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सुख-दुख

भक्तों की टोली को हुआं हुआं करने दो, रविश का बाल भी बांका न कर सकेंगे शिकारी

Sheeba Aslam Fehmi : बेदाग़ करियर वाले सेक्युलर बुद्धिजीवियों को घेरने के लिए एक ही रास्ता बचा है की यौन शोषण का आरोप लगा दो. जहाँ आरोप लगाने वाले को कुछ साबित नहीं करना पड़ता. अगर वो ख़ुद बेहद्द सतर्क हों तो कोई बात नहीं परिवार के किसी सदस्य पर लगा दो, और भक्तों की टोली हुआं हुआं करती सोशल मीडिया के ज़रिये जान ले लेगी. लेकिन रविश ने बीस साल के बेदाग़, रौशन करियर में घास नहीं छीली है, उन्होंने जो इज़्ज़त, भरोसा और समर्थन हासिल कर लिया है, उसके रहते शिकारी उनका बाल बांका नहीं कर सकेंगे.

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Sheeba Aslam Fehmi : बेदाग़ करियर वाले सेक्युलर बुद्धिजीवियों को घेरने के लिए एक ही रास्ता बचा है की यौन शोषण का आरोप लगा दो. जहाँ आरोप लगाने वाले को कुछ साबित नहीं करना पड़ता. अगर वो ख़ुद बेहद्द सतर्क हों तो कोई बात नहीं परिवार के किसी सदस्य पर लगा दो, और भक्तों की टोली हुआं हुआं करती सोशल मीडिया के ज़रिये जान ले लेगी. लेकिन रविश ने बीस साल के बेदाग़, रौशन करियर में घास नहीं छीली है, उन्होंने जो इज़्ज़त, भरोसा और समर्थन हासिल कर लिया है, उसके रहते शिकारी उनका बाल बांका नहीं कर सकेंगे.

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Priyabhanshu Ranjan : आजकल एक बड़े पत्रकार सुबह उठकर मुंह भी तब धोते हैं जब NDTV वाले रवीश कुमार को जी भर के गाली दे लेते हैं….उन पर एकदम सड़ा हुआ कीचड़ उछाल देते हैं। खैर, ये पत्रकार महोदय वही हैं जिनकी बेवकूफाना रिपोर्टिंग ने एक शख्स को खुदकुशी के लिए मजबूर कर दिया था। इस चिरकुट पत्रकार ने तथ्यों की जांच किए बिना उस पर बलात्कार का आरोप होने की खबर चलवा दी थी, जिससे आहत होकर ‘आरोपी’ ने खुदकुशी कर ली। कायदे से इस ‘डफर’ को IPC की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने की सजा होनी चाहिए थी, लेकिन ये रवीश पर कीचड़ उछालता फिर रहा है। वो भी रवीश के बड़े भाई के बहाने। इनके कुकर्मों की फेहरिस्त लंबी है। लिखने बैठ जाऊं तो सुबह से शाम हो जाए।

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Syed Salman Simrihwin : इंडिया टीवी के एक पत्रकार हैं… Abhishek Upadhyay..क्या लिखते हैं..तेज़ाबी तेवर, रोशनाई रोने लगे..स्याही सिसकने लगे..कमाल के कलमकार हैं..गज़ब की बमबारी करते हैं शब्दों से..पढ़ा मैंने, बम-बारूद, तोप, गोले, मिज़ाइल, टैंक, और फाइटर प्लेन्स सारे अल्फाज़ी अमले शामिल होते हैं इनकी लेखनी के कुरुक्षेत्र में..इस बार उनकी भिड़ंत हो गई ‘एनडीटीवी’ वाले रविश बाबू से..भिड़ंत नहीं..बल्कि भड़ास कहिये..इसलिए भड़ास भी भड़ासी जज़्बात को पहचान गया…तुरंत पन्ने पर चिपका मारा…खबर छप गई..टांय-टूंयी, ठांय-ठुंई, धड़ाम-धुडिम उपाध्याय जी ने शब्दों की मिशिनगन से इतनी गोलियां दागी..इतनी गोलियां दागी…कि कई भिखारी खोखा चुनकर अडानी के अब्बा बन गए..और बाक़ी शब्दों की शक्ल में मरे कारतूस को बीन के बड़के राष्ट्रवादी पत्रकार बन गए..सौ सालों से शांत बैठा ज्वालामुखी अचानक फट गया…दहकते शब्द, लावा की शक्ल में सब कुछ राख करने को आतुर थे..लेकिन भगवान भला करे रविश का..उन्हें इस हमले में खरोंच तक न आई..अब जान लीजिए रविश का बड़का गुनाह…उनके बड़के भाई के ऊपर रेप के आरोप लगे हैं…बस इतना पता चलते ही…उपाध्याय जी हनुमान हो गए…रावणरुपी रविश के पाप को भस्म करने के लिए..पूरी लंका को आग लगा दी..एक बार में इतने ज़हर उगल डाले…की कोबरा भी शर्म से पानी मांगता फिर रहा है…मगर उपाध्याय जी की तीसरी आंख उस वक़्त नहीं खुली जब…कुछ महीने पहले उन्ही के संस्थान इंडिया टीवी में एक फीमेल एंकर ने, चैनल मालिक रजत शर्मा सहित चैनल के कई लोगों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था..और चैनल के दफ्तर में ही आत्म हत्या करने की कोशिश की थी…तब आरोप भाई/रिश्तेदार पर भी नहीं..बल्कि सीधे सीधे उपाध्याय जी के मालिक पर था..तब उपाध्याय जी के सभी हथियारों में जंग लग गए थे..कलम की रोशनाई सूख गई थी..इत्तेफाकन तब चाइनीज़ सामान का अपने इधर बहिष्कार चल रहा था..इसलिए स्मार्ट फोन का इस्तेमाल भी नहीं कर सके उपाध्याय जी…लैपटॉप भी उनका खराब पड़ा था..दिल्ली में ठंढ भी इतनी थी की दलदली से हांथ में कंपकपी छूट रही थी..उपाध्याय जी बिच्छू नहीं, फिर भी डंक ज़बरदस्त मारते हैं..हमें इनके डंक’ की कद्र करनी चाहिए..इन्हें सच लिखना बहुत प्रिय है…झूठ लिखने से इनकी उंगली ऐंठने लगती है..ईमानदार लेखनी इनकी सबसे बड़ी पूंजी है…इसीलिए ओढ़ने-बिछाने में भी ईमानदारी को ही वरीयता देते हैं…हालांकि मालिक के खिलाफ जब बम पटकने की बात आती है…तो ये ईमानदारी को बनियान से ज़्यादा महत्व नहीं देते..तब उपाध्याय जी कहते हैं..कि एक बनियान दो दिन पहनना मुश्किल है..बदबू करने लगता है..कभी कभी ईमानदारी भी बदबूदार बनियान की तरह होता है..इसलिए जितनी देर ईमानदारी को पहनोगे उतनी देर आसपास में बदबू फैलेगी…अब तो हमने भी सीख लिया है..जहां अवसर हो वहां ईमानदारी की रामनामी चादर ओढ़ लेनी चाहिए..गज़ब की सोच है उपाध्याय भइया की..उनकी सोच को साक्षात प्रणाम..हम सब को मिलकर प्रात: स्मरणीय उपाध्याय जी की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए…ताकि गंगू तेली जैसे लोग खोखे चुन-चुन कर राजा भोज बन सकें।

सौजन्य : फेसबुक

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