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अमर उजाला का एक और कारनामा : सेबी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में अहम जानकारियों को छिपाया, रविंद्र ने आपत्ति दर्ज कराई

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की नार्दर्न रीजनल ऑफिस के क्षेत्रीय प्रबंधक को लिखे एक पत्र में अमर उजाला धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) के सीनीयर एडिटर रविंद्र अग्रवाल ने बताया है कि अखबार के संबंधित ड्राफ्ट प्रोस्पेक्टस में न्यायिक विवाद से जुड़ी अहम जानकारी को छिपाया गया है। साथ ही मीडिया कर्मियों के लिए घोषित मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवज्ञा संबंधी तथ्यों का भी उल्लेख नहीं किया गया है। फैसले के तहत अमर उजाला पर अपने संस्थान के कर्मचारियों की करोड़ों रुपये की देनदारी है। अखबार ने इस भुगतान से बचने के लिए अपनी सभी यूनिटों को अलग-अलग दर्शाया है, जो कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 2-डी के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है और इसी को लेकर कोर्ट में विवाद लंबित है। अमर उजाला ने गंभीर वित्तीय अनियमितता के साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है। इसलिए अमर उजाला को आईपीओ की इजाजत देने से पहले सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के निर्णय का इंतजार किया जाए। 

रविंद्र अग्रवाल के पत्र (दो पृष्ठों में) की फोटो प्रति इस प्रकार है –

प्रोस्पेक्टस पर दर्ज रविंद्र अग्रवाल के आपत्ति-पत्र का पृष्ठ-एक 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की नार्दर्न रीजनल ऑफिस के क्षेत्रीय प्रबंधक को लिखे एक पत्र में अमर उजाला धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) के सीनीयर एडिटर रविंद्र अग्रवाल ने बताया है कि अखबार के संबंधित ड्राफ्ट प्रोस्पेक्टस में न्यायिक विवाद से जुड़ी अहम जानकारी को छिपाया गया है। साथ ही मीडिया कर्मियों के लिए घोषित मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवज्ञा संबंधी तथ्यों का भी उल्लेख नहीं किया गया है। फैसले के तहत अमर उजाला पर अपने संस्थान के कर्मचारियों की करोड़ों रुपये की देनदारी है। अखबार ने इस भुगतान से बचने के लिए अपनी सभी यूनिटों को अलग-अलग दर्शाया है, जो कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 2-डी के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है और इसी को लेकर कोर्ट में विवाद लंबित है। अमर उजाला ने गंभीर वित्तीय अनियमितता के साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है। इसलिए अमर उजाला को आईपीओ की इजाजत देने से पहले सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के निर्णय का इंतजार किया जाए। 

रविंद्र अग्रवाल के पत्र (दो पृष्ठों में) की फोटो प्रति इस प्रकार है –

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प्रोस्पेक्टस पर दर्ज रविंद्र अग्रवाल के आपत्ति-पत्र का पृष्ठ-एक 

प्रोस्पेक्टस पर दर्ज रविंद्र अग्रवाल के आपत्ति-पत्र का अंतिम पृष्ठ-दो

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उल्लेखनीय है कि हिंदी दैनिक अमर उजाला की प्रकाशक कंपनी, अमर उजाला पब्लिकेशंस ने शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के जरिए धन जुटाने के वास्ते पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) जमा करा दिया है। इस ऑफर में 50 करोड़ तक नए शेयर जारी किए जाएंगे, जबकि कंपनी के प्रवर्तक राजुल माहेश्वरी, स्नेहलता माहेश्वरी और पन अंडरटेकिंग्स नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड अपने 26.9 लाख (26,90,234) शेयरों को बिक्री (ओएफएस) के लिए पेश करेंगे। ओएफएस से मिली रकम सीधे संबंधित शेयरधारकों को मिल जाएगी और कंपनी का उसका कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। वहीं नए शेयरों से मिली शुद्ध रकम का इस्तेमाल अमर उजाला विस्तार के लिए प्रिंटिंग मशीनों व होर्डिंग्स की खरीद और अपनी एक सब्सिडियरी में निवेश के लिए करना चाहता है। 

 

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0 Comments

  1. vaibhav

    April 1, 2015 at 5:13 pm

    अमर उजाला के खिलाफ पीएफ में गड़बड़ियों की भी कई जांच चल रही है। इसका भी कोई जिक्र इस आवेदन में नहीं है। पीएफ न काटने पर पीएफ की राशि के अलावा कंपनी को तीन सौ गुना जुरमाना भी अदा करना पड़ता है। यह भी कंपनी के प्रतिफल और निवेशकों प्रभावित करेगा। सेबी को इसका भी संज्ञान लेना चाहिए।

  2. ravinder aggarwal

    April 2, 2015 at 6:49 am

    vaibhav ji PF ke bare may ya to aap khud Sebi ki Complant wali site ya Regional Manager northern regional office, new delhi ko complaint bheje. ya phir meri mail id [email protected] pe puri information bna ke bhejne ka kasht kre. taki is information ko bhi sebi tak phunchaya ja sake.
    thanks

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