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उत्तर प्रदेश

यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त के नाम की घोषणा लखनऊ में कल होगी

लखनऊ : यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता लम्बे समय से यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और सभी 9 सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली और व्यवहार पर उंगली उठाते रहे हैं. जहाँ एक तरफ आरटीआई कार्यकर्त्ता सूचना आयुक्तों पर उत्पीडन करने और सरकार की चाटुकारिता करने के चलते समय पर सूचना न दिलाने का आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं सूचना आयुक्त भी आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे हैं.

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लखनऊ : यूपी के आरटीआई कार्यकर्ता लम्बे समय से यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त और सभी 9 सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली और व्यवहार पर उंगली उठाते रहे हैं. जहाँ एक तरफ आरटीआई कार्यकर्त्ता सूचना आयुक्तों पर उत्पीडन करने और सरकार की चाटुकारिता करने के चलते समय पर सूचना न दिलाने का आरोप लगाते रहे हैं तो वहीं सूचना आयुक्त भी आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने का आरोप लगाते रहे हैं.

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कभी सूचना आयुक्त आरटीआई आवेदकों के खिलाफ एफ.आई.आर. लिखाकर उन्हें जेल भिजवाते है तो कभी आरटीआई कार्यकर्ता सभी सूचना आयुक्तों के सामने यूपी के सूचना आयोग ‘आरटीआई भवन’ में उन सभी का पुतला फूँक कर अपना विरोध बुलंद करते हैं. इन सबके बीच सूबे में आरटीआई के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत एक सामाजिक संगठन ने एक अनूठे प्रयास के तहत बीते शनिवार को राजधानी लखनऊ के हजरतगंज जी.पी.ओ. स्थित महात्मा गाँधी पार्क में एक कैंप लगाकर यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का पता लगाने और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा का पता लगाने के लिए  एक सर्वे कराया था. यह संस्था कल इस सर्वे के परिणाम की घोषणा एक प्रेस-कांफ्रेंस के माध्यम से करने जा रही है.

लखनऊ की सामाजिक संस्था येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव और सामाजिक कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने बताया कि सर्वे के आंकड़ों की गिनती के आधार पर परिणाम निकाल लिए गए हैं और कल दिनांक 30 अप्रैल 2016, दिन शनिवार को 01:30 बजे अपराह्न लखनऊ के बर्लिंगटन चौराहे से ओडियन सिनेमा की तरफ जाने वाली सड़क, 33 कैंट रोड, ‘एजमा प्लेस’ के बेसमेंट में बने कार्यालय में येश्वर्याज के पदाधिकारियों द्वारा एक प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से इस सर्वे के परिणाम सार्वजनिक किये जायेंगे.

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सूचना आयुक्तों द्वारा आरटीआई कार्यकर्ताओं पर आरटीआई के नाम पर धन्धेबाजी करने और ब्लैकमेलिंग कर धन उगाही करने के चलते सूचना आयुक्तों पर बेजा दबाव बनाने के आरोप लगाने पर बातचीत करते हुए उर्वशी ने आयुक्तों के इस आरोप को सिरे से ख़ारिज करते हुए सभी सूचना आयुक्तों को इस मुद्दे पर इन-कैमरा खुली बहस की चुनौती दी. ‘साँच को आँच नहीं’ बाला जुमला बोलते हुए उर्वशी ने कहा कि लम्बे समय से उनका संगठन यूपी के सूचना आयोग की कार्यवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग कर रहा है पर जनता के बीसियों करोड़ फूंककर बनाए गए ‘आरटीआई भवन’ में भी जनता पर नज़र रखने के लिए तो कैमरे हैं पर सुनवाइयों में सूचना आयुक्तों के व्यवहार पर नज़र रखने के लिए एक भी कैमरा नहीं है.

उर्वशी ने कहा कि यदि सूचना आयुक्त सही हैं और आरटीआई आवेदक उन पर बेजा दबाब बनाते हैं तो सूचना आयुक्तों को सुनवाइयों की रिकॉर्डिंग से परहेज क्यों है? उर्वशी ने बताया कि अखिलेश की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के समय उनके संगठन के प्रयास से सूचना आयुक्तों की सुनवाइयों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मुकम्मल व्यवस्था की गयी थी जिसे वर्तमान आयुक्तों द्वारा अपने भ्रष्ट हित साधने के लिए जानबूझकर बंद करा दिया है.

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बकौल उर्वशी उनका संगठन सूचना आयोग में आरटीआई आवेदकों की सुरक्षा के लिए कृतसंकल्प है और वे यूपी के सूचना आयोग की सुनवाइयों में शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग की व्यवस्था की मुहिम को अंजाम तक पंहुचाकर ही दम लेंगी जिसके लिए आगामी मई माह में उनका ‘सविनय कार्य बहिष्कार’ आन्दोलन प्रस्तावित है. अपने पद से बर्खास्त होने वाले देश के एक मात्र सूचना आयुक्त यूपी के पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त एम. ए. खान को हटवाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली समाजसेविका उर्वशी ने बताया कि सर्वे के आधार पर सामने आये यूपी के सबसे खराब सूचना आयुक्त का नाम कल ही राज्य के राज्यपाल को देकर उनसे इस सूचना आयुक्त को आरटीआई एक्ट की धारा 17 में विहित व्यवस्थानुसार हटाने के लिए प्रकरण को उच्चतम न्यायालय को संदर्भित करने की बात कही जायेगी और और यूपी में आरटीआई एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा की सूचना सूबे के मुख्यमंत्री को देकर इस बाधा को दूर कराने के आवश्यक उपाय कराने की मांग की जायेगी.

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