हफीज किदवई-
आज लखनऊ को भी कुछ गर्व करना चाहिए, जब उसकी गलियों में फिरने वाले एक नौजवान के हाथ में रामनाथ गोयनका अवार्ड ने जगह बनाई। आज यह तस्वीर लगाते हुए दिल बहुत खुश है, बसंत को वहां देखना हम सबका सपना था। बसंत को मेहनत करते देखते के हम सब गवाह हैं।
वह एक मेहनती और ईमानदार पत्रकार रहे हैं। लखनऊ में हमारा कुछ साथ रहा है, आज वह सारे पल कितने क़ीमती लग रहे हैं। वैसे तो बसंत बिना सम्मान के भी मेरे लिए बहुत अहमियत रखते हैं। वह इस जमात की इज़्ज़त हैं, जिसे आज इज़्ज़त के लिए सबसे ज़्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है। बसंत की रिपोर्ट पढ़िए, उनके काम को देखिये, तो समझ आएगा कि पत्रकारिता क्या होती है।
बसंत बहुत बधाई। आपने हम सबको इज़्ज़त दी,उससे ज़्यादा अपने काम के लिए लोगों में इज़्ज़त पैदा की। यह बताया भी मुश्किल वक़्त में भी ईमानदारी से पत्रकारिता की जा सकती है। आज बसंत के परिवार, दोस्त, साथी, सहकर्मी सब खुश होंगे, क्योंकि वह जानते हैं कि कि बसंत कितना जुझारू शख्स है। मेरी तरफ से खूब मुबारकबाद, खूब दुआएँ।
लखनऊ थोड़ा और समृद्ध हुआ। उसके पहलू में सर रखकर जिस नौजवान ने करवट बदली थी, उसको दुनिया ने इज़्ज़त से देखा। खूब मुबारकबाद बसंत।
निराला बिदेसिया-
ग्लैमरस पत्रकारिता के दौर में, येन केन प्रकारेन रातो रात चर्चित होने की चाहत वाले दौर में, पत्रकारिता के नाम पर सोशल मीडिया पर ईटिंग वोमेटिंग कर किसी तरह अपने जिंदा और सक्रिय होने के रोजाना और हर घंटे सबूत देने के दौर में Basant Kumar मुझे बहुत आकर्षित करते रहे हैं। जब फोन पर बात होती है, तब भी। जब हमारी मुलाकात होती है, तब भी।
गांव कनेक्शन के दिन से ही बसंत कभी हड़बड़ी में नहीं दिखते। काम के प्रति समर्पण, अपने पेशे के प्रति आदर, व्यक्तित्व में धैर्य, सौम्यता और अनुशासन, बसंत की पहचान है। अभी शुरुआत है। बसंत को सम्मान (रामनाथ गोयनका) मिलना, हम जैसे तमाम लोगों के लिए गर्व और गौरव का विषय है। इस रिप्रोडक्टिव जर्नलिज्म के दौर में पत्रकार कंटेंट से ज्यादा अपनी स्थापना में लगे रहते हैं, और नई पीढ़ी उनसे ही प्रभावित होती है, वैसे समय में यह सुकून की खबर है। बधाई बसंत। खूब प्यार।