रवीश जी, अगर Yashwant Singh से कुछ पर्सनल खुन्नस है तो कम से कम उनके काम की तो तारीफ कर दीजिये!

Divakar Singh : रवीश जी, आपने सही लिखा हमारी मीडिया रीढविहीन है. साथ ही नेता भी चाहते हैं मीडिया उनकी चाटुकारिता करती रहे. आप बधाई के पात्र हैं यह मुद्दे उठाने के लिए. पर क्या बस इतना बोलने से डबल स्टैंडर्ड्स को स्वीकार कर लिया जाए? आप कहते हैं कि ED या CBI की जांच नहीं हुई तो कोई मानहानि नहीं हुई. आप स्वयं जानते होंगे कितनी हलकी बात कह दी है आपने. दूसरा लॉजिक ये कि अमित शाह स्वयं क्यों नहीं आये बोलने. अगर वो आते तो आप कहते वो पिता हैं मुजरिम के, इसलिए उनकी बात का कोई महत्त्व नहीं. तीसरी बात आप इतने उत्तेजित रोबर्ट वाड्रा वगैरह के मामले में नहीं हुए. यहाँ आप तुरंत अत्यधिक सक्रिय हो गए और अतार्किक बातें करने लगे. ठीक है नेता भ्रष्ट होते हैं, मानते हैं, पर कम से कम तार्किक तो रहिये, अगर निष्पक्ष नहीं रह सकते.

न्यूज़ एंकर हमारे समय का थानेदार है, गुंडा है और बाहुबली है : रवीश कुमार

एक ऐसे वक्त में जब राजनीति तमाम मर्यादाओं को ध्वस्त कर रही है, सहनशीलता को कुचल रही है, अपमान का संस्कार स्थापित कर रही है, उसी वक्त में ख़ुद को सम्मानित होते देखना उस घड़ी को देखना है जो अभी भी टिक-टिक करती है। दशकों पहले दीवारों पर टिक टिक करने वाली घड़ियां ख़ामोश हो गई। हमने आहट से वक्त को पहचानना छोड़ दिया। इसलिए पता नहीं चलता कि कब कौन सा वक्त बगल में आकर बैठ गया है। हम सब आंधियों के उपभोक्ता है। लोग अब आंधियों से मुकाबला नहीं करते हैं। उनका उपभोग करते हैं। आंधियां बैरोमीटर हैं, जिससे पता चलता है कि सिस्टम और समाज में यथास्थिति बरकरार है। …

एक लाख रुपये वाला ‘कुलदीप नैयर सम्मान’ पत्रकार रवीश कुमार को देने की घोषणा

Om Thanvi : भाषाई पत्रकारिता के लिए स्थापित पहला कुलदीप नैयर सम्मान संजीदा पत्रकार रवीश कुमार को दिया जाएगा। प्रेस क्लब, दिल्ली में इसकी घोषणा आज सम्मान समिति के अध्यक्ष आशीष नंदी ने की। इस मौक़े पर कुलदीप नैयर भी मौजूद थे। सम्मान में प्रशस्ति के साथ एक लाख रुपए की राशि दी जाएगी।

इंडिया टीवी के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के नाम खुला ख़त…

जमशेद क़मर सिद्दीक़ी


प्रिय अभिषेक उपाध्याय

बीते एक हफ्ते में आपने फेसबुक पर जो कुंठा ज़ाहिर की है, उससे अब घिन आने लगी है। सुना है आपने खाना-पीना छोड़ दिया है। खुद को संभालिये, आप ‘वो’ नहीं बन सकते इस सच को जितनी जल्दी स्वीकार लेंगे आपको आराम हो जाएगा। लकीर को मिटाकर बड़ा नहीं बन सकते आप, आपको बड़ी लकीर खींचना सीखना होगा, अपने सीनियर्स से सीखिये उन पर कीचड़ मत उछालिये। हालांकि इस मामले में आपकी चुस्ती देखकर मुझे अच्छा भी लग रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे ‘स्वर्ग की सीढ़ियां’, ‘नाग-नागिन का डांस’ और ‘क्या एलियंस गाय का दूध पीते हैं’ जैसी स्टोरीज़ में अब आपकी दिलचस्पी कम हो गई है। ये अच्छा संकेत है, मुबारकबाद।

रवीश को रवीश में उलझाना एक साज़िश है!

Sheeba Aslam Fehmi : जबकि पत्रकारिता पर गहरा नैतिक संकट आया हुआ है और मौजूदा दौर के लिए ज़रूरी हैं रवीश कुमार, तो सत्ता यही चाहेगी की रवीश खुद खबर बन जाएं और सफाई देने में उलझे रहें. लेकिन हमें सतर्क रहना होगा. इस मामले में रवीश खुद बेहद सतर्क हैं. अपने काम में निजी जीवन का कोई पहलू कभी आड़े ना आये इसके लिए उनके कई नियम और त्याग तो मैं भी जानती हूँ.

‘बागों में बहार है’ के लिए रवीश को सज़ा..?

टीवी एंकर रवीश कुमार के भाई पर यौन शोषण का आरोप क्या लगा मानों कुछ गुमनाम पत्रकारों को अपने नाम को सुर्खियों में लाने का मौका मिल गया…रवीश कुमार पर इन पत्रकारों के हमले से मुझे जलन की बू आ रही है…वो इसलिए कि… शायद रवीश के साथ जिन पत्रकारों ने अपना सफर तय किया था उन्हें वक्त के साथ उतनी शोहरत नहीं मिली जितनी उन्होंने ख्वाहिश पाल रखी थी… और रवीश ने रोज नए- नए मकाम हासिल कर अपनी एक अलग पहचान बनाई…

रवीश कुमार सब करने ही लगेगा तो नंगों के बीच बदनाम कब होगा!

प्राइम टाइम को रामजस कॉलेज में बदलना खेल नहीं था -रवीश कुमार- गुरुवार सुबह नौ बजे जब हम मूलचंद फ्लाईओवर से एंड्र्यूज गंज केंद्रीय विद्यालय की तरफ उतर रहे थे, तभी कार की खिड़की से देखा कि थोड़ी दूर एक बुज़ुर्ग अपना नियंत्रण खोते हैं और स्कूटर से गिर जाते हैं। टक्कर कैसे लगी, यह …

बालभोगी बनाम भुक्तभोगी

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े रहे एक छात्रनेता पर छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस के छात्र संगठन (NSUI) से जुड़े छात्रनेता ने एक नारा उछाला। बालभोगी, बालभोगी। विद्यार्थी परिषद के लोगों ने दूसरा नारा निकाल लिया। भुक्तभोगी, भुक्तभोगी। जब तक बालभोगी का आरोप था वो मजे का विषय था। परिषद में काम करने वाले उस समय के हर कार्यकर्ता का मजाक ये कहकर उड़ाया जा सकता था।

आरोपी रवीश पांडे का भाई है तो क्या अपराध सिद्ध होने तक खबर भी न चलाओगे?

Abhishek Upadhyay : ये अखबार वाले भी न। ये भी नही समझते एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय माफ़ कीजिएगा, रवीश कुमार के प्रताप को। अब कल मैंने जो लिखने से मना किया था। आज वही छाप दिए। दंग हूँ मैं आज का टाइम्स ऑफ़ इंडिया पढ़कर। ये तो खबर छाप दिए है बिहार कांग्रेस के उपाध्यक्ष और बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के बेहद करीबी ब्रजेश पांडेय सेक्स स्कैंडेल में फंसे। पद से इस्तीफ़ा दिए। रेप के साथ-साथ पॉस्को (बच्चों का शोषण वाली धारा) भी लगा। हाँ हाँ वही। एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय (उफ़ ये आदत), माफ़ कीजिएगा, रवीश कुमार के सगे बड़े भाई ब्रजेश पांडेय।

यह हमला रवीश पर नहीं, आलोचना का साहस रखने वाली पत्रकारिता पर है : ओम थानवी

Om Thanvi : आलोचक उनके लिए दुश्मन होता है; ‘दुश्मनी’ निकालने का उनके पास एक ही ज़रिया है कि आलोचक को बदनाम करो, उसका चरित्र हनन करो। भले वे विफल रहें, पर जब-तब अपनी गंदी आदत को आज़माते रहते हैं। उनकी आका भाजपा की वैसे ही रवीश से बौखलाहट भरी खुन्नस है। रवीश कुमार फिर उनके निशाने पर हैं। रवीश के भाई ब्रजेश बिहार में चालीस साल से कांग्रेस की राजनीति करते हैं।

भाई दोषी है तो कोर्ट सजा दे, इसमें मेरी क्या गलती है : रवीश कुमार

बिहार के टीवी पत्रकार संतोष सिंह से बातचीत में रवीश कुमार ने कहा कि अगर भाई दोषी है तो कोर्ट उन्हें सजा दे, इसमें मेरी क्या गलती है. पढ़िए संतोष सिंह की पूरी पोस्ट…

भक्तों की टोली को हुआं हुआं करने दो, रविश का बाल भी बांका न कर सकेंगे शिकारी

Sheeba Aslam Fehmi : बेदाग़ करियर वाले सेक्युलर बुद्धिजीवियों को घेरने के लिए एक ही रास्ता बचा है की यौन शोषण का आरोप लगा दो. जहाँ आरोप लगाने वाले को कुछ साबित नहीं करना पड़ता. अगर वो ख़ुद बेहद्द सतर्क हों तो कोई बात नहीं परिवार के किसी सदस्य पर लगा दो, और भक्तों की टोली हुआं हुआं करती सोशल मीडिया के ज़रिये जान ले लेगी. लेकिन रविश ने बीस साल के बेदाग़, रौशन करियर में घास नहीं छीली है, उन्होंने जो इज़्ज़त, भरोसा और समर्थन हासिल कर लिया है, उसके रहते शिकारी उनका बाल बांका नहीं कर सकेंगे.

रवीश कुमार को बिना सुनवाई के ही फांसी पर टांग देना चाहिए!

Nitin Thakur : मुझे बिलकुल समझ नहीं आ रहा है कि ये सरकार रवीश कुमार को इतनी मोहलत क्यों दे रही है। उन्हें तो बिना सुनवाई के ही फांसी पर टांगा जाना चाहिए। आखिर किसी पत्रकार के भाई का नाम सेक्स रैकेट चलाने में आए और फिर भी पत्रकार को खुला घूमने दिया जाए ऐसा कैसे हो सकता है? पहले तो उनके भाई ब्रजेश पांडे ने लहर के खिलाफ जाकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली.. ऊपर से टिकट लेकर विधायकी लड़ने का जुर्म किया.. इसके बाद भी ना ब्रजेश पांडे में राष्ट्रवाद ने उफान मारा और ना ही उन्हें देश के हिंदुओं की कोई फिक्र हुई.. कांग्रेस में ही उपाध्यक्ष का पद लेकर राजनीति जारी रखी।

ज़बरदस्ती में भाई लोग एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय के पीछे पड़ गए हैं!

Abhishek Upadhyay : ज़बरदस्ती में भाई लोग एनडीटीवी वाले रवीश पांडेय के पीछे पड़ गए हैं। अरे भई, हाँ। रवीश कुमार। अब खानदानी नाम रवीश पांडेय है तो क्या हुआ? सेक्युलर हैं। सर्वहारा समाज के प्रतिनिधि हैं। रवीश कुमार ही सूट करता है। अब क्या हो गया जो इन्ही रवीश पांडेय, माफ़ कीजिएगा रवीश कुमार के बड़े भाई ब्रजेश पांडेय बलात्कार के मुकदमे में हैं।

रवीश के भाई बृजेश पांडेय पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप!

Dayanand Pandey : अब बताईए कि एनडीटीवी वाले अपने रवीश कुमार के भाई बृजेश पांडेय फ़रार हो गए हैं। सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में बिहार पुलिस उन्हें खोज रही है। बृजेश पांडेय बीते बिहार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ कर हार चुके हैं।