीष मिश्रा को 4 अप्रैल को श्रम न्यायालय में तलब किया गया है।

न्यायमूर्ति मजीठिया ने पत्रकारों की सेवानिवृत्ति उम्र 58 से बढ़ाकर 65 कर दी थी!

Om Thanvi : दाद देनी चाहिए शरद यादव की कि संसद में पत्रकारों के हक़ में बोले, मजीठिया वेतन आयोग की बात की, मीडिया मालिकों को हड़काया। यह साहस – और सरोकार – अब कौन रखता और ज़ाहिर करता है? उनका पूरा भाषण ‘वायर‘ पर मिल गया, जो साझा करता हूँ। प्रसंगवश, बता दूँ कि मालिकों और सरकार का भी अजब साथ रहता है जो पत्रकारों के ख़िलाफ़ काम करता है। देश में ज़्यादातर पत्रकार आज अनुबंध पर हैं, जो कभी भी ख़त्म हो/किया जा सकता है। ऐसे में मजीठिया-सिफ़ारिशें मुट्ठी भर पत्रकारों के काम की ही रह जाती हैं। क़लम और उसकी ताक़त मालिकों और शासन की मिलीभगत में तेल लेने चले गए हैं। क़ानून ठेकेदारी प्रथा के हक़ में खड़ा है। 

हिंदुस्तान प्रबंधन की लखनऊ के बाद आगरा में आरसी कटी, बरेली में भी तैयारी

आगरा से बड़ी खबर आ रही है, जहां मजीठिया के मामले में हिंदुस्तान प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ गई। मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों के तहत अपने बकाए और अंतरिम वेतन की मांग कर रहे हिन्दुस्तान अखबार के कर्मचारियों की शिकायत का निस्तारण कर श्रम न्यायालय ने हिंदुस्तान प्रबंधन की आरसी काट दी है। बरेली में भी आरसी कटने की तैयारी है, जहां श्रम न्यायालय ने अभी आदेश सुरक्षित कर लिया है।

बरेली डीएलसी को हिंदुस्तान के चार शिकायतकर्ताओं की तलाश

शिकायतें मिली नहीं या फिर श्रमायुक्त कार्यालय कानपुर से आने के बाद बरेली में उपश्रमायुक्त कार्यालय में दबा ली गईं, कुछ तो जरूर हुआ है। डीएलसी बरेली 23 व 24 मार्च को कानपुर में श्रमायुक्त की मीटिंग में जब पहुंचे तो उनसे बरेली में हिंदुस्तान के विरुद्ध मजीठिया के क्लेम को लेकर श्रमायुक्त कार्यालय से भेजी गई नौ शिकायतों के निस्तारण की प्रगति पूछी गई। तब उन्होंने हैरानी जताते हुये सिर्फ पांच हिंदुस्तानियों की शिकायतें ही मिलने की बात कही।

मजीठिया वेज बोर्ड : दिव्या सेंगर मामले में हाईकोर्ट ने ‘नयी दुनिया’ को राहत देने से किया इनकार

इंदौर से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां नई दुनिया अखबार में एक्जीक्यूटिव मार्केटिंग के पद पर कार्यरत दिव्या सेंगर के रायपुर में हुये ट्रांसफर पर सिविल कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद हाईकोर्ट गए जागरण प्रबंधन के सहयोगी अखबार नयी दुनिया प्रबंधन को भयंकर हार का सामना करना पड़ा है। हाईकोर्ट ने साफ़ कह दिया कि निचली अदालत द्वारा ट्रांसफर पर लगाई गई रोक पूरी तरह सही है।

बरेली में डीएलसी ने पूरी की मजीठिया क्लेम की सुनवाई, फैसला सुरक्षित

बरेली से बड़ी खबर आ रही है। बरेली के श्रम न्यायालय में मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान और एरियर के दाखिल हिंदुस्तान के तीन कर्मचारियों के क्लेम पर शनिवार को उपश्रमायुक्त ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया है। उपश्रमायुक्त ने हिंदुस्तान प्रबंधन को अब और समय देने से दो टूक इंकार कर दिया।

लोकसभा में सीपीएम के सांसद ने न्यूज चैनल वालों को भी वेज बोर्ड के अधीन लाने की मांग की

सांसद ए. संपत ने पत्रकारों के वेतन में वृद्धि और नए वेज बोर्ड के गठन के लिए भी आवाज उठाई….

नयी दिल्ली : लोकसभा में कल एक सदस्य ने पत्रकारों के वेतन वृद्धि करने के लिए तुरंत वेज बोर्ड का गठन किए जाने की मांग की और साथ ही कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कार्यरत मीडियाकर्मियों को भी इस वेज बोर्ड के दायरे में लाया जाए।

लोकसभा में फिर उठी मजीठिया की मांग, अबकी RSP के प्रेमचंद्रन ने उजागर किया पत्रकारों का दर्द

देश भर के प्रिंट मीडियाकर्मियों का दर्द अब संसद सदस्यों को भी समझ में आने लगा है। कल दूसरे दिन भी लोकसभा में पत्रकारों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़ा जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का मामला उठा। इससे पहले मंगलवार को झारखंड के कोडरमा से सांसद डॉ रविन्द्र कुमार राय ने पत्रकारों को मिलने वाले वेतन व सुविधाओं का मामला उठाते हुए मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की मांग लोकसभा में की थी।

मजीठिया वेज बोर्ड पर शरद यादव के जोरदार भाषण का मीडिया ने किया बहिष्कार, राज्यसभा में मीडिया को जमकर दुत्कार

शरद यादव द्वारा कल राज्यसभा में मजीठिया वेज बोर्ड, मीडिया की आजादी और मीडिया मालिकों की धंधेबाजी पर दिए गए जोरदार भाषण को न किसी चैनल न दिखाया और न किसी अखबार ने छापा… आज राज्यसभा में मीडिया की इस हरकत की जमकर की गई निंदा 

जदयू नेता शरद यादव द्वारा बुधवार को राज्यसभा में उठाये गये जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के क्रियान्वयन के मुद्दे को आज देश भर के किसी भी बड़े समाचार पत्र ने एक लाईन नहीं प्रकाशित किया। मीडिया मालिकों की इस हरकत से राज्यसभा में आज विपक्ष का तेवर तल्ख दिखा। विपक्ष ने गुरुवार को राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया और कहा कि मीडिया ने उच्च सदन में कल चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान संपन्न रचनात्मक बहसों तथा सुझावों का प्रकाशन नहीं किया।

नवोदय टाइम्स : मेहनत करे पत्रकार, हक खाए दलाल

दूसरों को नियम कानून और नैतिकता का उपदेश देने वाले मीडिया संस्थान इन्ही उपदेशों का किस तरह नंगा नाच करते हैं यह किसी से छुपा नहीं है। एक ऐसी ही शिकायत है नवोदय टाइम्स के कर्मचारियों की जहां कर्मचारियों से मशीन की तरह काम लिया जाता है, लेकिन उसके बदले मालिक और संपादक की नजर कर्मचरियों के वेतन काटने में रहती है। किसी को मेडिकल कार्ड नहीं, अवकाश कार्ड नहीं, पीएफ का पैसा कहा जाता है, पता नहीं लेकिन मुंह खोले तो निकालने की धमकी पहले दी जाती है। यहां साप्ताहिक अवकाश या अवकाश के बारे में सोचो ही मत। जान पर आफत हो तो क्या,  दवाई खाकर आओ और काम करो। जान से ज्यादा यहां काम कीमती है।

‘ईयर ऑफ विक्टिम्‍स’ और मजीठिया मामले में इंसाफ की आस

मजीठिया वेज अवॉर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे अवमानना केसों की सुनवाई ठहर गई है। रुक गई है। एक तरह से विराम लग गया है। तारीख पड़नी बंद हो गई है। तारीख क्‍यों नहीं पड़ रही है, इस पर कुछ वक्‍त पहले अटकलें भी लगती थीं, अब वो भी बंद हैं। सन्‍नाटा पसर गया है। हर शोर, हर गरजती-गूंजती-दहाड़ती, हंगामेदार आवाज इन्‍हें निकालने वाले गलों में शायद कहीं फंस कर रह गई है। या हो सकता है कि इन्‍हें निकालने वाले गलों ने साइलेंसर धारण कर लिया हो। जो भी हो, यह स्थिति है आस छुड़ाने वाली, निराशा में डुबाने वाली, उम्‍मीद छुड़वाने वाली, नाउम्‍मीदी से सराबोर करने वाली, सारे किए-धरे पर पानी फिरवाने वाली।

मजीठिया क्रांतिकारी मनोज शर्मा की कविता- …होठों को सी कर जीने से तो मरना ही अच्छा है!

मनोज शर्मा हिंदुस्तान बरेली के वरिष्ठ पत्रकार हैं. ये मजीठिया क्लेम पाने के लिए हिन्दुस्तान प्रबंधन से जंग लड़ रहे हैं. इन्होंने आज के वर्तमान परिस्थियों में अखबारों में कार्यरत साथियों की हालत को देखते हुए एक कविता लिखी है. कविता पढ़ें और पसंद आए तो मनोज शर्मा को उनके मोबाइल नंबर 9456870221 पर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं….