मजीठिया मामला : सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक भास्कर प्रबंधन को राहत देने से किया इनकार

धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, लतिका चव्हाण और आलिया शेख के मामले में भास्कर प्रबंधन को लगा झटका

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट गए दैनिक भास्कर (डी बी कॉर्प लि.) अखबार के प्रबंधन को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए उसे वापस मुंबई उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए मजबूर कर दिया है। यह पूरा मामला मुंबई में कार्यरत दैनिक भास्कर के प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट धर्मेन्द्र प्रताप सिंह संग मुंबई के उसी कार्यालय की रिसेप्शनिस्ट लतिका आत्माराम चव्हाण और आलिया इम्तियाज़ शेख की मजीठिया वेज बोर्ड मामले में जारी रिकवरी सर्टीफिकेट (आरसी) से जुड़ा हुआ है… पत्रकार सिंह और रिसेप्शनिस्ट चव्हाण व शेख ने मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट उमेश शर्मा के मार्गदर्शन एवं उन्हीं के दिशा-निर्देश में कामगार आयुक्त के समक्ष 17 (1) के तहत क्लेम लगाया था।

मजीठिया मांगने पर भाजपा विधायक ने रिपोर्टर को अखबार के दफ्तर में घुसने से रोका, मामला पहुंचा पुलिस स्टेशन

मुंबई : खुद को उत्तर भारतीयों का रहनुमा समझने वाले भाजपा विधायक और हमारा महानगर अखबार के मालिक आरएन सिंह के अखबार में उत्तर भारतीय कर्मचारियों का सबसे ज्यादा शोषण किया जा रहा है। इस अखबार के सीनियर रिपोर्टर (क्राइम) केके मिश्रा को विधायक के पालतू गार्ड हमारा महानगर के दफ्तर में पिछले कुछ दिनों से नहीं घुसने दे रहे हैं।

म्हाडा लॉटरी : मुंबई के २२ पत्रकारों को मिले फ्लैट… पर इनमें कितने हैं रीयल जर्नलिस्ट

मुंबई में अपना घर होने का सपना पालने वाले लोगों में पत्रकारों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। म्हाडा के ९१९ घरों की लॉटरी शुक्रवार को बांद्रा स्थित रंग शारदा में घोषित की गई। इसमें २२ फ्लैट पत्रकारों के लिये आरक्षित रखे गये थे। ८१९ घरों के लिए ६५००० लोगों ने अपनी किस्मत आजमाई थे, लेकिन सबका सपना पूरा नहीं हो सका। उन्हें अगली लॉटरी तक इंतजार करना पड़ेगा।

निष्ठुर एचटी प्रबंधन ने नहीं दिया मृतक मीडियाकर्मी के परिजनों का पता, अब कौन देगा कंधा!

नई दिल्ली। अपने धरनारत कर्मी की मौत के बाद भी निष्ठुर हिन्दुस्तान प्रबंधन का दिल नहीं पिघला और उसने दिल्ली पुलिस को मृतक रविन्द्र ठाकुर के परिजनों के गांव का पता नहीं दिया। इससे रविन्द्र को अपनों का कंधा मिलने की उम्मीद धूमिल होती नजर आ रही है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- ‘मजीठिया वेज बोर्ड के सभी प्रकरण 6 महीने के भीतर निपटाएं’

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अहम फैसला सुनाते हुए देश के सभी राज्यों के श्रम विभाग एवं श्रम अदालतों को निर्देश दिया कि वे अखबार कर्मचारियों के मजीठिया संबंधी बकाये सहित सभी मामलों को छह महीने के अंदर निपटाएं। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई एवं नवीन सिन्हा की पीठ ने ये निर्देश अभिषेक राजा बनाम संजय गुप्ता / दैनिक जागरण (केस नंबर 187/2017) मामले की सुनवाई करते हुए दिए।

‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ अखबार ने अपने कर्मचारियों में मजीठिया वेज बोर्ड का का बकाया एरियर वितरित किया

देश के प्रमुख बिजनेस समाचार पत्र ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ से खबर आ रही है कि इस अखबार ने अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार बकाया लाखों रुपये का एरियर दे दिया है। कर्मचारियों को पांच से आठ लाख रुपये तक उनका बकाया एरियर देकर वेतन वृद्धि का भी काम प्रबंधन ने किया है। हालांकि ये लाखों रुपये का एरियर सिर्फ उन्हीं मीडिया कर्मियों को दिया गया है जिनका वेतन कम था।

देश के 745 अखबारों ने नहीं लागू किया मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश

सबसे ज्यादा पंजाब और झारखण्ड में ठुकराया गया सुप्रीम कोर्ट का आदेश, महाराष्ट्र चौथे, उड़ीसा पांचवे स्थान पर फिसड्डी, मध्य प्रदेश के एक भी अख़बार ने नहीं लागू किया वेज बोर्ड

जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में देश की सबसे बड़ी अदालत माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश को देश भर के 745 अखबार मालिकों ने खुलेआम हवा में उड़ा दिया और दम्भ के साथ सुप्रीमकोर्ट की ओर मुंह करके अट्टाहास कर रहे हैं। ये जता रहे हैं, देख लो सुप्रीमकोर्ट, तुम नहीं, हम सबसे बड़े हैं। माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश की अवमानना करने के मामले में नंबर वन पर है पंजाब।

भास्कर ब्यूरो चीफ अनिल राही बाहर हुए, सुनील कुकरेती और उमेश कुमार उपाध्याय का ट्रांसफर

देश के सबसे चर्चित समाचार पत्रों में से एक माने जाने वाले दैनिक भास्कर अखबार में कर्मचारियों का खूब शोषण होता है। अगर साफ़-साफ़ कहें तो दैनिक भास्कर में किसी की भी नौकरी सुरक्षित नहीं है, भले ही वह कितना भी बड़ा तुर्रम खां क्यों ना हो, तो गलत न होगा! दैनिक भास्कर के मुम्बई के एंटरटेनमेंट ब्यूरो से खबर आ रही है कि यहाँ करीब 22 साल तक इस अखबार में नौकरी करने वाले ब्यूरो चीफ अनिल राही को कंपनी ने एक ही झटके में बिना ठोस नोटिस दिए बाहर का रास्ता दिखा दिया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ठेंगे पर रखते हैं अखबार मालिक, विशाखा समिति कहीं पर गठित नहीं

मुंबई : देश भर के अखबार मालिक माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ठेंगे पर रखते हैं. ये खुद को न्याय, संविधान और कानून से उपर मानते हैं. इसीलिे ये जिद कर के बैठे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानेंगे तो नहीं मानेंगे। पहले जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड का आदेश अखबार मालिकों ने नहीं माना और अब माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा निजी और सरकारी संस्थानों में काम करने वाली महिला कर्मचारियों के सम्मान से जुड़ी विशाखा समिति की स्थापना के लिये दिये गये आदेश को भी मानने से मुंबई के अखबार मालिकों ने मना कर दिया है.

हिंदी दैनिक नवभारत के नयी मुंबई आफिस में मीडियाकर्मियों को हगना-मूतना मना है…

मामला पहुंचा पुलिस आयुक्त तक… महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश के प्रमुख हिंदी दैनिक नवभारत से खबर आ रही है कि नवभारत के नयी मुम्बई स्थित कार्यालय में कर्मचारियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। हालात ये हो गए हैं कि इस अखबार में पहली मंजिल पर बने एक मात्र शौचालय का इस्तेमाल करने से भी कर्मचारियों को रोक दिया गया है। उस शौचालय को नवभारत के डायरेक्टर के लिए रिजर्व कर कर्मचारियों को इसकी सूचना दे दी गयी है।

महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने दिए ‘प्रात:काल’ के फर्जीवाड़े की जांच के आदेश

महाराष्ट्र के कामगार आयुक्त ने मुंबई सहित देश के पांच अन्य शहरों से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक प्रात:काल द्वारा अपने यहाँ कार्यरत पत्रकारों, गैर-पत्रकारों और अन्य विभागों के कर्मचारियों से सम्बंधित गलत एफिडेविट देने की शिकायत पर जाँच करने के आदेश दिए हैं। जांच का दायित्व कामगार उपायुक्त श्री बागल को सौंपा गया है। हिंदी दैनिक प्रात:काल द्वारा श्रम आयुक्त को दिए एफिडेविट में फर्जीवाड़े के पुख्ता सबूत मिले हैं। इस जांच के आदेश के बाद ‘प्रात:काल’ प्रबंधन को फर्जी एफिडेविट देने के मामले में जेल भी हो सकती है।

अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड न देने वाले रमेशचंद्र अग्रवाल अपने साथ कुछ न ले जा सके!

देश के प्रसिद्ध समाचार पत्र दैनिक भास्कर को संचालित करने वाली कंपनी डीबी कार्प के चेयरमैन रमेशचंद अग्रवाल कल अहमदाबाद में ईश्वर को प्यारे हुए और खाली हाथ ही दुनिया से चले गए. अपने इतने बड़े साम्राज्य में से कुछ भी अपने साथ न ले जा सके. रमेश चंद्र अग्रवाल ने जीते जी अपने कर्मियों को मजीठिया वेज बोर्ड के हिसाब से एरियर और वेतन न देने की जिद कर रखी थी और दिया भी नहीं. मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मजीठिया वेज बोर्ड न दिए जाने की सबसे ज्यादा शिकायत दैनिक भास्कर समूह से ही आई है.