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हड़ताल बर्दाश्त नहीं, अब होंगे साइड इफेक्ट

हर चीज का असर होता है । बारिश का होता । आमतौर पर इसके बाद मौसम सुहाना हो जाता है तो आंधी का भी असर होता है। हर तरफ धूल ही धूल रहती है । कुछ हड़ताल का असर पहले होता है तो कुछ का बाद में लेकिन होता सबका है । मित्रो कहने का मतलब सहारा में हड़ताल समाप्त हो गई या टूट गई या तोड़वा दी, जो भी हो, यह आपकी एकजुटता के कारण हुआ। अब जरूरत है इसे स्थायी रूप से संगठित रूप देने की । स्थायी स्वरूप तभी हो सकता है, जब आप इसे यूनियन का रूप दें । आप दे सकते हैं। वह इसलिए कि जब आप अखबार का प्रकाशन ठप करा सकते हैं तो यूनियन भी बना सकते हैं । इसे बेहतर तरीके से चला सकते हैं । 

<p>हर चीज का असर होता है । बारिश का होता । आमतौर पर इसके बाद मौसम सुहाना हो जाता है तो आंधी का भी असर होता है। हर तरफ धूल ही धूल रहती है । कुछ हड़ताल का असर पहले होता है तो कुछ का बाद में लेकिन होता सबका है । मित्रो कहने का मतलब सहारा में हड़ताल समाप्त हो गई या टूट गई या तोड़वा दी, जो भी हो, यह आपकी एकजुटता के कारण हुआ। अब जरूरत है इसे स्थायी रूप से संगठित रूप देने की । स्थायी स्वरूप तभी हो सकता है, जब आप इसे यूनियन का रूप दें । आप दे सकते हैं। वह इसलिए कि जब आप अखबार का प्रकाशन ठप करा सकते हैं तो यूनियन भी बना सकते हैं । इसे बेहतर तरीके से चला सकते हैं । </p>

हर चीज का असर होता है । बारिश का होता । आमतौर पर इसके बाद मौसम सुहाना हो जाता है तो आंधी का भी असर होता है। हर तरफ धूल ही धूल रहती है । कुछ हड़ताल का असर पहले होता है तो कुछ का बाद में लेकिन होता सबका है । मित्रो कहने का मतलब सहारा में हड़ताल समाप्त हो गई या टूट गई या तोड़वा दी, जो भी हो, यह आपकी एकजुटता के कारण हुआ। अब जरूरत है इसे स्थायी रूप से संगठित रूप देने की । स्थायी स्वरूप तभी हो सकता है, जब आप इसे यूनियन का रूप दें । आप दे सकते हैं। वह इसलिए कि जब आप अखबार का प्रकाशन ठप करा सकते हैं तो यूनियन भी बना सकते हैं । इसे बेहतर तरीके से चला सकते हैं । 

आप काम पर लौट आए हैं । आपसे भी कहा गया होगा कि सारा कहा सुना भूल जाइए , हम आपके लिए जो थे वही रहेंगे । मित्रों यह सब कहने की बात है । हड़ताल सरकारी/अर्द्ध सरकारी/आयोग या निजी संस्थान हो, हर जगह के साइड इफेक्ट कमोबेश एक जैसे होते हैं । हड़ताल क्या, उपवास करके देख लीजिए, अधिकारी आपको बर्दाश्त नहीं करेंगे। फिर आपके  ऊपर सिर्फ अधिकारी ही नहीं, मालिक भी सिर पर सवार रहता है। अब आप लोकतंत्र के तथाकथित चौथे खंभे हैं, तब भी आपके ऊपर गाज गिरेगी । हड़ताल में जिन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया होगा, वह निकाला जाएगा या इतनी दूर तबादला कर दिया जाएगा कि उसके लिए नौकरी करना मुश्किल हो जाए ।

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मित्रों यह दरख्वास्त किसी एक साथी से नहीं है, सभी से है । पहले तो एकजुट होइए , संगठन बनाइए तो सिर्फ पत्रकारों का नहीं, सभी को शामिल करिए । जबरन इस्तीफा लेने पर पहले निकट के थाने में मामला दर्ज करायें फिर उसकी प्रति अपने वरिष्ठ अथिकारी को भेजें, उसके बाद ही कोर्ट जाएं हालांकि यह हम सबके लिए आसान नहीं है। बेहतर लड़ाई यूनियन के माध्यम से ही संभव है और वही अंतिम विकल्प है।

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0 Comments

  1. kabeer

    July 16, 2015 at 7:40 am

    abhi abhi news mili hai ki sahara ke eik employ ke hart attuck se death go gayee hai. yeh sahara karmi sahara ke canteen main coupan per bhatha tha.. gat rati kalynpuri main hart attuck hone per uskee family use laker LBS hospital gaya the jahana uskee death ho gayee. uo saharakarme kaye maheeno sa payment nahee milna sa pareshaan thaa. uuper sa sahara ka andolan bhe khatam ho gaya lakin saharakarmi ko kuch nahee milaa,

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