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राज्यसभा टीवी के प्रधान संपादक के संपादन की योग्यता देखिए!

Zaigham Murtaza : ये Rajyasabha Television के प्रधान संपादक की संपादन योग्यता है। प्रति माह 3 लाख रुपये से ज़्यादा का ख़र्च है इसे पालने का। ये पैसा हमारे आपके टैक्स से जाता है…

उनके मुताबिक़ नुक्ता लगा देने से हिदी का शब्द उर्दूमय हो जाता है… ये तो सैंपल है। अभी मेरे पास इस से भी बड़ा माल पड़ा है स्टाक में।

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राज्यसभा टीवी में कार्यरत रहे जै़ग़म मुर्तज़ा की एफबी वॉल से. देखें कुछ मुख्य टिप्पणियां….

Mohammed Ammar Khan मुझे समझ नहीं आता जिन्हें ज और ज़ में फ़र्क नहीं आता, वो इन बड़े ओहदों पर कैसे पहुंच जाते हैं। हमारे प्रिंट में तो नुक्ता बिल्कुल भी मान्य नहीं। असल में बात वही है संपादक अब बड़ा बाबू बन गया है, जिसे ख़बर के बहाने ख़बर से उर्दू लफ्ज़ हटाने हैं। बड़े जाहिल लोग हैं। Zaigham भाई, मैंने आपकी लड़ाई पढ़ी है। जो कुर्बानी आपने उर्दू के लिए दी है एडिटोरियल रूम में, उससे कहीं ज़्यादा हक़ बात के लिए।

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Naeem Akhtar इसने तो हिंदी शब्द का ही चीर हरण कर दिया। भाई ज ज़ का फर्क उर्दू पढ़ कर हिंदी लिखने वाला ही समझ सकता है और लिख सकता है 90 % टीवी एंकर असदुद्दीन ओवैसी का नाम लेना नहीं जानते अगर हिंदी में लिखवा लो तो उनकी नानी याद आ जाए।
Mohammed Ammar Khan भाई। जिन्हें खुश और खुस, आशा और आसा। बाज़ार और बाजार में फ़र्क नहीं पता उनसे आप क्या उम्मीद रखेंगे। 90 फीसद से ज़्यादा ही होगा ये आंकड़ा, ज़िक्र को जिक्र ही पढ़तें हैं ये बेचारे।

Tanweer Ahsan मुखालफत को खिलाफत

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Mohd Shariq अब जनाब राज्यसभा के ceo की नियुक्ति की टीम में हैं।

Zaigham Murtaza CEO nahi… Executive Editor… wo bhi pahle se fixed hai… the same search and selection committee that recommended the name of Rahul Mahajan as EIC recommended the person on spot 2 Vibhakar shall be made EE … the same is written as a noting on the file. Seenazori wali chori

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Mohammad Javed Khan भाई बहुत बड़ा क़ाबिल है।

Salman Khan यक़ीन नहीं होता! ई तो एकदम्मे भुरकस हिंदी है!

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Yadav Rajesh जरूर मेरिटधारी होंगे…सम्मान से मौत का हकदार…बधाई…

Mohd Shuaib ये तो बहुत पहुँची हुई हस्ती है इन हस्ती को सलाम करवाओ हमे तनिक

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Monis Malik Warsi कमाल की बात है इतना मना करने के बाद भी ‘तक़रार,हक़दार,’ जैसे उर्दू अल्फ़ाज़ों का इस्तेमाल हो रहा है

Adil Zaidi Kavish साथ ही साथ “मौत” का भी

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Zaigham Murtaza हकदार बिना नुक्ते वाला है। हिंदी मानिए उसको 😉

Adil Zaidi Kavish कौन है ये लोग कहाँ से आते हैं

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Zaigham Murtaza पाठशाला के पीछे कंचे खेलने वालों के झुंड से 😉

Adil Zaidi Kavish जय कलकलसानी कार दिया इन लोगो ने

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Riyazul Qamar Khan aajkal criminals, jahil, moorkhon ka raaj hai..its ok to be idiot, but deplorable to be stupid.. ahmaq

Adil Zaidi Kavish हमारी संपादकीय इससे कहीं बेहतर है । अगला राज्यसभा संपादक मुझे आज ही घोषित किया जाये

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Arham Zuberi चमचागिरी करके यहां तक पहूच जाते हैं और औकात चपड़ासी बनने की है ।

मोहम्मद हसन ‘दानिश’ इस से बढ़िया सम्पादन तो पुराने समय मैं ख़त लिखने वाले चाचा और मामा कर देते। #चापलूसी ज़िंदाबाद

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Syed Faizan Zaidi ये वही हरामखोर हे जो आपको उर्दू ना बोलने की बकवास करता था।

इसे भी पढ़ें….

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संघ के वैचारिक भौंपू बने RSTV से पत्रकार ज़ैग़म मुर्तज़ा का इस्तीफा, पढ़ें उनकी पीड़ा

xxx

मायावती से तीखा सवाल पूछने वाली उस लड़की का पत्रकारीय करियर शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गया!

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2 Comments

2 Comments

  1. अजय जैन 'विकल्प'

    November 8, 2018 at 7:49 pm

    बेहतरीन ….

  2. rstv ka ek karmchari

    January 19, 2019 at 3:10 pm

    राज्यसभा टीवी में होने वाली नियुक्तियां पहले से ही फिक़्स

    अभी हाल में ही मकर सक्रान्ति और लोहड़ी का त्यौहार निकला है, लोगों ने गज़क और रेवड़ी के मज़े जमकर लिये होगें। राज्यसभा टीवी में अब रेवड़ियां बंटनी शुरू होगी। जी हाँ आप लोगों ने सही सुना, राज्यसभा टीवी में नियुक्तियों के लिए टेस्ट और इन्टरव्यूह का त्यौहार शुरू होने वाला है, लेकिन अन्दरखाने ये खब़र छनकर आ रही है कि, सारा मैच पहले से ही फिक्स है। नियुक्ति के लिए मैदान में खड़े बैट्समैन को पहले ही पता है कि अगली आने वाली बॉल यॉर्कर है या शार्ट-पिच। मौजूदा सरकार का कार्यकाल खत्म होने के दौर में है, ऐसे में सरकार अपने उन लोगों को राज्यसभा टीवी में फिट करने की जुगत में है, जो कि बौद्धिक रूप से खोखले है, लेकिन पत्रकारिता से ज़्यादा उन्हें चाटुकारिता का अनुभव है। ये लोग अगर एक बार भी राज्यसभा टीवी में नियुक्ति पा जायेगें तो इस टीवी संस्थान में भी भक्तिकाल शुरू हो जायेगा, दरबारी पत्रकार अंधभक्ति के दोहे पढ़ेगें। ये गौर करने वाली बात है कि राज्यसभा में वैंकेसियों का नोटिफिकेशन मई-जून 2018 में निकला था, और भर्तियों की ये प्रक्रिया जनवरी 2019 की आखिरी हफ़्ते में पूरी होने जा रही है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले भर्ती प्रक्रिया को पूरा करना अपने आप में गंभीर मसला है। ये सरकार की मंशा पर सीधा सवाल उठाता है। इस पूरी कवायद में राज्यसभा सचिवालय और राज्यसभा टीवी के प्रशासनिक विभाग की सीधी मिलीभगत है। फाइनल लिस्ट लगभग तैयार है। जिन लोगों का सिलेक्शन होना तय हुआ है, अगर उनकी पृष्ठभूमि की जांच पड़ताल की जाये तो आप लोग पायेगें कि, उन लोगों का कनेक्शन छिपे या सीधे तौर पर संघ परिवार उनके आनुषांगिक संगठनों या भाजपा से है। ऐसा नहीं कि ये पहली बार हो रहा है, पूरी पत्रकार बिरादरी जो तटस्थ मूल्यों और निष्पक्ष पत्रकारिता में आस्था रखती है, वो ये भलीभांति जानती है कि पिछले पाँच सालों के दौरान दूरदर्शन, लोकसभा टीवी, प्रसार भारती (खासतौर से सलाहकारों की नियुक्तियां), ऑल इंडिया रेडियों सीबीएफसी और एफटीआईआई में किन-किन लोगों की नियुक्तियां हुई। राज्यसभा टीवी में आगे होने वाली सभी प्रक्रियायें मात्र दिखावा और औपचारिकतायें है, ताकि प्रशासनिक पारदर्शिता की ढोल पीटा जा सके। आने वाले दिनों में होने वाली गतिवधियां उन सभी पत्रकार भाईयों के लिए बुरा संदेश जो राज्यसभा टीवी में ज्वॉयनिंग का सपना देख रहे है। सारा मसला अपने निठ्ठल्ले लोगों को फिट करने का है, जिन्हें काम करने का सऊर तो नहीं है लेकिन पत्रकार कहलाने का शौक जरूर है। ऐसी एक बड़ी जमात आने वाले दिनों में राज्यसभा टीवी में सुशोभित होगी। कुल मिलाकर कहे तो राज्यसभा सचिवालय ने राज्यसभा टीवी को एक खास़ वैचारिक रंग में रंगने की तैयारी पूरी कर ली है। वो रंग और वो वैचारिकता क्या है ये हम सभी अच्छी तरह से जानते है। वो लोग जिनके सिर पर संघ या भाजपा का हाथ नहीं है, वो इस प्रक्रिया में शामिल ना हो क्योंकि निराशा और समय बर्बाद होने के अलावा उनके हाथ कुछ नहीं लगने वाला। मज़े की बात है इन्टरव्यूह और टेस्ट दिल्ली में अभी होने वाला है लेकिन फाइनल कैंडिडेट्स की लिस्ट नागपुर से तैयार होकर दिल्ली पहले ही पहुँच चुकी है। धर्मनिरपेक्ष उदारवादी प्रगातिशील और आज़ाद ख्याल वाले लोगों के लिए राज्यसभा टीवी में कोई जगह नहीं है। आने वाले दिनों में फासिस्ट मानसिकता, कट्टरता, अंध राष्ट्रवाद, और आक्रामक दक्षिणपंथ राज्यसभा टीवी के नव-नियुक्त स्टॉफ में और प्रसारित होने वाले कटेंट में देखने को मिलेगा। इस बात को साबित करने के लिए एक मौजूदा तथ्य ये भी है कि अगर राज्यसभा टीवी के डिबेट पैनलिस्ट पर गौर तो, ये साफ देखने में आता है कि किन मानसिकता वाले लोगों को पैनल में डिशक्शन करने के लिए बुलाया जा रहा है। तटस्थ और वादनिरपेक्ष पैनलिस्ट कम ही आते है इस चैनल में। रही नियुक्ति इन्टरव्यूह पैनलिस्ट की बात आपको हम पहले ही बताना चाहेगें कि के.जी. सुरेश इसमें जरूर शामिल रहेगें, उनका नाम लगभग तय माना जा रहा है। फिलहाल वो अभी भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) में महानिदेशक के पद पर आसीन है। उनकी सोच की झुकाव की ओर है, ये किसी से छिपा नहीं है। वो किस तरह का इन्टरव्यूह लेगें, उनके ऊपर किनका वरदहस्त है ये कोई विर्मश का मुद्दा नहीं है सब कुछ पानी की तरह साफ है। कुल मिलाकर लब्बोलुआब ये है कि राज्यसभा टीवी की आगामी नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता निल्ल बट्टे सन्नाटा है। पत्रकार बंधु किसी मुगालते में ना रहे, तालकटोरा स्टेडियम के प्रांगण में भीड़ लगाने का कोई फायदा नहीं है। अपना सीवी लेकर कहीं और टहले या फिर सीधे शाखा में जाकर ध्वज़ प्रणाम करे तभी नियुक्ति संभव है।

    भारतमाता की जय
    जय श्री राम

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