प्रेस क्लब भवन के बारे में अमर उजाला ने छापी झूठी खबर

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। ‘जोश सच का’ घोष वाक्य के साथ प्रकाशित हो रहे उत्तर भारत के प्रमुख हिंदी दैनिक अमर उजाला को झूठी खबर छापने पर मानहानि करने का कानूनी नोटिस भेजा गया है। 

सुरेश मेहरा के बाद जितेंद्र वालिया ने भी अमर उजाला छोड़ा

भिवानी : इन दिनो अमर उजाला कार्यालय में व्हाटसअप के फोटो लेकर काम चलाना पड़ रहा है। इसके अलावा रिपोर्टर्स भी मोबाइल्स से फोटो करते देखे जा सकते हैं। इसका कारण यह है कि अमर उजाला को सुरेश मेहरा के बाद एक और झटका लगा है।

पीलीभीत के पुलिस कप्तान ने अमर उजाला के क्राइम रिपोर्टर को दीं गालियां

पीलीभीत (उ.प्र.) : खबर पीलीभीत से है, जहां पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार शाही ने अमर उजाला के क्राइम रिपोर्टर टीएन अवस्थी को अपने दफ्तर में गालियां दीं और ऑफिस से भाग जाने के लिए कहा। 

अमर उजाला गोरखपुर से तीन गए, चार और के जाने की अटकलें

गोरखपुर अमर उजाला के संपादकीय विभाग से तीन पत्रकारों ने नाता तोड़ लिया है। सीनियर सब एडिटर सुनील सिंह ने हिंदुस्तान मुजफ्फरपुर और सब एडिटर दिलीप जायसवाल ने दैनिक जागरण मुजफ्फरपुर ज्वाइन कर लिया है। सब एडिटर मुकेश सिंह ने भी संस्थान को बॉय-बॉय कह दिया है। वह पहले नोयडा स्थित एक न्यूज चैनल में कार्यरत थे। 

मजीठिया वेतनमान : ये है दैनिक अमर उजाला का सैलरी ग्रेड

2010 – 407 करोड़ रुपये, 2011 – 477 करोड़ रुपये, 2012 – 526 करोड़ रुपये, 2013 – 544 करोड़ रुपये, 2014 – 640 करोड़ रुपये। साथियों, उपरोक्‍त आंकड़े देखकर आप समझ सकते हैं कि अमर उजाला कौन से ग्रेड का समाचारपत्र है। यह आंकड़े उस रिपोर्ट के हैं जो अमर उजाला ने सेबी को शेयर बाजार में सूचीबद्व होने के लिए जमा करवाए थे। आप अमर उजाला की वित्‍तीय रिपोर्ट सेबी से या आरटीआइ (RTI) के माध्‍यम से एमसीए (Ministry Of Corporate Affairs website-  http://www.mca.gov.in/) और इनकम टैक्‍स विभाग से भी मांग सकते हैं।

भिवानी में गिर रहा अमर उजाला का सरकुलेशन, 18 महीने में ही सातवीं बार सर्वे

भिवानी (हरियाणा) : जिले में एक बार फिर अमर उजाला ने अपना सातवां सर्वे शुरू कर दिया है। केवल 18 महीनों हुए रिलांचिंग के, और सातवीं बार सर्वे कराया जारहा है। 

जागरण के जिंदा और हिन्दुस्तान-अमर उजाला के मुर्दा पत्रकार

दैनिक जागरण नोएडा में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन इन दिनों मीडिया कर्मियों के बीच सबसे बड़ी खबर है। जागरण कर्मियों ने जो तेवर, उत्साह प्रबंधन के दमनात्मक रवैये के खिलाफ दिखाया है, वह दर्शाता है कि वाकई जागरण के कर्मी जर्नलिस्ट हैं, अन्यथा हिंदी अखबारी मीडिया में हिंदुस्तान  अखबार के भड़ैत पत्रकार भी हैं, जिनकी शशि शेखर के आगे बोली नहीं निकलती। कमोबेश यही हाल अमर उजाला के भी ज्यादातर पत्रकारों का हैं, जो सिर्फ पेट पाल रहे हैं। 

जब मासूम बेटे ने दी अपने पत्रकार पिता धीरज पांडेय को मुखाग्नि, डूब मरे अमर उजाला प्रबंधन

तारीख 28 जून। ग्राम-पयासे। जिला महराजगंज। स्थान दिवंगत पत्रकार धीरज पांडेय का घर। बाहर अपने हमउम्र बच्चों के साथ खेलता धीरज का बेटा। कभी घर के अंदर, कभी बाहर। धीरज के पिताजी तख्त पर लेटे हुए। हाथ में प्लास्टर, ठुड्ढी पर टांका। एक भौंह पर लगभग ठीक हो चुका घाव। कैंसर वाले जीव तो अंदर कहीं पैबस्त हैं। अब क्या दु:ख दे पाएंगे। जवान बेटे की मौत से ज्यादा असह्य पीड़ा और क्या हो सकती है।  

अपने पत्रकार पिता धीरज पांडेय के शव को मुखाग्नि देता उनका मासूम पुत्र

जम्मू अमर उजाला की मीटिंग में संपादक के खिलाफ स्ट्रिंगर्स के बागी तेवर, हाथापाई की नौबत

जम्मू कश्मीर में पिछले 11 वर्षो से संपादक रवींद्र श्रीवास्तव के खिलाफ रिटेनर और स्ट्रिंगर पहली बार खुल कर सामने आ गए। विगत 22 जून को जम्मू प्रेस क्लब में अमर उजाला के सभी हेड मौजूद थे। उनकी मीटिंग हुई। कार्यकारी संपादक उदय सिन्हा के अलावा मार्केंटिंग और सर्कुलेशन के हेड भी मीटिंग में थे। रेवेन्यू कम हो रहा है, इस पर पहली बार मीटिंग हुई। मुद्दा रेवेन्यू बढ़ाने का रहा लेकिन बैठक में स्ट्रिंगरों ने खुलेआम रवींद्र श्रीवास्तव के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि पिछले 12 साल से इनके उत्पीड़न के चलते सिर्फ हजार-दो हजार की सैलरी पा रहे हैं। सभी ने एक एक कर अपने पक्ष रखे। रवींद्र श्रीवास्तव तो क्या जवाब देते, सभी सीनियर्स भी स्थिति पर खामोश और अवाक रह गए। उदय सिन्हा बीच में नहीं आते तो मामला बिगड़ चुका था और हाथापाई की नौबत आने ही वाली थी। 

विजय त्रिपाठी बने कानपुर अमर उजाला के संपादक, हरिश्चंद्र का देहरादून तबादला

कानपुर अमर उजाला के संपादक हरिश्चंद्र सिंह का स्थानांतरण देहरादून हो गया है। उनके स्थान पर देहरादून अमर उजाला के संपादक विजय त्रिपाठी अब कानपुर यूनिट के संपादकीय प्रमुख होंगे। 

अमर उजाला के संपादक तो धीरज को देखने तक नहीं गए, जगदंबिका पाल बने मुसीबत में मददगार

अमर उजाला के पत्रकार धीरज पांडेय तो इस दुनिया से चले गए लेकिन उनके जाने का दर्द बहुतो से बर्दाश्त नहीं हो रहा। सबसे दुखद रहा अमर उजाला के गोरखपुर संपादक प्रभात सिंह और न्यूज एडिटर मृगांक सिंह का अमानवीय रवैया। धीरज इतने दिन से अस्पताल में मृत्यु से जूझ रहे थे, ये दोनो शख्स उन्हें देखने तक नहीं पहुंचे। उनके इलाज पर घर वालों के लगभग तीन लाख रुपए खर्च हो गए। 

दो हफ्ते से कोमा में पड़े पत्रकार धीरज पांडेय मगर अमर उजाला को उनकी रत्ती भर चिंता नहीं

अमर उजाला के बस्ती ब्यूरो प्रभारी धीरज पांडेय का एक्सीडेंट हुए दो हफ्ते होने को आ गए। एक पैर बुरी तरह डैमेज हो गया है। कोमा पूरी तरह टूटा नहीं है। डाक्टर कह रहे हैं कि फ्रैक्चर्स काफी है। पूरे बाडी में। सिर में गहरी चोट है। लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भरती हैं धीरज, जहां जिंदगी और मौत से लड़ाई चल रही है। परिणाम अच्छा ही होगा, ऐसा मन कह रहा है।

यूपी में एक और पत्रकार पर सपा नेता का अटैक, हालत मरणासन्न, लखनऊ ट्रामा सेंटर में भर्ती

बस्ती (उत्तर प्रदेश) : एक और पत्रकार को समाजवादी पार्टी के विधायक ने मौत के घाट उतारने की कोशिश की। पत्रकार की हालत गंभीर है। लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भरती कराया गया है। वह पांच जून की रात से लगातार कोमा में हैं। बताया गया है कि अमर उजाला प्रबंधन, प्रशासन और पुलिस सब इस मामले को दबाने में लगे हुए हैं। 

लखनऊ के ट्रामा सेंटर में भर्ती पत्रकार धीरज पांडेय

गोरखपुर अमर उजाला में एडिटर और एनई के आतंक से भगदड़

गोरखपुर अमर उजाला में इन दिनो संपादक प्रभात सिंह और न्यूज एडिटर मृगांक सिंह के आतंक से मीडिया कर्मियों में भगदड़ सी मची हुई है। कई लोग तीन से छह महीने तक की मेडिकल छुट्टी पर चले गए हैं। कई पत्रकार अन्य अखबारों में चुपचाप नौकरियां खोजने में लगे हुए हैं। ब्यूरो स्तर पर कई जिलों में स्ट्रिंगरों में भी असंतोष बताया जाता है। मेन पॉवर डिस्टर्व होने से कार्यरत लोगों के जरूरी अवकाश भी मंजूर नहीं किए जा रहे हैं।  

कानपुर आइ-नेक्स्ट के जीएम पंकज पांडेय पहुंचे अमर उजाला

कानपुर आई-नेक्स्ट के महाप्रबंधक पंकज पांडेय ने जागरण समूह से अपना नाता तोड़ते हुए अमर उजाला को ज्वॉइन कर लिया है। उधर, महेश शिवा ने जनवाणी के सहारनपुर ब्यूरो कार्यालय का कार्यभार संभाल लिया है। वह जनवाणी की लांचिग के समय से ही संस्थान से जुड़े हैं। बताया गया है कि निवर्तमान ब्यूरो चीफ पवन …

बस्ती अमर उजाला ब्यूरो प्रमुख धीरज पांडेय घायल, हालत गंभीर

बस्ती (उ.प्र.) : अमर उजाला के ब्यूरो प्रमुख धीरज पाण्डेय बीती रात शहर में करतार सिनेमा के पास मार्ग दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल हो गये। धीरज के दोनों पैर बुरी तरह जख्मी हो गये हैं। दुर्घटना तेज रफ्तार सफारी की चपेट में आने से हुई। उन्हें बीती देर रात्रि बस्ती से लखनऊ ट्रामा सेन्टर रेफर कर दिया गया। आज दोपहर एक बजे तक उन्हें होश नहीं आ पाया था।

अखंड प्रताप सिंह को अमर उजाला कानपुर का भी प्रभार

अमर उजाला प्रबंधन ने अपने वाराणसी यूनिट के हेड महाप्रबन्धक अखंड प्रताप सिंह को कानपुर का भी प्रभार दे दिया है। श्री सिंह अभी अमर उजाला वाराणसी और गोरखपुर यूनिट के हेड हैं। वह अब 16 मई से कानपुर बैठेंगे और वहीं से इन तीनों यूनिटों का कार्यभार संभालेंगे।

एक महान दोस्त का अवसान और वह आखिरी मुलाकात !

सुनील साह के निधन की खबर पाकर मैं स्तब्ध रह गया। अभी कुछ ही दिन पहले उन्होंने फोन पर मुझसे बात की थी। मेरे स्वास्थ्य की जानकारी लेने के बाद उन्हें काफी संतोष हुआ और बोले थे, पंडित जी इलाज में लापरवाही मत बरितएगा, आपसे जल्दी ही फिर बात होगी। मुझे क्या पता था कि वह मेरी उनकी अंतिम बातचीत होगी। जो भी उन्हें जानता है, निश्चित ही मेरी तरह उसे झटका लगा होगा।

वाराणसी अमर उजाला ने फिर पत्ते फेटे, कई ब्यूरो इंचार्ज इधर से उधर

वाराणसी अमर उजाला में ब्यूरो स्तर पर काफी उलटफेर की सूचना है। पता चला है कि पांच जनपदों गाजीपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, जौनपुर, भदोही के ब्यूरो इंचार्ज बदल दिए गए हैं।  

हल्द्वानी अमर उजाला के संपादक सुनील शाह कार दुर्घटना में गंभीर घायल, दिल्ली रैफर

एक बुरी खबर हल्द्वानी से आ रही है. अमर उजाला हल्द्वानी के संपादक सुनील शाह सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. बताया जा रहा है कि वह उस समय हादसे के शिकार हुए जब वह अपनी पत्नी के साथ कहीं जा रहे थे. हादसे के दौरान उनकी कार उनकी पत्नी चला …

धत्कर्मी विज्ञापनों से आज पटे अखबारों के पन्ने, बेशर्मों को चाहिए सिर्फ धंधा, चाहे जितना गंदा हो

बुधवार को हिंदुस्तान में अंतिम पृष्ठ पर शीर्ष प्राथमिकता के साथ प्रकाशित विज्ञापन

इसे ‘कोठे की पत्रकारिता’ कहें तो कत्तई अनुचित न होगा। जनरल वी.के.सिंह ने भी क्या गलत कहा। हकीकत तो उससे कहीं बहुत अधिक शर्मनाक है। आज बुधवार को दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान आदि ज्यादातर अखबारों ने सैक्स वर्द्धक दवाएं बेचने के बड़े बड़े विज्ञापन छाप रखे हैं। हिंदुस्तान ने तो अंतिम पेज पर हैडर के नीचे ही चेंप दिया है। ये कोई एक दिन की बात नहीं, प्रायः रोजाना हमारे घरों में पहुंच रहे अखबारों के साथ मुख्यधारा का मीडिया धड़ल्ले से ये बेशर्मियां परोस रहा है। रामपाल के ‘अड्‍डे’ पर शक्तिवर्धक दवाएं, कंडोम बरामद होने की खबरें तो अखबार और न्यूज चैनल कूद कूद कर दिखाते पढ़ाते हैं, लेकिन अपने गिरेबां में झांकने में उन्हें तनिक शर्म नहीं आती है। अखबार जिस तरह की सैक्स वर्धक दवाओं के विज्ञापन छाप रहे हैं, उनकी तरफ ने हमारे चिकित्सा तंत्र का ध्यान है, न शासन-प्रशासन और कानून के जानकारों का। आए दिन जनहित याचिकाएं दायर करने वाले भी इस ओर से बेखबर हैं।

कानपुर अमर उजाला से लखनऊ नभाटा पहुंचे शेखर त्रिपाठी

कानपुर : शेखर त्रिपाठी ने अमर उजाला कानपुर को बॉय-बॉय बोल टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप से अपनी नई पारी शुरू कर दी है। उन्होंने लखनऊ में नवभारत टाइम्स में बतौर सीनियर सब एडिटर ज्वाइन भी कर लिया। 

कानपुर, देहरादून और आगरा के अमर उजाला संपादकों का प्रमोशन, सीनियर रेजिडेंट एडिटर बने

अमर उजाला के वरिष्ठ निदेशक राजुल माहेश्वरी ने कानपुर, देहरादून और आगरा के रेजिडेंट एडिटर्स को उनके काम-काज से खुश होकर पदोन्नति दे दी है। देहरादून अमर उजाला के संपादक विजय त्रिपाठी, कानपुर अमर उजाला के संपादक हरिश्चंद्र सिंह और आगरा अमर उजाला के संपादक राजेंद्र त्रिपाठी को अब सीनियर रेजिडेंट एडिटर बना दिया गया …

हिंदुस्तान ने दैनिक जागरण और अमर उजाला को फिर ललकारा, दिखाया दम का दावा ‘मैं नंबर वन’

लखनऊ : उत्तर प्रदेश से प्रकाशित हो रहे तीन शीर्ष अखबारों हिंदुस्तान, जागरण और अमर उजाला के बीच मीडिया मार्केट कब्जियाने की जंग और तेज हो चली है। रीडर सर्वे रिपोर्टों को आधार बनाकर तीनो अखबार अपनी-अपनी तरह से यूपी के पाठकों और मीडिया मार्केट को बहलाने-फुसलाने में लगे हुए हैं। दैनिक हिंदुस्तान ने ऑडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन (एबीसी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रसार की गलाकाटू प्रचार-प्रतिस्पर्धा को और हवा दे दी है। अंदेशा है, इसके बाद जागरण और अमर उजाला भी आने वाले दिनो में हिंदुस्तान पर अटैक कर सकते हैं!

अमर उजाला का एक और गैरकानूनी कारनामा, डीएनई के शपथपत्र पर हाई कोर्ट में दायर करवाया जवाब

मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने का दावा कर रहे अमर उजाला प्रबंधन का एक और कारनामा सामने आया है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में रविंद्र अग्रवाल की याचिका पर चल रहे मामले में अमर उजाला की ओर से करीब सात माह बाद दिए गए जवाब में प्रबंधन ने नई चाल चल दी है।

हिमाचल स्टेट ब्यूरो को बचाने में जुटा अमर उजाला

अमर उजाला हिमाचल से एक और मजेदार खबर सुनने को मिल रही है। राजेश मंढोत्रा को स्टेट ब्यूरो के पद से हटाए जाने के बाद से खस्ताहाल चल रहे स्टेट ब्यूरो को बचाने के लिए ऐसे व्यक्ति को दोबारा शिमला लाने की जुगत की जा रही है, जो मंढोत्रा के बाद कुछ दिन तक ही यहां टिक पाया था।

अमर उजाला का एक और कारनामा : सेबी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस में अहम जानकारियों को छिपाया, रविंद्र ने आपत्ति दर्ज कराई

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की नार्दर्न रीजनल ऑफिस के क्षेत्रीय प्रबंधक को लिखे एक पत्र में अमर उजाला धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) के सीनीयर एडिटर रविंद्र अग्रवाल ने बताया है कि अखबार के संबंधित ड्राफ्ट प्रोस्पेक्टस में न्यायिक विवाद से जुड़ी अहम जानकारी को छिपाया गया है। साथ ही मीडिया कर्मियों के लिए घोषित मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवज्ञा संबंधी तथ्यों का भी उल्लेख नहीं किया गया है। फैसले के तहत अमर उजाला पर अपने संस्थान के कर्मचारियों की करोड़ों रुपये की देनदारी है। अखबार ने इस भुगतान से बचने के लिए अपनी सभी यूनिटों को अलग-अलग दर्शाया है, जो कि वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 की धारा 2-डी के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है और इसी को लेकर कोर्ट में विवाद लंबित है। अमर उजाला ने गंभीर वित्तीय अनियमितता के साथ ही माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना की है। इसलिए अमर उजाला को आईपीओ की इजाजत देने से पहले सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के निर्णय का इंतजार किया जाए। 

रविंद्र अग्रवाल के पत्र (दो पृष्ठों में) की फोटो प्रति इस प्रकार है –

प्रोस्पेक्टस पर दर्ज रविंद्र अग्रवाल के आपत्ति-पत्र का पृष्ठ-एक 

अमर उजाला ने आईपीओ लाने के लिए मांगी सेबी से इजाज़त

मुंबई : हिंदी दैनिक अमर उजाला की प्रकाशक कंपनी, अमर उजाला पब्लिकेशंस ने शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के जरिए धन जुटाने के वास्ते पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) जमा करा दिया है। इस ऑफर में 50 करोड़ तक नए शेयर जारी किए जाएंगे, जबकि कंपनी के प्रवर्तक राजुल माहेश्वरी, स्नेहलता माहेश्वरी और पन अंडरटेकिंग्स नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड अपने 26.9 लाख (26,90,234) शेयरों को बिक्री (ओएफएस) के लिए पेश करेंगे। ओएफएस से मिली रकम सीधे संबंधित शेयरधारकों को मिल जाएगी और कंपनी का उसका कोई हिस्सा नहीं मिलेगा। वहीं नए शेयरों से मिली शुद्ध रकम का इस्तेमाल अमर उजाला विस्तार के लिए प्रिंटिंग मशीनों व होर्डिंग्स की खरीद और अपनी एक सब्सिडियरी में निवेश के लिए करना चाहता है। 

मजीठिया मामले में सबसे डरपोक अमर उजाला के कर्मचारी, सिर्फ मिमियाएं नहीं : रवींद्र अग्रवाल

मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर अखबार मालिकों से चल रही लड़ाई में सबसे ज्यादा बुरी हालत में अमर उजाला के कर्मचारी दिख रहे हैं। अधिकतर बड़े अखबारों की यूनियनों के अलावा उनके कर्मचारियों ने एकजुट होकर अपने-अपने प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, मगर अमर उजाला के दब्बू/डरपोक कर्मचारियों की हालत भेड़-बकरियों जैसी बनी हुई है। हर किसी को पता है कि उसे हलाल किया जाने वाला है, मगर सभी मिमियाने के अलावा गुर्राने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं।

अमर उजाला ने रची फंड हजम करने की साजिश, मामला पहुंचा सेंट्रल पीएफ ऑफिस

कारपोरेट मीडिया अपने कर्मचारियों की फंड संबंधी बकाया राशि हजम कर जाने अथवा नियम-कानून की आड़ में आपराधिक मंशा से कैसी-कैसी साजिशें करता है, इसकी एक बानगी भर है नितिन दुआ की आपबीती, जिसे उन्होंने रीजनल प्रॉविडेंट फंड कमिश्नर कानपुर, सेंट्रल पीएफ कमिश्नर दिल्ली (श्रम मंत्रालय दिल्ली), चीफ विजिलेंस ऑफिसर भविष्य निधि दिल्ली एवं असिस्टेंट कॉम्पलेंस कमिश्नर भविष्य निधि दिल्ली को प्रेषित अपने पार्थना पत्र में सविस्तार अवगत कराया है। 

अधिकारियों को प्रेषित नितिन दुआ का पत्र