समाचार पत्रों में सबसे ज्यादा बिगड़ैल घोड़े होते हैं एचआर हेड यानी कार्मिक विभाग के मुखिया। वे हमेशा कर्मचारियों के खिलाफ ऐसा काम करते हैं कि उन्हें हमेशा स्टाफ की बद्दुआयें मिलती हैं। मालिक के इशारे पर कानून और एक्ट तोड़कर अलग ही खुद का कानून बनाने वाले और हमेशा कामगारों के खिलाफ काम करने वाले एचआर हेड पर भी अब कानून का डंडा पड़ना शुरू हो गया है। ये एचआर हेड मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ रहे साथियो से ऐसे पेश आते हैं जैसे ये एचआर हेड न होकर सुप्रीमकोर्ट के जज हैं और शिकायतकर्ता ने इनके बाप की कोई पुश्तैनी जमीन हथिया ली है।
जयपुर से सूत्रों ने जानकारी दी है कि सोमवार को दैनिक भास्कर की एचआर हैड वंदना सिन्हा के नाम पर बजाजनगर पुलिस गिरफ्तारी वारंट लाई थी। डर के मारे मिस सिन्हा आफिस ही नहीं आईं। ये वारंट उन लोगों की ओर से है जिनकी रिकवरी के आदेश लेबर कोर्ट से हो चुके हैं। बाद में भास्कर के जीएम कमल शर्मा वकील के साथ थाने गए और पालना का आश्वसन देकर आए। सूत्रों का कहना है कि इससे पहले भी थाने वाले दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक सतीश सिंह और पंत जी के नाम वारंट लाए थे जो नहीं लेने पर भास्कर की बिल्डिंग के बाहर चस्पा कर गए थे।
जिस तरीके से 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने लेबर कमिश्नरों को लताड़ लगाते हुए उत्तराखंड के लेबर कमिश्नर के खिलाफ वारंट जारी कर दिया उससे एक बात तय है कि लेबर कमिश्नर अब फर्जी सूचना देने और लेबर विभाग को गुमराह करने के मामले में एक एक कर सभी एचआर हेड के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने वाला है। सो अब देश के सभी समाचार पत्रों के एचआर हेड को अपने कामगारों के प्रति मृदुभासी होना पड़ेगा नहीं तो उनका कामगारों के खिलाफ काम करने का रवैया उन्हें जेल भी भिजवा सकता है।