Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

रजत शर्मा, आपने बस्सी जी को बचने का मौका दिया तो कन्हैया को भी अपना पक्ष रखने का मौका दीजिए!

Sanjaya Kumar Singh : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति से पत्रकारिता में आए रजत शर्मा बुधवार, 17 फरवरी को अपने चैनल पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी से बातचीत दिखा रहे थे जिसमें बस्सी ने बार-बार पर सिर्फ यही कहा कि कन्हैया कुमार के खिलाफ “पर्याप्त सबूत” हैं। रजत शर्मा के साथ-साथ दुनिया जानती है कि सबूत होने पर ही गिरफ्तारी होती है और सबूत पर्याप्त या अकाट्य नहीं होते हैं, तभी अभियुक्त अदालत से छूटते रहते हैं। ऐसे में सबूत जुटाने वाले से ही पूछना या कहलवाना या उसे कहने का मौका देने का मतलब समझ में आता है। जिसे नहीं समझ में आता है, नहीं समझ में आएगा।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <!-- black text --> <ins class="adsbygoogle" style="display:block" data-ad-client="ca-pub-7095147807319647" data-ad-slot="2970045416" data-ad-format="auto"></ins> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({}); </script><p>Sanjaya Kumar Singh : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति से पत्रकारिता में आए रजत शर्मा बुधवार, 17 फरवरी को अपने चैनल पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी से बातचीत दिखा रहे थे जिसमें बस्सी ने बार-बार पर सिर्फ यही कहा कि कन्हैया कुमार के खिलाफ “पर्याप्त सबूत” हैं। रजत शर्मा के साथ-साथ दुनिया जानती है कि सबूत होने पर ही गिरफ्तारी होती है और सबूत पर्याप्त या अकाट्य नहीं होते हैं, तभी अभियुक्त अदालत से छूटते रहते हैं। ऐसे में सबूत जुटाने वाले से ही पूछना या कहलवाना या उसे कहने का मौका देने का मतलब समझ में आता है। जिसे नहीं समझ में आता है, नहीं समझ में आएगा।</p>

Sanjaya Kumar Singh : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राजनीति से पत्रकारिता में आए रजत शर्मा बुधवार, 17 फरवरी को अपने चैनल पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी से बातचीत दिखा रहे थे जिसमें बस्सी ने बार-बार पर सिर्फ यही कहा कि कन्हैया कुमार के खिलाफ “पर्याप्त सबूत” हैं। रजत शर्मा के साथ-साथ दुनिया जानती है कि सबूत होने पर ही गिरफ्तारी होती है और सबूत पर्याप्त या अकाट्य नहीं होते हैं, तभी अभियुक्त अदालत से छूटते रहते हैं। ऐसे में सबूत जुटाने वाले से ही पूछना या कहलवाना या उसे कहने का मौका देने का मतलब समझ में आता है। जिसे नहीं समझ में आता है, नहीं समझ में आएगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर भी रजत जी अगर निष्पक्ष हैं तो नैतिकता का तकाजा है कि एक बार किसी ऐसे व्यक्ति को मौका दें जो कन्हैया की तरफ से बताए कि उसे फंसाया गया है और कैसे सबूत निराधार हैं। “आप की अदालत” में ही फैसला होना है तो कन्हैया के वकील को भी मौका मिलना चाहिए ना? आपने बस्सी जी को बचने का मौका दिया तो कन्हैया को भी अपना पक्ष रखने का मौका दीजिए। कन्हैया तो जेल में है कहकर अपनी “अदालत” को खुद ही क्यों एकतरफा साबित कर रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement