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सुप्रीम कोर्ट की डांट-फटकार और वारंट के बाद राइट टाइम हुआ श्रम विभाग, सुनिए भोपाल का हाल

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 23 अगस्त को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश के पांच कामगार आयुक्तों को लताड़ लगाने और वारंट जारी करने के बाद देश भर के श्रम विभाग के अधिकारी राइट टाइम होते दिख रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से प्रिंट मीडिया के पत्रकारों में ख़ुशी की लहर है. भोपाल में श्रम आयुक्त कार्यालय ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में बहुत तेजी से काम करना शुरू कर दिया है. इस तेजी के लिए इस विभाग का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होना चाहिए.

मजीठिया वेज बोर्ड मामले में 23 अगस्त को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश के पांच कामगार आयुक्तों को लताड़ लगाने और वारंट जारी करने के बाद देश भर के श्रम विभाग के अधिकारी राइट टाइम होते दिख रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से प्रिंट मीडिया के पत्रकारों में ख़ुशी की लहर है. भोपाल में श्रम आयुक्त कार्यालय ने मजीठिया वेज बोर्ड मामले में बहुत तेजी से काम करना शुरू कर दिया है. इस तेजी के लिए इस विभाग का नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होना चाहिए.

24 अगस्त को मजीठिया की लड़ाई लड़ रहे साथियों के वाट्सअप ग्रुप ‘मजीठिया क्रान्ति’ में राय बनी कि एक आरटीआई श्रम विभाग में लगाई जाय और कम्पनियों का 2007 से 10 तक का बैलेंस शीट  मांगा जाए। साथ ही इसके जरिए सभी समाचार पत्रों की सभी यूनिटों व उनके डायरेक्टरों की सभी कम्पनियों का डिटेल निकाला जाए। यह सब आरटीआई से ही संभव है। अगर ये जानकारी श्रम विभाग के कार्यालय में होगी तो वो ऐसे तो देगा नहीं. हां, आरटीआई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर कहा जाए कि आप आयकर विभाग से बैलेंस शीट मंगाकर दीजिये, तो उन्हें देना पड़ेगा. सभी साथियों को ये बात जम गयी. सबने आरटीआई लगाने की प्रक्रिया अपने अपने स्तर से शुरू कर दी.

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भोपाल में पत्रिका अखबार के साथी विजय कुमार शर्मा ने कल 24 अगस्त को एक आरटीआई तैयार किया और उसे भोपाल के सहायक श्रमायुक्त कार्यालय में जमा कर दिया। परसों सुप्रीम कोर्ट में श्रम आयुक्तों की जो हालत हुयी थी, ये शायद उसी का असर है कि भोपाल के सहायक श्रम आयुक्त और जन सूचना अधिकारी ने इस आरटीआई के पत्र को पाने के ठीक आधे घंटे के अंदर एक पत्र आयकर विभाग को भेजा कि विजय कुमार शर्मा द्वारा राजस्थान पत्रिका के बारे में उसका 2007 से वर्ष 2015 तक का बैलेंस शीट माँगा गया है जिसे उपलब्ध कराइये. आरटीआई के मामले में किसी भी विभाग द्वारा किया गया अब तक का यह सबसे तेज पत्र व्यवहार है. इतना तो तय है कि मजीठिया वेज बोर्ड मामले को लेकर श्रम आयुक्तों की हेकड़ी खत्म होने लगी है और उनकी पूरी तरह बोलती बंद है. अगर पहले ही इसी तेजी से श्रम विभाग के लोग काम किए होते तो आज ये नौबत न आती.

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322411335

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