अरविंद कुमार सिंह-
आज़मगढ़ : ये जो तस्वीर दिख रही है. यह कोई सामान्य तस्वीर नहीं है. इस तस्वीर के अपने संकेत और संदेश हैं. जो सियासी से ज्यादा इंसानी नजरिये से देखने की जरूरत है. एक इंसान का जमीनी स्तर से शुरू राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन उसे आसमान की किस ऊंचाई तक पहुँचा सकता है. यह समय, देशकाल और परिस्थिति तय करती है. और सच्चे मायने में समय ने यदि समय पर न्याय किया होता तो यह यह सियासतदां देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सदन में होता और ऐसी तस्वीरें सरेआम रोजमर्रा मीडिया की सुर्खियों में होती.
तस्वीर में जिस शख्स को गुलदस्ता देकर सम्मान किया जा रहा है, वह हमारे समय में दशक भर का सबसे चमकीला आजमगढ़ी युवा तुर्क चेहरा है. जिसने ठेठ गांव की पगडंडियों से होते हुए छात्र राजनीति के सहारे सियासत की कठोर जमीन पर संघर्ष करते यहाँ तक पहुँचा. सहजानन्द राय का कल जन्मदिन था. और उनको बधाइयाँ देने का तांता लगा था. सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल थी.
प्रशासनिक हल्के का आलम आप इस तस्वीर में देख सकते हैं. डीआईजी, डीएम और एसपी आजमगढ़ सहजानन्द राय के जन्मदिन पर शुभकामनाएं देने स्वयं आएं. अगर कुछ घटनाक्रम असामान्य नहीं हुए होते तो इस बार इन्हें एम एल सी बनना तय था. भाजपा को सींच कर संवारने में जिन लोगों का योगदान है, उसमें सहजानन्द का योगदान एक दशक में सर्वाधिक है. वे मित्रों के मित्र हैं.!!
ईश्वर इससे बड़ा प्रोटोकॉल और सियासी मेयार दे. देर से ही सही जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं सहजा जी! ईश्वर आप यूँ लोकप्रिय और सार्थक बनाएँ रखे..