आमतौर पर पुलिस महकमे से जुड़े लोगों को रुखा-सूखा और कठोर भाव-भंगिमाओं वाला आदमी माना जाता है. लेकिन इन्हीं के बीच बहुतेरे ऐसे शख्स पाए जाते हैं जिनके भीतर न सिर्फ भरपूर संवेदनशीलता होती है बल्कि वे अपने समय के साहित्य से लेकर कला और जनसरोकारों से बेहद नजदीक से जुड़े होते हैं.
किसी जिले का पुलिस कप्तान वैसे तो अपने आप में दिन भर लूट हत्या मर्डर घेराव आग आदि तरह-तरह के नए पुराने अपराधों-केसों में उलझ कर रह जाने के लिए मजबूर होता है लेकिन वह इस सबके बीच अपने जिले की साहित्य की किसी बड़ी शख्सियत से इसलिए मिलने के लिए समय निकाल ले कि उनकी सेहत नासाज़ है तो यह प्रशंसनीय बात है.
गोपाल दास नीरज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. ”कारवां गुजर गया, गुबार देखते रहे….” रचने वाले गोपाल दास नीरज ने राजकपूर की ढेर सारी फिल्मों के गीत लिखे. मंच पर नीरज जी की सबसे ज्यादा डिमांड रही है. पद्म भूषण नीरज जी अलीगढ़ में निवास करते हैं. अलीगढ़ में एसएसपी के पद पर राजेश पांडेय हैं जो लखनऊ के भी एसएसपी रह चुके हैं. राजेश पांडेय को जब सूचना मिली कि नीरज जी की सेहत इन दिनों ठीक नहीं है तो वह फौरन वर्दी में ही उनसे मिलने उनके आवास की ओर चल पड़े.
परसों शाम करीब आठ बजे राजेश पांडे जब नीरज जी के आवास पर पहुंचते हैं तो उनकी सादगी देखकर दंग रह जाते हैं. नीरज जी के कमरे में कूलर चल रहा था. एसी नहीं है घर में. अलीगढ़ के एक डिग्री कालेज में प्रोफेसर रह चुके महाकवि पदमभूषण नीरज जी बेहद सरल सहज इंसान हैं. वे स्वास्थ्य कारणों से अब ह्वील चेयर पर चलते हैं. आठ बजे शाम पहुंचे एसएसपी राजेश पांडेय रात साढ़े दस बजे लौटे.
यह पहली बार नहीं जब राजेश पांडेय महाकवि नीरज जी के घर पहुंचे हों. करीब दो महीने पहले जब उन्हें पता चला कि नीरज जी की तबियत काफी बिगड़ गई है तो वो खुद एक नामचीन डाक्टर को साथ लेकर उनके यहां पहुंचे और इलाज में मदद की. राजेश पांडेय महीने में एक बार नीरज जी के यहां जाकर उनका हालचाल पूछ आते हैं. इस संवेदनशीलता को लेकर अलीगढ़ के लोग एसएसपी राजेश पांडेय की काफी सराहना करते हैं.
अलीगढ़ के युवा छात्रनेता जियाउर्ररहमान का कहना है कि हम सभी लोग पुलिस विभाग से लॉ एंड आर्डर बेहतर करने की तो उम्मीद करते हैं लेकिन कोई शख्स इससे आगे जाकर जब हमारे सुख-दुख में शरीक होने लगता है तो यकीनन अच्छा लगता है. पुलिस कप्तान राजेश पांडेय जी का यह बड़प्पन है जो अपने जिले अलीगढ़ की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर शख्सियत गोपाल दास नीरज जी के इलाज में सक्रिय हिस्सेदारी लेते हैं और उन्हें स्वस्थ-प्रसन्न रखने की कोशिश करते हैं. उनके इस कदम से पुलिस विभाग के बाकी लोगों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए और जो जिस इलाके में है, वहां की साहित्य, शिक्षा, कला आदि क्षेत्रों की चर्चित हस्तियों को उचित मान-सम्मान और मदद करनी चाहिए.
madhukar tiwari
June 25, 2017 at 1:13 pm
राजेश भइया का कोई जवाब और विकल्प ही नहीं है