आजमगढ़। सहारा रोजनामा, दिल्ली में उप-संपादक शाह आलम के भतीजे मो. समर पर विगत 30 अगस्त को कुछ लोगों ने प्राणघातक हमला किया था। समर पुत्र फैय्याज, उम्र 19 वर्ष साईकिल से गांव सरायमीर जा रहा था कि मंजरी पट्टी मोड़, थाना सरायमीर पर पांच लोगों ने उस पर लोहे की रॉड से प्राणघातक हमला किया। हमले में समर गम्भीर रूप से घायल हो गया। उसे सहारा हॉस्पीटल, लखनऊ में भर्ती किया गया जहां 20 दिनो तक चले इलाज के बाद डॉक्टर बमुश्किल उसकी जान बचा पाए।
पुलिस ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली लेकिन हाथ पर हाथ धरे बैठी है जबकि अपराधी खूलेआम घूम रहे हैं। शाह आलम ने इसकी शिकायत गृह सचिव (उप्र) नवनीत सहगल और डीजीपी मुख्यालय के जनसंपर्क अधिकारी से मिल कर की। फिर भी पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंगी है। क्योंकि सपा के एक वरिष्ठ नेता का अभियुक्तों को वरदहस्त प्राप्त है जिसके चलते पुलिस कार्यवाही करने से डर रही है।
ये सपा नेता इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं लेकिन एक दूसरे प्रदेश में सपा के वरिष्ठ नेता हैं। अभियुक्तों की गिरफ्तारी न होने से उनका हौसला बढ़ गया है। वे समर को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं जिससे समर की जान-माल का खतरा बढ़ गया है। पुलिस फिर भी शान्त है। अखिलेश सरकार का ये कैसा सुशासन है जहां खुद सपा मुखिया मुलायम सिंह के संसदीय क्षेत्र में उनके नेता अपराधियों की पैरवी कर रहे हैं।
शाह आलम आजमगढ़ जिले के ग्राम बीनापार के रहने वाले हैं। आलम पिछले 13 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।