Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

राजेंद्र माथुर की मौत समीर जैन द्वारा दिए गए मानसिक तनाव की वजह से हुई थी?

देव प्रिय अवस्थी-

यशस्वी संपादक राजेंद्र माथुर (पुण्यतिथि 9 अप्रैल) की याद में… न भूतो, न भविष्यति : रज्जू बाबू

Advertisement. Scroll to continue reading.

निसंदेह, रज्जू बाबू हिंदी पत्रकारिता में सर्वश्रेष्ठ संपादक थे. उन जैसा कोई संपादक न पहले कभी हुआ है और न फिर कभी होगा. उनका व्यक्तित्व विनम्रता और दृढ़ता का अद्भुत संगम था्. मैं संभवतःउन चंद अभागों में हूं जिसने उन्हें चार वर्ष से कम समय के अंतराल में उन्हें दो बार इस्तीफा दिया.

पहली बार 1983 में नभाटा, दिल्ली के उप संपादक पर से और दूसरी बार 1987 में नभाटा, पटना के मुख्य उप संपादक पद से. दोनों ही बार उन्होंने मुझे नभाटा नहीं छोड़ने की सलाह और समझाइश दी और नभाटा में ही मैरे लिए बेहतर भविष्य की संभावनाएं तलाशने के लिए आशवस्त किया. नभाटा, पटना से इस्तीफा देने पर तो उन्होंने मुझे कंपनी के खर्च पर विमान से दिल्ली बुलाया और लंबी-आत्मीय बातचीत में कुछ और समय नभाटा में बने रहने को कहा. लेकिन….

रज्जु बाबू अपने अंतिम दिनों में बेनेट कोलमैन कंपनी की नई पीढ़ी के प्रबंधन, खासकर समीर जैन के तौर-तरीकों से बेहद खिन्न और मानसिक तनाव में थे.

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुछ मित्र महज 56 वर्ष की उम्र मे उनकी मृत्यु की वजह भी इसी तनाव को बताते हैं. संयोग था कि निधन के चंद दिन पहले अपनी अंतिम भोपाल यात्रा के दौरान रज्जे बाबू दैनिक नईदुनिया के दफ्तर आए थे तब उनके साथ कुछ समय गुजारने का मौका मिला था. उन दिनों नईदुनिया प्रबंधन का बंटवारा हुआ ही था और मैं चौथा संसार, इंदौर छोड़कर दैनिक नईदुनिया, भोपाल से जुड़ा था.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement